मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित भोजपुर शिव मंदिर भारत के सबसे रहस्यमय और ऐतिहासिक शिव मंदिरों में से एक है. यह मंदिर भोपाल से लगभग 28 किलोमीटर दूर बेतवा नदी के किनारे स्थित है और अपनी अधूरी संरचना के बावजूद आस्था, स्थापत्य और इतिहास का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है (Bhojpur Shiva Temple, MP).
इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में परमार वंश के महान शासक राजा भोज द्वारा कराया गया था. इसी कारण इसे भोजपुर शिव मंदिर कहा जाता है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां स्थापित शिवलिंग भारत के सबसे विशाल शिवलिंगों में गिना जाता है. लगभग 18 फीट ऊंचा यह शिवलिंग एक ही पत्थर से निर्मित है, जो प्राचीन भारतीय शिल्पकला की उत्कृष्टता को दर्शाता है.
मंदिर की एक खास बात यह है कि इसका निर्माण कभी पूरा नहीं हो पाया. इतिहासकारों के अनुसार, प्राकृतिक आपदा, राजनीतिक अस्थिरता या राजा भोज की मृत्यु के कारण मंदिर अधूरा रह गया. आज भी आसपास के क्षेत्र में अधूरी नक्काशी वाले पत्थर और स्तंभ देखे जा सकते हैं, जो उस समय की निर्माण प्रक्रिया की झलक देते हैं.
भोजपुर शिव मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में है. बिना किसी गर्भगृह की छत के खुला आकाश शिवलिंग के ऊपर दिखाई देता है, जो भक्तों को एक अलग आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है. सावन माह और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं.
यह मंदिर केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के कारण भी प्रसिद्ध है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित यह स्थल शोधकर्ताओं और पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है.
संक्षेप में, भोजपुर शिव मंदिर भारतीय इतिहास, कला और भक्ति का अद्वितीय प्रतीक है, जो अधूरा होकर भी पूर्ण आस्था और दिव्यता का अनुभव कराता है.