फीफा वर्ल्ड कप में बादशाहत कायम करने के बाद जर्मनी की टीम स्वदेश वापसी कर चुकी है. एयरपोर्ट पर टीम का जोरदार स्वागत भी किया गया. न सिर्फ जर्मनी बल्कि पूरी दुनिया में फुटबॉल के दीवाने इस जीत का जश्न मना रहे हैं. यह जायज भी है, क्योंकि इस जीत के पीछे मेहनत, संघर्ष और कई बार गिरकर उठने की कहानी है. एक प्रयास जिसकी बानगी 35 साल पुरानी है.
फाइनल मुकाबले के 113वें मिनट में मारियो गोट्जे के गोल ने अर्जेंटीना को शिकस्त दी. टीम ने सेमिफाइनल मुकाबले में बेहतरीन 7 गोल दागे जो रेकॉर्ड है. यही नहीं, जर्मनी अमेरिका में विश्व कप जीतने वाली भी पहली यूरोपीय टीम है. यानी जीत के साथ कई रेकॉर्ड भी बने. मारियो गोट्जे हीरो बनकर उभरे, लेकिन विशेषज्ञों की माने तो इस जीत के पीछे एक बड़ा हाथ जर्मन फुटबॉल लीग का रहा है.
दरअसल, याद कीजिए तो 4 बार विश्व विजेता का तमगा हासिल करने वाली यह टीम तीन बार रनरअप रह चुकी है. जानकारों का मानना है कि बेहतरीन प्रदर्शन का सिलसिला बगैर जर्मन फुटबॉल लीग के संभव नहीं हो पाता. 1979 में शुरू हुए जीएफएल ने जर्मनी को कई बेहतरीन स्टार फुटबॉलर दिए है, जिनमें क्रिश्चन जिएगी, माइकल ब्लैक, स्टीफेन फ्रेउंड प्रमुख हैं.
असल में जर्मन फुटबॉल लीग अमेरिका के नेशनल कॉलेजिएट एथलेटिक एसोसिएशन (NCAA) पर आधारित है. यह अमेरिका और कनाडा में कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में एथलेटिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है. इससे कुल 1,281 संस्थान, सम्मेलन, एथलीट जुड़े हुए हैं. इस लीग को पहले अमेरिका फुटबॉल बुंडेस्लिगा के नाम से जाना जाता था, जिसके बाद इसे फुटबाल लीग बुलाया जाने लगा.
जर्मन फुटबॉल लीग के कुछ बेहतरीन क्लब:
1) वेर्डर ब्रेमेन: यह क्लब 1899 में स्थापित किया गया. इसमें 40,400 सदस्य हैं. यह क्लब फुटबॉल टीम के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. ब्रेमेन चार बार बुंडेस्लिगा चैंपियनशिप जीत चुका है, जबकि DFB-पोकल में इसने 6 बार जीत हासिल की है. हालांकि यह क्लब 2010-2011 के बाद से किसी यूरोपीय प्रतियोगिता में नहीं गया.
2) बेयर्न म्यूनिख: यह जर्मन फुटबॉल लीग में शीर्ष स्तर की टीम है. यह जर्मन फुटबॉल के इतिहास में सबसे सफल क्लब है. इस क्लब ने 24 राष्ट्रीय खिताब और 17 राष्ट्रीय कप जीते हैं. यह क्लब अपने पेशेवर फुटबॉल टीम के लिए जाना जाता है. इस क्लब की नींव 1900 में रखी गई थी.
3) हैम्बर्ग एसवी: इस क्लब की स्थापना 126 साल पहले 1887 में हुई थी. एचएसवी जर्मन नेशनल चैम्पियनशिप में छह बार, DFB-पोकल में तीन बार और लीग कप दो बार जीत हासिल कर चुका है. एचएसवी को फोर्ब्स ने दुनिया में 20 सबसे बड़ी फुटबॉल क्लबों में शामिल किया है. इस क्लब के 70,000 से ज्यादा सदस्य हैं.
4) बोरुसिया डॉर्टमंड: साल 1909 में स्थापित यह क्लब आठ बार जर्मन फुटबॉल चैंपियनशिप, तीन DFB-पोकल, चार DFL-सुपर कप, एक UEFA चैंपियंस लीग, एक UEFA कप और एक इंटरकांटिनेंटल कप जीता चुका है. 1966 में क्लब के कप विनर्स ने इसे एक यूरोपीय खिताब जीतने वाला पहला जर्मन क्लब बनाया.
5) VfB स्टटगार्ट: इस क्लब की स्थापना 1893 में हुई थी. स्टटगार्ट पांच बार नेशनल चैपिंयनशिप और तीन बार DFB-पोकल जीत चुका है. सितंबर 2011 तक इस क्लब के 45,636 सदस्य थे.
6) fc कोलन: एफसी कोलन की स्थापना 1948 में हुई थी. इस क्लब का निक-नेम बिली गोट्स है. इस क्लब ने 4 बार जर्मन नेशनल चैम्पियनशिप और 4 बार DFB-पोकल जीता है.
खिलाड़ी जिन्होनें निभाई अहम भूमिका:
1) मैनुअल न्योर ने वर्ल्ड कप 2014 में गोल्डन ग्लोब अवार्ड जीता. वह जर्मनी फुटबॉल लीग में बेयर्न म्यूनिख क्लब की तरफ से खेलते हैं. उन्हें टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर भी घोषित किया गया.
2) विनिंग गोल करने वाले मारियो गोट्जे भी बेयर्न म्यूनिख क्लब और जर्मन नेशनल टीम की तरफ से खेलते हैं. मारियो जर्मनी के अटैकिंग मिडफील्डर हैं. वे बेयर्न म्यूनिख के दूसरे सबसे महंगे खिलाड़ी भी हैं. साल 1966 में वोल्फगैंग वेबर के बाद वह वर्ल्डकप के फाइनल में सबसे कम उम्र के स्कोरर हैं.
3) मिरोस्लाव क्लोज सेमीफाइनल मुकाबले में ब्राजील के खिलाफ गोल करने के साथ ही वर्ल्ड कप के इतिहास में टॉप स्कोरर बन गए. उन्होंने कुल 16 गोल किए. मिरोस्लाव इटालियन सेरीई A के लिए एक स्ट्राइकर और जर्मन नेशनल टीम के लिए खेलते हैं. क्लोज 71 गोल के साथ जर्मनी के टॉप स्कोरर हैं. उन्होंने 2002 में अपने पहले वर्ल्ड कप में पांच गोल किए थे और गोल्डन बूट के हकदार बने थे.
4) थॉमस मुलर बेयर्न म्यूनिख और जर्मन नेशनल टीम के लिए खेलते हैं. मुलर एक अटैकिंग मिडफील्डर और सेकेंड स्ट्राइकर हैं. मुलर वर्ल्ड कप में लगातार 5 गोल करने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं.
5) सामी खेदिरा रियल मैड्रिड और जर्मन नेशनल टीम के लिए खेलते हैं. वह एक ही सीजन में यूरोपियन कप/चैम्पियंस लीग और वर्ल्ड कप जीतने वाले 10वें खिलाड़ी बन गए हैं.