वाडेकर उस दौर के थे जब शिक्षा को सबसे ज्यादा तरजीह दी जाती थी और यूनिवर्सिटी क्रिकेट से ही धाकड़ खिलाड़ी निकलते थे. वह इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन क्रिकेट के शौक ने उनकी राह बदल दी.