इंडिया अंडर 19 क्रिकेट टीम के कप्तान उन्मुक्त चंद ने शुक्रवार को स्टीफेंस कॉलेज से अपनी लड़ाई में जीत हासिल कर ली. दिल्ली विश्वविद्यालय ने उन्हें द्वितीय वर्ष में जाने की इजाजत दे दी, हालांकि उन्हें अपने प्रथम वर्ष की परीक्षाएं आगामी सेमेस्टरों में उत्तीर्ण करनी होगी.
विश्वविद्यालय ने उनके मामले को ‘दुर्लभ में दुर्लभतम’ माना है.
कुलपति दिनेश सिंह ने उन्मुक्त को द्वितीय वर्ष में पढ़ाई करने की इजाजत दे दी.
गौरतलब है कि कॉलेज में उनमुक्त की उपस्थिति कम होने के चलते उन्हें परीक्षा में बैठने से रोकने के फैसले पर काफी हंगामा हुआ था, जिसके बाद मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने इस मामले में हस्तक्षेप किया. उन्होंने इस सिलसिले में कुलपति को फोन किया था.
सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि उन्मुक्त को तीसरे और चौथे सेमेस्टर के दौरान पहले के दो सेमेस्टरों की बची हुई परीक्षाओं में उतीर्ण होने की इजाजत होगी.
उन्मुक्त ने कॉलेज के खिलाफ इस सिलसिले में दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था.
सिंह ने कहा, ‘उन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया है. हम इस बात को स्वीकार करेंगे.’ उन्होंने कहा, ‘कॉलेज ने इसे हमारे संज्ञान में नहीं दिया था. हमने पहले ही उनकी मदद कर दी होती. कोई भी, यहां तक कि उन्मुक्त भी मेरे पास नहीं आए. काश, वह हमारे पास पहले आए होते.’ गौरतलब है कि सिब्बल ने वीरवार को सिंह और कॉलेज के प्राचार्य वालसन थम्पू से बात की थी.