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एशियाड: भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा से इतिहास रचने की उम्मीद

एथलेटिक्स की भाला फेंक प्रतियोगिता में भारत ने एशियन गेम्स में कभी गोल्ड मेडल नहीं जीता है. 20 साल के नीरज चोपड़ा से इतिहास रचने की उम्मीद की जा रही है. 

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नीरज चोपड़ा
नीरज चोपड़ा

18वें एशियाई खेलों में एथलेटिक्स इवेंट्स में भारत के भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा पर उम्मीदें टिकी हैं. नीरज कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश को पदक दिला चुके हैं. लेकिन इस बार उनके सामने बड़े मंच पर खुद को साबित करने की चुनौती है. नीरज का यह पहला एशियाड है, इसलिए वो इसे यादगार बनाने के लिए विदेश से ट्रेनिंग लेकर इंडोनेशिया पहुंचे हैं.

भारत का कोई भी भाला फेंक खिलाड़ी कभी एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल नहीं जीत सका है. उम्मीद है कि 20 साल के चोपड़ा नया इतिहास रचने में सफल होंगे. अंडर-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज के लिए यहां चुनौती किसी भी लिहाज से आसान नहीं होने वाली है. उनका मुकाबला एशिया के बड़े-बड़े धुरंधरों से होगा.

चेंग चाओ सुन से मिलेगी चुनौती

हरियाणा के रहने वाले नीरज ने इस साल मई में दोहा में डायमंड लीग में 87.43 मीटर भाला फेंका है. उन्हें चीनी ताइपे के चेंग चाओ सुन से कड़ी चुनौती मिलेगी, जिनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 91.36 है जो उन्होंने पिछले साल हासिल किया था. सुन हालांकि इस सत्र में सिर्फ 84.60 मीटर ही भाला फेंक पाए हैं. वह कोहनी की चोट से जूझ रहे हैं. पुरुषों के भाला फेंक का फाइनल 27 अगस्त को होगा. भारत की तरफ से भाला फेंक में आखिरी पदक 1982 में नई दिल्ली में गुरतेज सिंह ने कांस्य पदक के रूप में जीता था.

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अनु रानी को मिली टीम में जगह

महिलाओं में भाला फेंक स्पर्धा में भारत की अनु रानी अपना दावा पेश करेंगी. उन्हें एशियाई खेलों में जाने की अनुमति मिल गई है. विवादास्पद ट्रायल के कारण उन्हें बाहर कर दिया गया था. एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने लखनऊ में हुई रेलवे मीट के दौरान उनके प्रदर्शन के आधार पर  उन्हें जाने की अनुमति दे दी है.

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