सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट से संन्यास के ऐलान के बाद देश में एक उत्सवधर्मी सिलसिला शुरू हुआ है. यह सिलसिला है उस शख्स को शानदार विदाई देने का, जिसने हमारी तमाम सुबहें और शामें गुलजार कीं. उस शख्स को शुक्रिया कहने का, जिसने 24 सालों तक हमें तमाम भावुक औऱ रोमांचक पल मुहैया कराए.
ऐसे में दुनिया के नंबर एक चैनल आज तक औऱ इंडिया टुडे ग्रुप की यह जिम्मेदारी बनती थी कि हम हमेशा की तरह अलहदा तरीके से सचिन को सलाम करें. इस मकसद से ग्रुप ने मंगलवार को मुंबई में 'सलाम सचिन, द ग्रेट क्रिकेटर' नाम से कॉन्क्लेव आयोजित किया. इसमें देश-दुनिया के दिग्गज और नौजवान क्रिकेटरों ने सचिन से जुड़ी अपनी यादें, अनुभव और विचार साझा किए.
इस कॉन्क्लेव का एक मकसद उन तमाम बहसों को केंद्र में लाना भी था, जो कई सालों से सचिन के साथ उनके इर्द-गिर्द चलती रहीं. मसलन, सचिन बनाम ब्रायन लारा की बहस में खुद लारा का क्या कहना है? या सचिन की विदाई के वक्त वे दिग्गज क्या सोच रहे हैं जिन्होंने उन्हें 16 साल की उम्र में बल्ला थामे देखा था? वकार यूनुस सचिन को फेंकी गई अपनी पहली गेंद को किस तरह याद करते हैं और सचिन के बाद उनकी भरपाई कौन करेगा?
कॉन्क्लेव में बिशन सिंह बेदी, सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, ब्रायन लारा, वकार यूनुस, मुहम्मद अजहरुद्दीन, रमीज राजा, जवागल श्रीनाथ, किरण मोरे, गौतम गंभीर और सुरेश रैना ने सचिन से जुड़ी अपनी यादें साझा कीं. पढ़िए, सचिन और उनके इर्द-गिर्द चली सभी बहसों के केंद्र में क्या कहा दुनिया के कुछ कप्तानों ने...
सुनील गावस्कर
सलाम सचिन कॉन्क्लेव में विक्रांत गुप्ता ने लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर से बात की. गावस्कर ने सचिन के बारे में कई बातें बताईं. गावस्कर ने बताया कि उन्हें सचिन की पारियों में उनकी पहली सेंचुरी सबसे ज्यादा पसंद है. इससे भारत को टेस्ट बचाने में मदद मिली.' गावस्कर ने ये भी बताया कि सचिन और उनके खुद के खेल में क्या समानताएं हैं.
गावस्कर ने बताया, 'सचिन की सबसे बड़ी खासियत है उनका का फील्ड पर बैलेंस. क्रिकेटिंग बैलेंस की बात करूं. वह कभी अजीब स्थिति में नहीं दिखे पिच पर. कोई बॉल उछली. कोई स्लिप हो गई. वह जैसा भी खेले. अचंभे में नहीं आए. यह तो हुई फील्ड पर बैलेंस की बात. इतना कुछ हासिल करने के बाद भी वह अपना फोकस बनाए रहे. अनुशासन कायम रखा, समपर्ण बनाए रखा. वह बैलेंस भी कमाल है.'
दिलीप वेंगसरकर
मुझे नहीं लगता कि अगला सचिन मुमकिन है. कौन होगा, जो 15-16 साल में खेलना शुरू कर दे और इतने लंबे वक्त तक फिटनेस और फॉर्म बनाए रखे. मुझे याद है कि अस्सी के दशक में स्कूली क्रिकेट में सचिन की धूम मचने लगी थी. तब मेरे दोस्त वासू ने बताया कि दिलीप इस लड़के को जरूर देखो. इंटर स्कूल का फाइनल था अंजुमन इस्लाम के खिलाफ. सचिन इस मौच को खेल रहे थे.वासू के कहने पर मैं गया. सचिन ने तीन सौ रन बनाए. मैं उसके बारे में पूछा.पता चला कि अभी ये कम से कम चालीस ओवर भी फेंकेगा. ऐसा ही था आचरेकर सर का ये लड़का. बैटिंग करता रहेगा. उसे बॉलिंग भी चाहिए.
फिर मैंने उसे नेट्स पर बुलाया. चेतन शर्मा, मनिंदर वगैरह को बॉलिंग के लिए कहा. ये थोड़ा जटिल था. मगर उसने अच्छे से खेला. फिर उसे हम शाम को चाय पर ले गए. बात हो रही थी बाकी सीनियर लोगों से, कि इसे मुंबई की रणजी टीम में लिया जाना चाहिए कि नहीं. सब कह रहे थे कि ये बहुत छोटा है. मगर फिर इसे लिया.फिर इसने रणजी से लेकर हर लेवल पर शानदार खेला. तभी वासू ने राज सिंह डूंगरपुर साहब से कहा. वेस्टइंडीज दौरे के पहले की बात है, वासू बोला, राज भाई इसको ले लो आप टीम में. राज बोले पागल हो गए हो क्या. वहां क्या क्या फास्ट बोलर हैं. ये मार्च 1989 की बात है. इसके छह महीने बाद उनका पदार्पण हुआ.
बिशन सिंह बेदी
हमें क्यों चाहिए दूसरा सचिन तेंदुलकर. ये तो बहुत लालच है. वो भारत रत्न है हमारा. हमें फख्र है उसके होने पर. अगला सचिन कब आएगा, कैसे आएगा. इस पर इतना व्याकुल होने की जरूरत नहीं है. इंशाअल्लाह जरूर आएगा. जीनियस एक क्षण में पैदा नहीं होते. श्रेय उनकी मां को जाता है.
सचिन ने जो किया अपने प्यार के लिए किया, क्रिकेट के लिए. मैं आपको एक किस्सा बताता हूं. उस टूर पर ये महारथी भी थे. विकेट बहुत खराब था प्रैक्टिस के लिए. ये सीनियर प्लेयर कामचोरी के बहुत शौकीन थे. मैंने कहा कि प्रैक्टिस नहीं करेंगे, तो ट्रेनिंग करेंगे. ऑप्शनल सेशन रखा, जिसको बैटिंग करनी है करो. एक लड़का आया. बोला, मैं करूंगा सर. हमने कहा, चलो चोट लगने का डर है तो स्पिन करेंगे. उसने क्या किया कि सेंटर में विकेट खराब थी. तो नेट के किनारे साफ जमीन थी. उसने स्टंप गाड़े और 45 मिनट खेलता रहा. वो सचिन तेंदुलकर था. बहुत प्यारा बच्चा था. मर्यादा पुरुषोत्तम टाइप का. ये वाकया मैं कभी नहीं भूलूंगा.
ब्रायन लारा
सलाम सचिन में ब्रायन लारा से बात की बोरिया मजूमदार ने. लारा ने सचिन की खूब तारीफ की. लारा ने कहा सचिन और ब्रायन लारा में कोई तुलना हो ही नहीं सकती. उन्होंने कहा, 'मैं जहां रहता हूं त्रिनिदाद और टुबैगो में, तो वहां कुछ लाख लोग रहते हैं. हां, कभी मुश्किल होती है, जब मैं अपनी बेटी को लेने जाता हूं. वो कार में बैठी रो रही होती है और मैं ऑटोग्राफ दे रहा होता हूं. आप कभी भी आ सकते हैं मेरे घर. आराम से मिलूंगा. मगर यहां मामला उलट है. यहां तो क्रिकेट के लिए जो दीवानगी है, तो इस चीज की उम्मीद भी नहीं की जा सकती.' लारा ने कहा, 'मेरा बेटा नहीं है. अगर वो होता और यूट्यूब पर मेरी बैटिंग के वीडियो देख रहा होता, तो मैं इसे बंद करने को कहता और बोलता कि देखना है तो सचिन का बैटिंग स्टाइल देखो. उसके वीडियो देखो. उसका तरीका ऐसा है कि हर प्लेयर को फॉलो करना चाहिए.'
वकार यूनुस
पाकिस्तान के पूर्व कप्तान वकार यूनुस ने सचिन के साथ अपने करियर की शुरुआत को याद करते हुए कहा, 'वाकई. इतनी फिटनेस के साथ खेलना. मैंने उनके साथ ही शुरू किया टेस्ट खेलना. रिटायरमेंट को मेरे दस साल हो गए. अब तो कमेंट्री से रिटायर होने का वक्त हो गया. मगर वो अब भी खेल रहे हैं. उनका डेडिकेशन कमाल है. वो अपना बैट भी होटल लेकर जाता था. उसने क्रिकेट को पूजा, जैसे लोग उसे यहां पूजते हैं. शायद यही वजह है.'
वकार ने कहा, मुझे गर्व है कि मैंने टेस्ट क्रिकेट की शुरुआत सचिन तेंदुलकर के साथ की. ये बहुत खास था. हमें लग रहा था कि ये क्या मजाक कर रहे हैं. इसकी दाढ़ी-मूंछ भी नहीं आई. मुझे याद है उस दौरे के कुछ पहले जडेजा और मोंगिया वगैरह अंडर 19 टीम में आए थे. वे बात कर रहे थे सचिन के बारे में. मगर जब हमने सचिन को देखा, तो लगा, कहां से ले आए इस बच्चे को.'
वकार ने आगे कहा, 'उसने नीट क्लीन क्रिकेट खेली. कंट्रोवर्सी में उसका नाम नहीं आया. जेंटलमैन गेम खेला है. आप देखिए जूनियर्स से किस तरह मिलते हैं वो. 24 साल खेले हैं, लगभग ढाई दशक. उन्होंने चार पीढ़ियां देखी हैं क्रिकेट की. कुछ जो सामने रिटायर हुए. कुछ जो सामने शुरू हुए. आपको जूनियर मोस्ट क्रिकेटर भी बता देगा, उसको भी नजर आता है कि वह कैसा खेला है. ड्रेसिंग रूम में सब रेस्पेक्ट करते हैं. मुझे नहीं लगता कि अब कोई और ऐसा खेल पाएगा.'
रमीज राजा
पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान रमीज राजा ने बताया, 'सचिन पर बड़ी उम्मीद होती है. प्रेशर भी होता है. महानतम रोल मॉडल हैं वो. मुझे नहीं पता कि ऐसे टॉपिक पर क्या हूं. पर सही कहूं तो इन दिनों गेंदबाजी पर कई नियम लगा दिए गए हैं, जो पहले नहीं थे. बॉलर फ्री थे अपनी मर्जी से गेंद करने के लिए.' उन्होंने कहा कि सचिन ने खतरनाक गेंदबाजों को खेला है. खेल बदला है 24 सालों में. सचिन कभी किसी भी तरह के फॉर्मेट में आउट ऑफ टच नहीं दिखे. वे अपने खेल का लुत्फ देते हैं. ब्रैडमैन के समय 6 महान गेंदबाज थे. सचिन ने तो बहुत से महान गेंदबाजों को खेला. उनकी एवरेज 56 से ज्यादा है. बहुत बड़ी बात है.
जब रमीज से पूछा गया कि 100 शतक करना कैसा लगेगा तो उन्होंने कहा, 'खेल के प्रति प्यार ही ऐसा करा सकता है. सचिन जैसे खिलाड़ी को सलाम करना चाहिए. वह बदलते माहौल, बदलते खेल में टिका रहा और लगातार रन करता रहा. 100 शतक किए. मेरे कंमेंट्री करियर में 2003 में सबसे बेहतरीन पल था, जब मुरलीधरन कर रहा था. लारा सामने थे और लगातार रन कर रहे थे. दो लीजेंड को देखकर अच्छा लग रहा था. लीजेंड्स की लड़ाई अच्छी लगती है.'
मोहम्मद अजहरुद्दीन
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन ने सचिन के साथ खेले गए दिनों को याद करते हुए बताया, 'सचिन मेरी कप्तानी में 9 साल खेला है. उनका क्रिकेटिंग ब्रेन शानदार है. मैं रमन, अजय शर्मा उसे सुबह 2-3 बजे उठते देखते थे और वह उठकर अभ्यास करता था. जब भी हम मुश्किल होते थे, सचिन हमेशा सलाह देते थे. सचिन फिल्डिंग में दूर खड़े होते थे, ताकि वे पूरी गेम को एनालाइज कर पाएं. सचिन की सलाह पर जब हम कोई फैसला लेते थे, सफल रहता था. सचिन के साथ खेलना बहुत अच्छा रहा.'
अजहर ने बताया, 'सचिन को बॉलिंग करना भी पसंद रहा है. हीरो कप की बात है. साउथ अफ्रीका के खिलाफ एक बार एक ओवर बाकी था, अफ्रीका को 6 रन चाहिए थे. हमने सोचा कि किसी अलग बॉलर को ओवर दिया जाए. सचिन को दिया तो सचिन ने हमें वह मैच जितवा दिया. अद्भुत था.'
सचिन के पहले शतक को याद करते हुए अजहर ने कहा, 'सचिन का पहला शतक बेहतरीन था. न्यूजीलैंड में जब वह शतक नहीं कर पाया तो उसे मलाल था. क्योंकि यदि वह कर लेता तो दुनिया का सबसे युवा बल्लेबाज होता. वह हमेशा जीतना चाहता है, नंबर वन रहना चाहता है. वह बॉलिंग, फिल्डिंग और बैटिंग सबमें अव्वल रहना चाहता है.'