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Whatsapp को सरकार की दो टूक- निजता के अधिकार का सम्मान, लेकिन गंभीर मामलों में जानकारी देनी होगी

सरकार ने ताजा स्टेटटमेंट में कहा है कि इस तरह की जरूरत उन मामलों में पड़ती है जब किसी मैसेज को रोकना हो या उसकी जांच करनी हो. ऐसी स्थिति में भी मैसेज की जरूरत हो सकती है, कोई गंभीर ओफेंस कर ले जिससे भारत की संप्रभुता पर खतरा है. 

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • सरकार ने कहा है कि इस गाइडलाइन से प्राइवेसी में खतरा नहीं है
  • सरकार के मुताबिक ओरिजिन ट्रेस हर मैसेज का नहीं किया जाएगा

WhatsApp भारत सरकार के सोशल मीडिया गाइडलाइन के खिलाफ हाई कोर्ट गया है. WhatsApp ने कहा था कि WhatsApp पर किसी मैसेज को ट्रेस नहीं किया जा सकता है.

चूंकि सरकार की गाइडलाइन है कि जरूरत पड़ने पर WhatsApp को मैसेज का ओरिजिन बताना होगा. यानी मैसेज ट्रेस करना होगा. WhatsApp ने यूजर्स के मैसेज ट्रेस करने से साफ इनकार कर दिया है. 

सरकार ने ताजा स्टेटटमेंट में कहा है कि इस तरह की जरूरत उन मामलों में पड़ती है जब किसी मैसेज को रोकना हो या उसकी चांज करना हो. ऐसी स्थिति में भी मैसेज की जरूरत हो सकती है, कोई गंभीर ओफेंस कर ले जिससे भारत की संप्रभुता पर खतरा है. 

बयान में सरकार की तरफ से कहा गया है कि भारत की संप्रभुता, अखंडता या दूसरे देशों के साथ फ्रेंडली रिलेशन में कोई दिक्कत आती है तो ऐसे में मैसेज के ओरिजिन की जरूरत होगी. इसके अलावा रेप, सेक्सुअल मेटेरियल या चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज मेटेरियल की जांच पड़ताल के लिए भी इसकी जरूरत होगी. 

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चूंकि WhatsApp ये कह रहा है कि ऐसा करने पर यूजर्स की प्राइवेसी के साथ समझौता होगा. इस बात पर सरकार का कहना है कि भारत सरकार राइट टु प्राइवेसी का सम्मान करती है और सभी को प्राइवेसी मिले ये सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. 

WhatsApp का कहना है कि एक मैसेज का ओरिजन ट्रेस करने का मतलब WhatsApp के सभी यूजर्स के मैसेजों का ट्रेस रखना होगा और इसके लिए डेटाबेस तैयार करना होगा. इससे यूजर्स की प्राइवेसी खतरे में आएगी. यूजर्स की प्राइवेसी खतरे में आएगी और यूजर्स का ज्यादा डेटा भी कंपनी के पास होगा. 

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के मुताबिक सोशल मीडिया गाइडलाइन्स से WhatsApp के नॉर्मल फंक्शन्स पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा है कि इसका आम यूजर्स पर फर्क नहीं पड़ेगा. 

हालांकि WhatsApp ने ये क्लियर कर दिया है कि अगर ये नई गाइडलाइन लागू की गई तो इससे WhatsApp के यूजर्स की प्राइवेसी के साथ समझौता होगा. क्योंकि इसके लिए एंड टु एंड एन्क्रिप्शन को बाइपास करना पड़ेगा. 

 

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