सिकंदर जब मरा था, तब उसके शव को उसकी उसी की इच्छा से पूरे नगर में इस तरह घुमाया गया था कि उसके दोनों हाथ अर्थी से बाहर लटके हुए नज़र आएं. सिकंदर जब बहुत बीमार हो गया था और उसे लगने लगा था कि अब वो नहीं बचेगा तो उसने अपने सबसे विश्वसनीय साथी से अपनी ये इच्छा जताई थी कि उसकी मृत्यु के बाद उसके शव को पूरे नगर में घुमाया जाए.