जम्मू कश्मीर में आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज मलिक की गिरफ्तारी ने सारे राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं. विधानसभा चुनाव के बाद से लगातार बीजेपी के साथ कदम से कदम मिलाकर कर चल रहे भी लगता है पलटी मार ली है. जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी डोडा के विधायक पर PSA यानी जन सुरक्षा अधिनियम लगाने के विरोध में खड़े हो गए हैं.
मुख्यमंत्री बनने से पहले और बाद में भी उमर अब्दुल्ला जिस तरह केंद्र के साथ टकराव की राजनीति न करने के पक्षधर नजर आ रहे थे, ऐसा लगता था कि वो बार बार ये जताने की कोशिश कर रहे हैं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की तरह वो तकरार बिल्कुल नहीं चाहते. लेकिन, आज की तारीख में वो सीधे अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े हो गए हैं.
नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला तो आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह को समर्थन देने वहां भी पहुंचे थे, जहां उनको नजरबंद करके रखा गया था. संजय सिंह आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज मलिक के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध करने गए थे.
पब्लिक सेफ्टी एक्ट का इस्तेमाल आतंकवादियों और अलगाववादियों के खिलाफ किया जाता है, लेकिन ऐसा पहली बार है कि PSA का इस्तेमाल किसी मौजूदा विधायक के खिलाफ हुआ है. मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला तो हैरानी जता ही रहे हैं, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस ने भी जम्मू कश्मीर प्रशासन के ताजा एक्शन का विरोध किया है.
केजरीवाल के विधायक पर एक्शन से कश्मीर में कोहराम
अभी तीन महीने पहले ही आम आदमी पार्टी ने उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली जम्मू कश्मीर सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. 2024 में हुए जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को भी एक सीट पर जीत मिली थी. सरकार बनी तो डोडा विधायक मेहराज मलिक के जरिए अरविंद केजरीवाल ने उमर अब्दुल्ला को समर्थन दिया था. लेकिन, बाद में एकमात्र विधायक का सपोर्ट वापस भी ले लिया.
मेहराज मलिक ने समर्थन वापस लेते वक्त अपने नेता अरविंद केजरीवाल की मिसाल दी, और उमर अब्दुल्ला पर चुनावों में जनता से किए गए वादे पूरे न करने का आरोप लगाया. मेहराज मलिक ने कहा कि ऐसी ही सूरत में 49 दिन की सरकार से अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था. मेहराज मलिक का कहना था कि ऐसा भी नहीं है कि उमर अब्दुल्ला की सरकार जनता के लिए कुछ कर नहीं सकती, बल्कि वो करना ही नहीं चाहती.
लेकिन, बदले राजनीतिक हालात में उमर अब्दुल्ला और उनके पिता फारूक अब्दुल्ला आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े हो गए हैं. अरविंद केजरीवाल का कहना है कि बीजेपी खुलेआम गुंडई पर उतर आई है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए अरविंद केजरीवाल ने लिखा है, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला हमारे सांसद संजय सिंह से मिलने गेस्ट हाउस पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उनको मिलने तक नहीं दिया.
वीडियो में फारूक अब्दुल्ला का कहना है, ये यहां की स्थिति है... यहां एक निर्वाचित सरकार है, लेकिन लगता है कि उपराज्यपाल ही इसे चला रहे हैं... देश को इस स्थिति से अवगत कराया जाना चाहिए.
मेहराज मलिक के पिता ने उमर अब्दुल्ला से मुलाकात कर बेटे को छुड़ाने की अपील की है. मेहराज मलिक के पिता का कहना है कि वो अदालती लड़ाई में नहीं फंसना चाहते. मुलाकात के दौरान उमर अब्दुल्ला भी कोई ठोस आश्वासन नहीं दे पाए, उनकी अपनी संवैधानिक मजबूरी है. बस इतना ही कहा कि देखते हैं क्या कर सकते हैं.
उमर अब्दुल्ला का सवाल है, अगर आपको उनके (विधायक के) व्यवहार पर आपत्ति थी, तो इसे विधानसभा सचिवालय या अध्यक्ष के सामने उठाया जा सकता था, लेकिन पीएसए का इस्तेमाल गलत है. संवाददाताओं से बातचीत में उमर अब्दुल्ला ने कहा, डोडा के विधायक के खिलाफ पीएसए का इस्तेमाल गलत है... और अब आपने एक राज्यसभा सदस्य को अवैध रूप से हिरासत में लेकर इस गलती को और बड़ा बना दिया है... क्या आपने उन्हें हिरासत में लेने का कोई आदेश दिया है?
अपशब्द कहने पर PSA की कार्रवाई!
अब तो साफ साफ नजर आ रहा है कि अरविंद केजरीवाल की ही तरह केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी उमर अब्दुल्ला के भी निशाने पर है. और वो भी जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को ही टार्गेट कर रहे हैं, ये जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है... और इससे जो संदेश जा रहा है वो भी अच्छा नहीं है... जो लोग ऐसा कर रहे हैं उन्हें अपने अपने एक्ट पर फिर से विचार करना चाहिए.
आम आदमी पार्टी और नेशनल कांफ्रेंस की ही तरह पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती का कहना है, हो सकता है कि उनका तरीका गलत हो... लहजा भी गलत हो, लेकिन पीएसए की कार्रवाई गलत है. कांग्रेस ने भी पीएसए की कार्रवाई को लोकतंत्र के खिलाफ बताया है - और आम लोग तो सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक मेहराज मलिक के खिलाफ पीएसए की कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं.
डोडा के विधायक मेहराज मलिक पर PSA की कार्रवाई डीसी हरविंदर सिंह के साथ हाल के उनके टकराव के बाद की गई है. मेहराज मलिक पर आरोप है कि डोडा की एक सभा में वो डीसी और उनके परिवार वालों के लिए अपशब्दों का प्रयोग किए थे. उसके बाद फौरन पीएसए की कार्रवाई हुई, और मेहराज मलिक को डोडा डाक बंगले से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया. मेहराज मलिक को कठुआ जेल में रखा गया है.
पुलिस ने मेहराज मलिक केस में जो डोजियर तैयार किया है उसमें उनके खिलाफ विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज 18 एफआईआर और 16 रोजनामचे की रिपोर्टों का हवाला दिया है. पीएसए के तहत किसी भी व्यक्ति को दो साल के लिए जेल में बंद किया जा सकता है, और उसके लिए ट्रायल की भी जरूरत नहीं होती है.
ताज्जुब की बात ये है कि विधायक के खिलाफ कार्रवाई डीसी और उनके परिवार के लोगों के खिलाफ अपशब्द कहने के बाद हुई है. अगर बात बस इतनी ही है, तो साधारण एक्शन होने पर मेहराज मलिक पहली ही पेशी में कोर्ट से छूट जाते. और, लंबे समय तक जेल में रखने के लिए पीएसए आसान, मजबूत और टिकाऊ उपाय लगता है. अव्वल तो ऐसी कार्रवाई प्रशासन की तरफ से तब की जाती है जब इलाके में व्यक्ति विशेष से कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब होने की आशंका हो, लेकिन क्या ये मामला भी ऐसा ही है.
क्या किसी डीसी और उनके परिवार को अपशब्द कहने भर के लिए पीएसए लागू किया जा सकता है? जैसे राजनीति में निजी हमले होते हैं, वैसे ही ये केस भी लग रहा है. सोशल मीडिया और सड़क पर लोगों के उतर आने और आपसी विरोध के बावजूद आम आदमी पार्टी के विधायक के समर्थन में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से लेकर कांग्रेस और महबूबा मुफ्ती तक का एक स्वर में विरोध करना प्रशासनिक एक्शन पर यूं ही सवाल खड़े करता है - क्या बीजेपी और मनोज सिन्हा से कोई राजनीतिक चूक हो गई है?