ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन यानी आजसू पार्टी (AJSU) झारखंड राज्य की एक राजनीतिक पार्टी है. आजसू पार्टी की स्थापना 22 जून 1986 को ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन की तर्ज पर की गई थी. आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो हैं. आजसू के संस्थापक झारखंड की पिछली राजनीतिक पार्टियों से निराश थे. आजसू ने 1989 में आम हड़ताल और लोकसभा चुनावों का बहिष्कार करने का अभियान चलाया. हालांकि, 1990 तक आजसू ने व्यावहारिक रुख अपनाया और झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रतीक पर बिहार राज्य विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार खड़े किए थे.
आज आजसू अपने नाम से चुनाव लड़ती है. 2004 के लोकसभा चुनावों में आजसू भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में थी. झारखंड विधानसभा चुनाव, 2005 से पहले आजसू ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए से नाता तोड़ लिया और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया. 2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले, आजसू ने फिर से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ गठबंधन किया. जैसे ही परिणाम घोषित हुए, आजसू ने पांच सीटें जीतीं, जबकि भाजपा ने राज्य विधानसभा में 37 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया. आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो (Sudesh Mahto) लगभग 15 वर्षों तक अपने निर्वाचन क्षेत्र सिल्ली का प्रतिनिधित्व करने के बाद हार गए.
झारखंड में एनडीए की सहयोगी आजसू ने बिहार चुनाव को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है. पार्टी के सुप्रीमो सुदेश महतो ने बताया कि उनकी पार्टी बिहार चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारेगी. उन्होंने कहा, "बिहार चुनाव में मेरी पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी, ये फैसला दल का है".
झारखंड में धनबाद से लेकर रांची, रामगढ़, बोकारो और गिरिडीह बेल्ट में कुर्मी समुदाय की मजबूत मौजूदगी है. ऐसे में इस राजनीतिक योजना पर राजनीति करने वाली पार्टियां भी राजनीतिक मोर्चे पर काफी ऊंचाई पर पहुंच गई हैं. हालांकि, एक चिट्ठी वायरल हो रही है. इसको लेकर कहा जा रहा है कि इस चिट्ठी से आजसू को काफी नुकसान होगा.
झारखंड के विधानसभा चुनाव में हर दल ने दलबदलुओं पर खुलकर दांव लगाया है. बीजेपी ने सबसे अधिक आठ दलबदलुओं को टिकट दिया है. जेएमएम ने सात और सपा ने ऐसे छह नेताओं को टिकट दिया है जो दूसरी पार्टियों से आए हैं.