टीम इंडिया ने इस साल विदेशी धरती पर शानदार प्रदर्शन किया है. इंग्लैंड के खिलाफ जारी टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम दो मैच जीतकर सीरीज जीतने की दहलीज पर खड़ी है. वहीं, इस साल की शुरुआत में टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में धूल चटाई थी. भारतीय खिलाड़ियों की इस कामयाबी के पीछे उनकी मेहनत और लगन को कतई खारिज नहीं किया जा सकता है. लेकिन खिलाड़ियों के इस सफलता के पीछे भारतीय थिंक टैंक (सपोर्ट स्टाफ) का भी अहम रोल होता है.
टीम में इनकी भूमिका भी खिलाड़ियों जितनी ही महत्वपूर्ण होती है. इनका लक्ष्य क्रिकेटरों को शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से लगातार फिट रखना होता है. ये सपोर्ट स्टाफ भले ही सुर्खियों में नहीं होते, लेकिन पर्दे के पीछे से टीम की सफलता का स्क्रिप्ट इन्हीं के द्वारा लिखा जाता है.
लेकिन इंग्लैंड दौरे के आखिर में भारतीय सपोर्ट स्टाफ मुश्किल में हैं. मैनचेस्टर टेस्ट से पहले सहयोगी स्टाफ का एक अन्य सदस्य (फिजियो योगेश परमार) कोरोना पॉजिटिव पाया गया है. मुख्य कोच रवि शास्त्री और फिजियो नितिन पटेल के अलावा फील्डिंग कोच आर. श्रीधर और गेंदबाजी कोच अरुण भी संक्रमित पाए जाने के बाद लंदन में पृथकवास में हैं. हालांकि सभी भारतीय खिलाड़ियों की कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आई है, ऐसे में मैच तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ सकता है.
योगेश परमार के पॉजिटिव आने से टीम के पास अब एक भी फिजियो नहीं है. पता चला है कि बीसीसीआई ने ईसीबी से फिजियो की सेवाएं मुहैया कराने के लिए कहा है.
आइए जानते हैं भारतीय क्रिकेट टीम के 'थिंक टैंक' के बारे में-
1. हेड कोच: रवि शास्त्री
पूर्व भारतीय क्रिकेटर रवि शास्त्री किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. वह वर्तमान में भारतीय टीम के मुख्य कोच के साथ ही टीम प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं. शास्त्री पहली बार 2007 में बतौर मैनेजर भारतीय टीम के साथ जुड़े. उनका पहला दौरा बांग्लादेश का रहा था. 2014-16 तक रवि शास्त्री ने टीम इंडिया के डायरेक्टर के तौर पर काम किया. फिर 2017 में उन्हें भारतीय टीम का मुख्य कोच बना दिया गया. रवि शास्त्री ने अपनी कोचिंग में भारतीय टीम को नए मुकाम तक पहुंचाया है. 2018-19 में शास्त्री की देखरेख में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर पहली बार 2-1 से टेस्ट सीरीज जीती थी.
2. बल्लेबाजी कोच: विक्रम राठौड़
विक्रम राठौड़ का घरेलू क्रिकेट में शानदार रिकॉर्ड रहा है, लेकिन वह इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने में नाकामयाब रहे. राठौड़ 1996 से 1997 के बीच भारत के लिए महज 6 टेस्ट और 7 वनडे मैच खेल सके. 2019 में राठौड़ को संजय बांगड़ की जगह टीम का बल्लेबाजी कोच नियुक्त किया गया था. वह इससे पहले संदीप पाटिल के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय चयनसमिति के सदस्य भी रह चुके थे. राठौड़ ने अजिंक्य रहाणे और रविचंद्रन अश्विन जैसे खिलाड़ियों को अपनी बैटिंग तकनीक को सुधारने में काफी सहायता की है. साथ ही वह शुभमन गिल और पृथ्वी शॉ जैसे युवा खिलाड़ियों के टैलेंट को निखारने में सफल रहे हैं.
3. भरत अरुण: गेंदबाजी कोच
टीम इंडिया का वर्तमान गेंदबाजी आक्रमण अभी जितना खतरनाक है, उतना यह पहले कभी नहीं रहा. इस सफलता का वास्तविक श्रेय भरत अरुण को जाता है, जिन्होंने टीम के गेंदबाजी पहलुओं को फिर से परिभाषित किया है. भारत के लिए महज दो टेस्ट और चार वनडे खेलने वाले अरुण को 2017 में टीम का बॉलिंग कोच चुना गया था. आर अश्विन, जसप्रीत बुमराह, और राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने वाले अधिकांश तेज और स्पिन गेंदबाजों को बतौर कोच उनके प्रयासों से काफी फायदा पहुंचा है. अरुण 2012 में आईसीसी अंडर-19 विश्व कप विजेता टीम के भी कोच रह चुके हैं.
4. फील्डिंग कोच: आर. श्रीधर
ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान भारतीय खिलाडियों ने कई कैच छोड़े थे, जिसके चलते फील्डिंग कोच आर. श्रीधर की काफी आलोचना हुई थी. हालांकि उसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज के साथ ही इंग्लिश जमीं पर भी टीम के क्षेत्ररक्षण में भी काफी निखार आया है. पिछले कुछ वर्षों में विकेटकीपर ऋषभ पंत के साथ आर श्रीधर ने काफी मेहनत की है, जो अब रंग ला रही है. बल्लेबाजी के साथ ही अब पंत की विकेटकीपिंग में भी काफी सुधार देखने को मिला है.
5. फिजियो: नितिन पटेल और योगेश परमार
राष्ट्रीय टीम के साथ फीजियोथेरेपिस्ट नितिन पटेल का प्रारंभिक कार्यकाल(2007-15) आठ वर्षों तक चला. इसके बाद पटेल ने एक दशक से अधिक समय तक आईपीएल की सबसे सफल फ्रेंचाइजी मुंबई इंडियंस के लिए काम किया. 2019 में नितिन पटेल को पैट्रिक फरहार्ट की जगह एक बार फिर भारतीय टीम का फिजियो चुना गया था. पटेल के अलावा फिजियो योगेश परमार भी टीम के साथ जुड़े हुए हैं. दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल परमार ने राष्ट्रीय टीम के साथ न्यूजीलैंड जाने से इनकार कर दिया था. क्योंकि हार्दिक पंड्या, भुवनेश्वर कुमार और शिखर धवन जैसे खिलाड़ी उनकी देखरेख में रिहैबिलिटेशन के दौर से गुजर रहे थे.
6. थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट: रघुवेंद्र, नुवान और दयानंद
रघुवेंद्र को भारतीय खिलाड़ी 'रघु' कहकर पुकारते हैं. लगभग 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकने की अपनी अनूठी क्षमता के कारण रघु ने भारतीय दल में अपनी अलग पहचान बनाई है. वहीं, श्रीलंका के नुवान सेनेविरत्ने ने केवल दो प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं. सेनेविरत्ने को नियुक्त करने का मकसद बाएं हाथ के तेज गेंदबाजों के खिलाफ बेहतर अभ्यास हासिल करना था. दयानंद गरानी की बात करें, तो वह आईपीएल 2020 सीजन में किंग्स इलेवन पंजाब के साथ काम कर चुके हैं. दयानंद में दोनों हाथों से गेंदबाजी करने की अद्भुत क्षमता है. उन्होने बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) में प्रशिक्षण भी लिया है.
7. मसाज थेरेपिस्ट: अरुण कनाडे और राजीव कुमार
अरुण कनाडे को रमेश माने के स्थान पर टीम का मसाज थेरेपिस्ट नियुक्त किया गया था. गौरतलब है कि रमेश माने ने लगभग एक दशक तक भारतीय टीम के साथ काम किया था और खिलाड़ी उन्हें प्यार से 'माने काका' कहकर बुलाते थे. अरुण कनाडे ने एक फ्रीलांसर के रूप काम में शुरू किया था, लेकिन अब वह टीम प्रबंधन का एक अहम हिस्सा हैं. एक प्रसिद्ध मसाजर राजीव कुमार भी टीम के साथ जुड़े हुए हैं.
8. अनुकूलन विशेषज्ञ: निक वेब और सोहम देसाई
टीम के अनुकूलन विशेषज्ञ निक वेब और सोहम देसाई खिलाड़ियों की फिटनेस पर काफी काम करते हैं. इससे पहले निक वेब न्यूजीलैंड की महिला क्रिकेट टीम के ट्रेनर रह चुके हैं. साथ ही वेब ने न्यूजीलैंड की प्रथम श्रेणी की टीम सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट और स्थानीय रग्बी टीम के साथ काम किया है. वहीं, सोहम देसाई गुजरात रणजी टीम की फिटनेस पर भी काम कर चुके हैं. सोहम की फिटनेस गजब की है. वो जिम में खिलाड़ियों के साथ ही खुद पर भी काफी मेहनत करते हैं. खुद भारतीय कप्तान विराट कोहली ने निक वेब और सोहम देसाई के काम की तारीफ की थी.
9. वीडियो एनालिस्ट: हरि प्रसाद मोहन
भारतीय टीम के प्रदर्शन में वीडियो एनालिस्ट की अहम भूमिका रहती है. वर्तमान में यह रोल हरि प्रसाद मोहन निभा रहे हैं, जो भारतीय खिलाड़ियों के साथ ही विरोधियों का वीडियो फुटेज रखने में व्यस्त रहते हैं. इससे उन्हें गेंदबाजों और बल्लेबाजों की कमियों का पता चल जाता है. हरि प्रसाद अक्सर चेंजिंग रूम में सहयोगी कोचों के साथ रणनीति बनाते हुए देखे जा सकते हैं.