भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने पेरिस ओलंपिक 2024 में सिल्वर मेडल हासिल किया. 8 अगस्त (गुरुवार) को पेरिस के स्टेड डी फ्रांस में खेले गए फाइनल में नीरज ने अपने दूसरे प्रयास में 89.45 मीटर दूर जैवलिन फेंका. यह इस सीजन नीरज का सबसे बेस्ट थ्रो रहा. नीरज ने लगातार दूसरे ओलंपिक गेम्स में मेडल जीता है. नीरज एक गोल्ड और एक सिल्वर जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं. मेडल जीतने के बाद नीरज ने इंडिया टुडे, आजतक से खास बातचीत की. उन्होंने कई सवालों का खुलकर जवाब दिया. नीरज चोपड़ा ने बताया कि जैवलिन थ्रोअर में Jan Zelezny उनके रोल मॉडल हैं. Zelezny के थ्रो देखना उन्हें अच्छा लगता है.
नीरज से पूछा गया कि मैच खेलने के पहले और मैच जीतने के बाद वह क्या फर्क देखते हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कल और आज में फर्क है. कल मैं मेडल जीतने के लिए खेल रहा था, कल मैं सोच रहा था कि अपने देश के लिए कुछ करना है और मेडल जीतना है और आज मैच खत्म हो चुका है, तो मैं सिल्वर मेडल जीत चुका हूं. अब डिसाइड हो चुका है और आने वाले मैच में क्या करना है, अब यह सोचना है.
क्या कंधे पहले से कुछ हल्के लग रहे हैं?
इस सवाल के जवाब में नीरज चोपड़ा ने कहा कि कंधे तो फिर से भर जाएंगे, फिर खेलूंगा फिर कंधे भर जाएंगे. अगले साल वर्ल्ड चैंपियनशिप आ जाएगा, फिर कोई नया टूर्नामेंट आ जाएगा, ये सिलसिला तो चलता रहेगा. जब तक शरीर साथ दे रहा है तब तक अच्छे से खेलते रहेंगे.
नीरज चोपड़ा खाली समय में क्या करते हैं?
उन्होंने कि यह डिपेंड करता है कि मैं कहां हूं. अगर मैं घर पर हूं तो मैं कोशिश करता हूं कि परिवार वालों के साथ समय बिताऊं. घर पर समय दूं. घर पर खाना खाऊं. अगर मैं पटियाला होता हूं तो कभी वॉलीबॉल का मैच खेलने चला जाता हूं कभी बाहर घूमने चला जाता हूं.
नीरज चोपड़ा की मां ने कहा है कि जिसने गोल्ड जीता वह भी हमारा बच्चा है. इस सवाल के जवाब में नीरज ने कहा कि मां भोली-भाली है. उसे इंडिया पाकिस्तान का बैकग्राउंड नहीं मालूम है. उसे यह नहीं मालूम की सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है. वह नहीं जानती न्यूज में क्या चल रहा है. वह सीधी-साधी है. उसके मन में जो आया उसने बोल दिया.
मेडल जीतने के बाद अच्छे ब्रांड्स से फाइनेंशियल सपोर्ट मिलता है?
इंडिया टुडे से खास बातचीत में नीरज चोपड़ा ने कहा कि यह एथलीट्स और ब्रांड दोनों के लिए अच्छा है. दोनों एक दूसरे के साथ जुड़कर काम करते हैं. कुछ ऐसे एथलीट्स हैं जो वर्ल्ड क्लास के लिए खेलते हैं और किसी ने किसी ब्रांड के साथ जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि पहले यह चीज कम थी पर अभी यह ज्यादा होने लगी है. इससे फाइनेंशियल सपोर्ट भी मिलता है. यह अच्छी चीज है. इससे खिलाड़ी थोड़े स्टेबल हो जाते हैं.