भारतीय क्रिकेट के इतिहास में 49 साल पहले आज ही का दिन (17 जनवरी, 1973) था, जब इंग्लैंड को चेन्नई टेस्ट में 4 विकेट से करारी शिकस्त दी थी. यह जीत तो खास थी ही, लेकिन इससे भी हटकर मैच में कुछ ऐसी बातें हुईं, जो काफी खास रहीं. आज हम इन्हीं पर बात करने वाले हैं.
उस टेस्ट में ऐसा पहली ही बार हुआ था जब भारतीय गेंदबाजी की शुरुआत एकनाथ सोल्कर और सुनील गावस्कर ने की थी. खास बात यह थी कि दोनों स्पेशलिस्ट बॉलर नहीं थे. इस टेस्ट के शुरुआती 3 ओवर इन दोनों ने ही किए थे. पहला ओवर बाएं हाथ के गेंदबाज एकनाथ सोल्कर ने डाला था (सोलकर मध्यम गति और स्पिन दोनों तरह की गेंदें डालते थे). जबकि दूसरे छोर से सुनील गावस्कर को लगाया गया था. हालांकि गावस्कर भी स्पेशलिस्ट बॉलर नहीं थे, वह दाएं हाथ से मध्यम और स्पिन गेंदें करते थे. गावस्कर टेस्ट में 10 हजार रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज थे.
चेन्नई टेस्ट में सोलकर-गावस्कर ने 5 ओवर डाले
तब भारतीय टीम के कप्तान अजीत वाडेकर ने एकनाथ और गावस्कर से पूरे टेस्ट में सिर्फ 5 ओवर गेंदबाजी ही कराई थी. दोनों को कोई विकेट नहीं मिला था. पहली पारी में एकनाथ ने दो ओवर में 13 रन और गावस्कर ने एक ओवर गेंदबाजी करते हुए 6 रन दिए थे. दूसरी पारी में भी कप्तान वाडेकर ने एकनाथ से ही बॉलिंग की शुरुआत कराई थी और तब उन्होंने दो ओवर किए और कोई रन नहीं दिया था.
इस टेस्ट में भगवत चंद्रशेखर ने 7 विकेट, इरापल्ली प्रसन्ना ने 6 विकेट और बिशन सिंह बेदी ने 6 विकेट लिए थे.सलीम दुर्रानी ने दूसरी पारी में एक विकेट झटका था. एकनाथ और गावस्कर को मैच में कोई विकेट नहीं मिला था. एकनाथ ने पूरे टेस्ट करियर में 1070 रन देकर 18 विकेट लिए, जबकि गावस्कर ने 206 रन देकर सिर्फ 1 ही विकेट लिया है.
इस टेस्ट से हुई थी नवाब पटौदी की वापसी
इस टेस्ट में एक खास बात यह भी थी कि करीब 3 साल बाद मंसूर अली खान की वापसी हुई थी. वे जूनियर नवाब पटौदी के नाम से फेमस हैं. इससे पहले नवाब पटौदी ने दिसंबर 1969 में टेस्ट खेला था. इसके बाद भारत सरकार ने उनका शाही खिताब छीन लिया था. इसके करीब 3 साल बाद वापसी हुई थी.