भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 195 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी और गृह मंत्री अमित शाह गांधी नगर से चुनाव लड़ेंगे. देखा जाए तो बीजेपी की पहली लिस्ट में कई युवा चेहरों को भी जगह मिली है. देवेंद्र झाझरिया का नाम भी इसमें शामिल है.
देवेंद्र झाझरिया को राजस्थान की चूरू लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है. 42 साल के झाझरिया खेल जगत का एक जाना-पहचाना नाम हैं और वह पैरा भाला फेंक एथलीट (जैवलिन थ्रोअर) रह चुके हैं. झाझरिया का जन्म चुरू में हुआ था और अब वह थार रेगिस्तान के प्रवेश द्वार के तौर पर जाने जाने वाले चूरू से ही अपनी राजनीति पारी का भी आगाज करेंगे. इस क्षेत्र को गर्मी और सर्दी के मौसम में अपने रिकॉर्ड तापमान के लिए भी जाना जाता है.
...जब झाझरिया ने गंवा दिया एक हाथ
देवेंद्र झाझरिया की कहानी काफी मार्मिक है. झाझरिया ने महज आठ साल की उम्र में एक पेड़ पर चढ़ते समय बिजली के तार के संपर्क में आने के बाद अपना बायां हाथ गंवा दिया था, लेकिन इसके बावजूद उनके हौसले में कोई कमी नहीं आई और आगे चलकर भारत का नाम रोशन किया. झाझरिया को खेल के दौरान भी कई मुश्किलों से गुजरना पड़ा. झाझरिया को जब अपने पिता के कैंसर से ग्रसित होने का पता चला तो उन्होंने एक समय खेल को अलविदा कहने का मन बना लिया था.
उनके पिता राम सिंह ने हालांकि उन्हें खेल पर ध्यान देने की सलाह दी थी. पिता की बात मानते हुए झाझरिया ने खेल पर ध्यान देना शुरू किया. खेल की वजह से वह आखिरी लम्हों में अपने पिता के साथ नहीं रह सके. वह 2020 में राष्ट्रीय स्तर की एक प्रतियोगिता के दौरान पदक जीतने के बाद पिता की याद में भावुक हो गए थे. झाझरिया ने इससे पहले पैरालंपिक से उनके वर्ग की स्पर्धा को हटाने के बाद भी खेल को अलविदा कहने का मन बनाया था. एफ46 भाला फेंक 2008 और 2012 पैरालंपिक का हिस्सा नहीं था.
देवेंद्र झाझरिया की पत्नी और राष्ट्रीय स्तर की कबड्डी खिलाड़ी मंजू ने उन्हें खेल जारी रखने का हौसला दिया. इसके बाद कोच रिपु दमन सिंह ने उन्हें अपने कौशल में सुधार करने में काफी मदद की. राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने के अपने फैसले के साथ वह एक और बड़ा लक्ष्य हासिल करना चाहेंगे. चूरू में भाजपा 1999 से चुनाव जीतती आ रही है और अब देवेंद्र अपनी पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरने की कोशिश करेंगे.
ऐसा करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी
देवेंद्र झाझरिया पैरालंपिक खेलों में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट हैं. झाझरिया ने 2004 एथेंस और 2016 रियो पैरालंपिक में एफ46 दिव्यांग श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता था. एफ46 वर्ग में बांह की कमी और हाथ के कमजोर मांसपेशियां वाले खिलाड़ियों के लिए है. झाझरिया टोक्यो पैरालंपिक खेलों में रजत और आईपीसी विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक भी जीत चुके हैं.
द्रेवेंद्र झाझरिया को 2012 में पद्म श्री से सम्मानित किया था. तब पहली बार किसी पैरा-एथलीट को ये सम्मान मिला. उन्हें 2017 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और 2022 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था. उन्हें चुरू से उम्मीदवार बनाए जाने की खबरें तब आई हैं, जब वह भारतीय पैरालंपिक समिति (PCI) का अध्यक्ष बनने की तैयारी कर रहे हैं. वह पीसीआई में अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन करने वाले इकलौते उम्मीदवार हैं.