5 suggestions to save and popular Test cricket: क्या टेस्ट क्रिकेट वाकई अपनी लोकप्रियता खोता जा रहा है? दर्शक अब 5 दिनों तक टेस्ट मैच देखने के आदी नहीं रहे हैं? क्या खिलाड़ियों और क्रिकेट बोर्ड की प्राथमिकता अब टेस्ट मैच नहीं रहे हैं ? ऐसे कई सवाल टेस्ट मैच को लेकर उठे हैं. ऐसे ही कुछ सवालों को खंगालने की हमने कोशिश की है. साथ ही क्रिकेट के सबसे बड़े फॉर्मेट को आज के दौर में रोमांचक बनाने की तरकीब भी सुझाई गई है.
वैसे कोई दो राय नहीं है कि फ्रेंचाइजी क्रिकेट के उदय होने के बाद टेस्ट क्रिकेट के प्रति लोगों का झुकाव कम हुआ है. वहीं, क्रिकेट बोर्डों की टी20 निर्भरता, इन दिनों प्राथमिकताओं को बदल रही है.
न्यूजीलैंड के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए साउथ अफ्रीका की हालिया टीम की घोषणा हुई, जिसमें कई अनकैप्ड खिलाड़ी शामिल किए गए. यहां तक की कप्तान भी नया नवेला होगा. नील ब्रांड ने अब तक एक भी इंटरनेशनल मैच नहीं खेला है और वह दो टेस्ट मैचों में कप्तानी करेंगे. इसे लेकर क्रिकेट साउथ अफ्रीका (CSA) ने भी अपने पहली पसंद के खिलाड़ियों को रेड-बॉल असाइनमेंट के बजाय एसए20 में खेलने के अपने फैसले का बचाव किया.
पिछले कुछ सालों में वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (WTC) की शुरुआत हुई, जिसने टेस्ट क्रिकेट को आधुनिक युग में प्रवेश कराया. इस कारण टेस्ट मैचों की प्रासंगिकता कुछ हद तक ठीक भी हुई, फिर भी अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है. ऐसे में अब जान लीजिए कि कैसे टेस्ट क्रिकेट को बचाया जा सकता है.

एक टेस्ट सीरीज में होने चाहिए 3 टेस्ट
टेस्ट क्रिकेट के दूसरे फॉर्मेट (वनडे-टी20 इंटरनेशनल) के कैलेंडर साथ सामंजस्य बैठाना चाहिए. हालांकि क्रिकेटर कैलेंडर में इसे शामिल करना मुश्किल है, लेकिन आईसीसी को वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप में प्रत्येक सीरीज में कम से कम तीन टेस्ट शामिल करने का एक तरीका खोजना चाहिए.
टेस्ट मैच खेलने वाली तीन बड़ी टीमें ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और भारत एक-दूसरे से पांच मैचों की सीरीज खेलती हैं. वहीं, अन्य टीमें दो मैचों की सीरीज खेलती हैं. इससे कोई स्पष्ट विजेता नहीं मिलता है. हाल में भारत और साउथ अफ्रीका के बीच हाल ही में दो मैचों की सीरीज में तगड़ा कम्पटीशन देखने को मिला था. इसी का नतीजा था कि सीरीज 1-1 से बराबर रही थी.
भारत के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने दो मैचों की सीरीज को समय की बर्बादी करार दिया, जबकि पूर्व अफ्रीकी बल्लेबाज एबी डिविलियर्स ने भी अपने यूट्यूब चैनल पर शेड्यूल पर अपनी निराशा जताई थी.
टेस्ट मैच चार दिन का होना चाहिए
जब से टेस्ट मैचों में भी टी20 स्टाइल आया है, तब से ड्रॉ टेस्ट में भारी कमी आई है. ज्यादातर टेस्ट मैच पांच दिनों के अंदर भी खत्म हो गए हैं. कई पूर्व खिलाड़ियों ने टेस्ट मैचों को घटाकर चार दिन का करने की वकालत कर चुके हैं. चार दिवसीय मैच कई देशों के घरेलू सर्किट में भी देखे जाते हैं, वहीं जब 'ए' टीमें अनौपचारिक टेस्ट (अनऑफिशियल टेस्ट में) में एक-दूसरे का सामना करती हैं.
ऑस्ट्र्रेलिया के दिग्गज मार्क टेलर ने 2023 के बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के दौरान कहा था कि टेस्ट मैच 4 दिन का होना चाहिए. टेलर ने कहा था- खिलाड़ियों को खेल के बीच तीन दिन की छुट्टी पसंद है, इसलिए चार दिवसीय टेस्ट मैच सही काम कर सकते हैं. खिलाड़ियों को गुरुवार, शुक्रवार शनिवार, और रविवार, या शुक्रवार से सोमवार खेलना चाहिए. इसके बाद खिलाड़ियों की तीन दिन की छुट्टी होनी चाहिए. इसके बाद खिलाड़ी दोबारा अगले मैच को खेलने के लिए आ सकते हैं.

गरीब क्रिकेट बोर्ड को मिलना चाहिए फंड
जब टेस्ट क्रिकेट की बात आती है तो निचली रैंकिंग वाली टीमों में प्रोत्साहन की भारी कमी दिखती है. सैलरी से लेकर ब्रॉडकास्टिंग डील तक में बड़ा अंतर नजर आता है. अगर टेस्ट की तुलना टी-20 लीग से की जाए तो भी इसमें साफ अंतर दिखाता है.
आईसीसी के रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल की पिछले कुछ सालों में पहले ही काफी आलोचना हुई है. ऐसे में बड़े और टॉप क्रिकेट बोर्ड अगर गरीब और संघर्षरत क्रिकेट बोर्डों की मदद के लिए आगे आएं, फिर इससे काफी मदद मिलेगी. इससे उनको आर्थिक तौर पर भी कोई नुकसान नहीं होगा.
स्टीव वॉ ने हाल में साउथ अफ्रीकी टीम की घोषणा के बाद कहा थाा कि आईसीसी या कोई जल्द ही टेस्ट क्रिकेट के हित के लिए कोई कदम नहीं उठाता है तो मानिए आप खुद को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के खिलाफ परख नहीं रहे हैं. मुझे मालूम है कि खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट खेलने क्यों नहीं आते हैं, क्योंकि उन्हें उचित भुगतान नहीं मिल रहा है.
मुझे समझ में नहीं आता कि आईसीसी या टॉप देश, जो बहुत पैसा कमा रहे हैं, उनके पास टेस्ट मैचों के लिए रेगुलेशन फीस क्यों नहीं है. इसी कारण खिलाड़ी टी10 या टी20 खेलें रहे हैं. वॉ ने हाल में यह भी कहा था कि पाकिस्तान और न ही वेस्टइंडीज ने टेस्ट सीरीज के लिए अपनी पूरी ताकत वाली टीमें ऑस्ट्रेलिया भेजीं, उन्हें डर है कि यह प्रवृत्ति जारी रहेगी.
खिलाड़ियों के लिए समान वेतन
टेस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए एक और लोकप्रिय सुझाव जो सामने रखा गया है वह है सभी खिलाड़ियों के लिए समान वेतन मिले. अमीर क्रिकेट बोर्डों ने पुरुषों और महिलाओं की टीमों को एक समान वेतन देना शुरू कर दिया है, पर इसमें भी अभी थोड़ी जटिलता है. हालांकि इस कॉन्सेप्ट को यह सुनिश्चित करने के लिए लागू किया जा सकता है कि टेस्ट मैच खेलने वाले सभी खिलाड़ियों को वित्तीय दृष्टिकोण से समान रूप फायदा मिलेगा.
हाल में इस बारे में पाकिस्तान टीम के निदेशक मोहम्मद हफीज ने ऑस्ट्रेलिया में कहा था, 'मेरा एक सुझाव ICC के लिए है जैसे वे दुनिया भर में T20 क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए T20 NOC को मंजूरी दे रहे हैं, इसी तरह, टेस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए, टेस्ट क्रिकेट को प्राथमिकता में रखने के लिए, उन्हें सभी बोर्डों के लिए एक मानक मैच फीस लाने के बारे में जरूर सोचना चाहिए. इसलिए हर खिलाड़ी को, चाहे वह ऑस्ट्रेलिया से हो या टेस्ट खेलने वाले किसी भी देश से, सभी को समान सैलरी मिलनी चाहिए.'
अलग-अलग स्तर (टियर) में हों मैच
टेस्ट क्रिकेट में रोमांच पैदा करने के लिए अलग-अलग डिवीजनों की शुरूआत इस फॉर्मेट को पुनर्जीवित करने का काम कर सकती है. जब रेड-बॉल क्रिकेट की बात आती है तो निचली रैंक वाली टीमें कुछ हद तक उनकी गिनती नहीं होती है, वहीं एक अन्य डिवीजन के बनने से ऐसी टीमों को प्रासंगिकता बढ़ेगी और उनको प्रोत्साहन भी मिलेगा.
इस बारे में हाल में रवि शास्त्री ने भी हाल में पुरजोर तरीके से कहा था, 'मुझे लगता है कि दो स्तरों की जरूरत है, अन्यथा टेस्ट क्रिकेट 10 साल में खत्म हो जाएगा. आपको टॉप पर छह टीमों की जरूरत है, और फिर दूसरे टियर में छह अन्य टीमों की जरूरत है और फिर आप क्वालिफाई करेंगे. वहीं, टॉप 6 टीमें एक-दूसरे के खिलाफ अधिक बार खेलते हैं. आपको कम द्विपक्षीय टी20 क्रिकेट और फ्रेंचाइजी क्रिकेट होने से आप कॉरिडोर खोल सकते हैं. इसी तरह से खेल के सभी फॉर्मेट जिंदा रह सकते हैं.