लंदन खेलों में पदक जीतकर लगातार ओलंपिक में पदक जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले पहलवान सुशील कुमार विभिन्न ब्रांड के लिये शूटिंग में व्यस्त हैं लेकिन उनका कहना है कि कैमरे का सामना करने से ज्यादा आसान कुश्ती लड़ना है.
लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले सुशील ने कहा, ‘मैं अपने खेल में माहिर हूं लेकिन कैमरे का सामना करना थोड़ा मुश्किल है. शुरू में यह थोड़ा चुनौतीपूर्ण था. लेकिन जैसे मैंने अपने खेल में महारथ हासिल कर ली है, वैसे ही मैं कैमरे से भी निपटने की कोशिश कर रहा हूं.’
यह पूछने कि क्या ‘सुशील कुमार’ ब्रांड ने उन्हें अलग सोचने के लिये बाध्य कर दिया है तो दिल्ली के इस पहलवान ने अपने दोस्त योगेश्वर दत्त एंड कंपनी के साथ छत्रसाल स्टेडिम में फुटबॉल मैच खेलने के बाद मैदान से बाहर निकलकर नहीं में जवाब दिया.
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि अलग बर्ताव करने का यह कोई कारण है. मैं परिवार में ऐसा एक ही हूं इसलिये इस तरह से सोचने का सवाल ही नहीं उठता.’
सुशील ने कहा कि उन्होंने इन प्रायोजकों को हासिल करने में काफी कड़ी मेहनत की है. इस 29 वर्षीय पहलवान ने कहा, ‘यहां तक पहुंचने के लिये काफी कड़ी मेहनत की गयी है. यह काफी थकाउ यात्रा रही है. मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत है क्योंकि जब तक आप अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाये हो, इससे असर नहीं पड़ेगा.’
यह पूछने पर कि क्या पहलवानों को आत्ममुग्धता से बचने की जरूरत है क्योंकि भारतीय मुक्केबाज बीजिंग ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद लंदन खेलों में एक भी तमगा हासिल नहीं कर सके तो सुशील ने कहा कि अगले चार साल भी पिछले वर्षों से अलग नहीं होंगे.
सुशील ने कहा, ‘हम अपने काम पर पूरी तरह ध्यान लगाये थे, हमने लंदन खेलों के लिये सचमुच काफी कड़ी मेहनत की थी. मुझे नहीं लगता कि आने वाले साल भी कुछ अलग होंगे.
हमने पहले भी किया है और मुझे रियो डि जेनेरियो ओलंपिक में ऐसा नहीं करने का कोई कारण नहीं दिखता.’