एक बड़े डेटा लीक का नया मामला सामने आया है. इसमें लगभग 16 अरब पासवर्ड्स लीक हुए हैं, जिसने इसे इतिहास के सबसे बड़े डेटा लीक में से एक बना दिया है. साइबर न्यूज और फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस लीक की वजह से लाखों यूजर्स का पर्सनल डेटा अब रिस्क में है.
लोगों को इसकी वजह से फिशिंग स्कैम, डेटा चोरी और अकाउंट हैकिंग जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. सिक्योरिटी रिसर्च्स का कहना है कि ये इंटरनेट पर पड़ा लोगों का पुराना डेटा नहीं है, जो सालों से इधर-उधर हो रहा है. ज्यादातर डेटा नया है, जिन्हें Infostealers मैलवेयर के जरिए इकट्ठा किया गया है.
ये मैलवेयर प्रोग्राम लोगों का डेटा चुपके से चुराता है. चोरी के इस डेटा में यूजरनेम और पासवर्ड होते हैं, जिन्हें मैलवेयर यूजर्स के फोन्स से चुरा कर हैकर को भेजता है. हैकर्स इस डेटा को सीधे इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर इन्हें डार्क वेब फोरम पर बेच देते हैं.
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रिपोर्ट्स की मानें, तो लीक हुए डेटा में यूजर्स की लॉगइन इंफॉर्मेशन्स हैं, जो अलग-अलग सर्विसेस के लिए है. इसमें यूजर्स के ईमेल से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे- फेसबुक, गूगल और टेलीग्राम तक की डिटेल्स हैं. यहां तक ही इसमें GitHub पर डेवलपर्स की अकाउंट डिटेल्स और कुछ सरकारी पोर्टल्स की भी जानकारी है.
ज्यादातर जानकारी को एक फॉर्मेट में ऑर्गनाइज किया गया है, जिसमें वेबसाइट लिंक, इसके बाद यूजरनेम और पासवर्ड लिखा है. इसकी वजह से साइबर अटैकर्स के लिए इनका इस्तेमाल आसान हो जाता है. एक्सपर्ट्स इस लीक को 'ग्लोबल साइबर क्राइम का ब्लू प्रिंट' बता रहे हैं.
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बताया जा रहा है कि इसमें 30 बड़े डेटा सेट शामिल हैं. हर डेटा सेट में लाखों से अरबों लॉगइन क्रेडेंशियल्स शामिल हैं. चोरी हुए कुल लॉगइन क्रेडेंशियल्स की संख्या 16 अरब से ज्यादा है.
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का मानना है कि आपको इस पर तुरंत रिएक्ट करना चाहिए, जिससे वो खुद को सुरक्षित रख सकें. आपको तुरंत ही अपना पासवर्ड बदल देना चाहिए. इसके अलावा अपने अकाउंट्स के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन को ऑन कर लें और पासवर्ड मैनेज का इस्तेमाल करें.