हमारी स्पोर्ट्स टीम ने फुटबॉल खेल को लेकर एक सीरीज चलाई है, जिसमें आपको इस खेल के नियम, इतिहास से जुड़ी कहानियां, बड़े टूर्नामेंट, लीग, क्लब और नेशनल टीमों के बारे में बताया जा रहा है. आपने अब तक फुटबॉल के बेसिक नियम और इस खेल की प्रकृति को जाना है. इसका इतिहास भी जान लिया है.
हमने आपको बताया है कि एक फुटबॉल मैच 90 मिनट का होता है, जिसे 45-45 मिनट के दो हाफ में खेला जाता है. बीच में 15 मिनट का ब्रेक होता है. आज हम जानेंगे कि यदि कोई मैच 90 मिनट के बाद भी बराबरी के साथ ड्रॉ पर खत्म होता है, तब क्या होता है.
... इस तरह के मैचों को ड्रॉ पर ही छोड़ देते हैं
इसमें पहली बात यह समझने की है कि यदि किसी लीग या टूर्नामेंट में ग्रुप स्टेज के मैच या सामान्य फ्रेंडली मैच खेले जा रहे हैं, तो मैचों को ड्रॉ पर ही खत्म कर दिया जाता है. इसमें नतीजा निकालने के लिए एफर्ट नहीं लगाया जाता. यदि किसी बड़े टूर्नामेंट या लीग में जब नॉकआउट मुकाबलों की बात आती है, जैसे क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल या फाइनल, तब निर्धारित समय में मैच टाई होने की स्थिति में दो तरह से नतीजा निकाला जाता है.
मैच में एक्स्ट्रा टाइम दिया जाता है
पहला तरीका तो यह होता है कि मैच में एक्स्ट्रा टाइम दिया जाता है, ताकि मैच का नतीजा निकल सके. यह एक्स्ट्रा टाइम 15-15 मिनट के दो हाफ में हो सकता है. इस एक्स्ट्रा टाइम में जो भी टीम ज्यादा गोल करती है, वह विनर मानी जाती है. एक्स्ट्रा टाइम में किए गए गोल को टीम के कुल स्कोर में भी जोड़ा जाता है.
फिर नतीजा नहीं निकला, तो पेनल्टी शूटआउट
यदि एक्स्ट्रा टाइम में भी मैच का नतीजा नहीं निकलता है, तब मैच को पेनल्टी शूटआउट में ले जाया जाता है. इसमें दोनों टीम को 5-5 मौके मिलते हैं, जिसमें गोलपोस्ट के पास बने पेनल्टी निशान से खिलाड़ियों को बारी-बारी से गोल करने होते हैं. जो टीम ज्यादा गोल करती है, वह विनर होती है. यह पेनल्टी शूटआउट तब तक चलता है, जब तक नतीजा नहीं निकलता. हालांकि पेनल्टी शूटआउट में किए गए गोल, टीम के कुल गोल स्कोर में नहीं जोड़ा जाता है. यह पेनल्टी शूटआउट सिर्फ नतीजा निकालने के लिए होता है.