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CWG 2018: सीरिंज विवाद में CGF अदालत से भारत को राहत

राष्ट्रमंडल खेल महासंघ की अदालत ने अमोल पाटिल के खिलाफ सीजीएफ मेडिकल आयोग की शिकायत पर सुनवाई की. उन पर खेलों की ‘नो नीडल पॉलिसी’ के उल्लंघन का आरोप था. पाटिल ने थके हुए खिलाड़ियों को विटामिन बी कॉम्प्लेक्स इंजेक्शन के जरिये दिये थे.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय मुक्केबाजी दल के साथ जुड़े सीरिंज विवाद अब खत्म हो गया है. राष्ट्रमंडल खेल महासंघ की सीजीएफ अदालत ने सीरिंज विवाद में डॉक्टर अमोल पाटिल को राहत देते हुए बड़ी सजा सुनाने की बजाय फटकार लगाकर छोड़ दिया है. अमोट ने तय प्रक्रिया का पालन करने के बाद सीरिंज को नष्ट नहीं किया था.

राष्ट्रमंडल खेल महासंघ की अदालत ने अमोल पाटिल के खिलाफ सीजीएफ मेडिकल आयोग की शिकायत पर सुनवाई की. उन पर खेलों की ‘नो नीडल पॉलिसी’ के उल्लंघन का आरोप था. पाटिल ने थके हुए खिलाड़ियों को विटामिन बी कॉम्प्लेक्स इंजेक्शन के जरिये दिये थे.

सीजीएफ ने एक बयान में कहा, ‘नो नीडल पॉलिसी के तहत सीरिंज को एक निर्धारित स्थान पर इकट्ठा करके रखना होता है जहां तक सिर्फ सीजीए दल के अधिकृत मेडिकल कर्मचारी ही पहुंच सकते हैं. पोलिक्लीनिक का दो बार दौरा करने तक ये सीरिंज नष्ट नहीं की गई थी.’ इसमें कहा गया, ‘ऐसे हालात में सीजीएफ अदालत ने तय किया कि सीजीएफ को इस उल्लंघन के लिये डॉक्टर को कड़ी लिखित फटकार लगानी चाहिए.’

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अदालत के फैसले की एक कॉपी प्रति भारतीय के दल प्रमुख को भी दी जाएगी ताकि वह ये सुनिश्चित करें कि आगे से भारतीय दल का कोई सदस्य सीजीएफ की किसी नीति का उल्लंघन नहीं करेगा. सीजीएफ ने संबंधित राष्ट्रीय संघ या खिलाड़ी का नाम नहीं लिया था लेकिन ऐसी अटकलें थी कि यह देश भारत ही है.

सीरिंज मिलने के बाद कराये गए डोप टेस्ट नेगेटिव रहे थे. सीजीएफ ने कहा, ‘पूछताछ के दौरान डॉक्टर ने स्वीकार किया कि उन्हें नो नीडल पालिसी की जानकारी थी. उन्होंने 19 मार्च से अब तक इस्तेमाल की गई सीरिंज की जानकारी दी और जांच में सहयोग किया.’

किस मामले में हुई जांच

सीजीएफ अदालत ने पाया कि नो नीडल पॉलिसी का उल्लंघन किया गया है. डॉक्टर को सीरिंज कमरे में रखनी चाहिये थी लेकिन वह उन्हें फेंकने के लिये शार्पबिन मांगने पोलीक्लीनिक गए. सीजीएफ ने इस बात पर भी गौर किया कि भारतीय दल के साथ अधिक डॉक्टर नहीं हैं. भारतीय दल में 327 सदस्य हैं जबकि सिर्फ एक डाक्टर और एक फिजियो है. मुक्केबाजी दल के डॉक्टर के अलावा भारतीय दल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और संबंधित डॉक्टर का यह पहला राष्ट्रमंडल खेल है.

क्या है नो नीडल पॉलिसी

खेलों की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक किसी चोट, बीमारी या किसी स्वास्थय संबंधी दिक्कत आने पर सीरिंज का इस्तेमाल हो सकता है लेकिन इसके लिए मंजूरी लेनी पड़ती है. खिलाड़ियों के साथ-साथ वहां रहने वाले बाकी सहयोगी स्टाफ को भी इंजेक्शन लेने के लिए इजाजत लेनी होती है.

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इस्तेमाल के बाद सीरिंज या ऐसे किसी इंजेक्शन को एक खास स्थान पर ही फेंकने का नियम हैं और उसे कहीं भी नहीं रखा जा सकता. खेलों के दौरान अगर कोई खिलाड़ी इंजेक्शन लेता है तो उसके लिए पहले एक घोषणा फॉर्म भरना पड़ता है. अगर इन नियमों का पालन नहीं किया जाता तो उसे अनुशासन तोड़ने का दोषी माना जाता है. उसके खिलाफ कार्रवाई के साथ-साथ उसे कई टेस्ट से भी गुजरना पड़ता है.

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