आपका माइंडसेट, आपकी सोच और आपकी लगन ही आपको सफलता तक पहुंचा सकती है. ऐसे शब्द एक मोटिवेशनल स्पीकर से सुने जा सकते हैं. कभी-कभी ये शब्द जिंदगी में भी सामने नजर आ जाते हैं. खुद की सोच, खुद का डिसिप्लिन और खुद की मेहनत से इंसान अपने हर सपने की तरफ सफलता से आगे बढ़ सकता है. उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे बड़ौत में जन्मे सौरभ कुमार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. उन्होंने बड़ौत में रेल की पटरियों से भारतीय टेस्ट के सदस्य बनने तक की अपनी यात्रा के बारे में बातचीत की.
सेलेक्शन के वक्त भी टीम के लिए मैच बचा रहे थे सौरभ कुमार
श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट टीम में चयन के बाद 28 साल के सौरभ कुमार ने aajtak.in से खास बातचीत में अपने इस सफर के बारे में खुलकर बात की. लेफ्ट आर्म स्पिनर सौरभ कुमार लंबे वक्त से घरेलू क्रिकेट में शानदार खेल दिखा रहे थे. वह लगातार बल्ले और गेंद दोनों से बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे थे. जिस दिन उनका भारतीय टीम में सेलेक्शन हुआ उस वक्त भी वह मैदान पर उत्तर प्रदेश के लिए विदर्भ के खिलाफ पसीना बहा रहे थे. सौरभ कुमार ने सेलेक्शन के अगले ही दिन उन्होंने 139 गेंदों में 81 रनों की पारी खेलकर विदर्भ के खिलाफ उत्तर प्रदेश के लिए मैच बचाया और 1 अंक भी हासिल किए.
जिस वक्त टीम इंडिया के चीफ सेलेक्टर चेतन शर्मा ने टेस्ट टीम के लिए सौरभ कुमार का नाम लिया उस वक्त वह उत्तर प्रदेश के लिए गुड़गांव में रणजी मुकाबला खेल रहे थे. सौरभ ने बताया कि जब उन्होंने दिन का खेल खत्म होने के बाद अपना फोन ऑन किया तो उसमें ढेर सारे मैसेज के अलावा कई मिस्ड कॉल पड़ी थीं. सौरभ ने इसके बाद सबसे पहले अपनी पत्नी की चैट को ओपन किया, जिससे उन्हें जानकारी मिली की उनका चयन भारतीय टेस्ट टीम में हो गया है. जिसके बाद उन्होंने तुरंत अपने माता-पिता को फोन किया और उन्हें खुशखबरी दी.
मेगा ऑक्शन में रहे अनसोल्ड, एक हफ्ते बाद इंडियन टीम में मौका
तकरीबन एक हफ्ते पहले सौरभ कुमार को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के मेगा ऑक्शन में कोई खरीददार नहीं मिला था, ठीक एक हफ्ते बाद उनका नाम श्रीलंका के खिलाफ भारतीय टेस्ट टीम में शामिल था. सौरभ से जब मेगा ऑक्शन के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, 'मेरा काम क्रिकेट खेलना है और अच्छा प्रदर्शन करना है, मैं इस बारे में निराश नहीं हुआ था. मेरे हाथ में जो है मुझे बस वह करते रहना है.' सौरभ कुमार निश्चित तौर पर इन सभी बातों से दूर सिर्फ और सिर्फ अपने खेल पर ध्यान दे रहे थे. हालांकि सौरभ कुमार पिछले सीजन में पंजाब किंग्स टीम में शामिल थे.
यहां तक पहुंचने के लिए सौरभ कुमार ने कड़ी मेहनत की. सौरभ बताते हैं कि उनका परिवार मूलत: मुजफ्फरनगर का है, लेकिन उनका जन्म बड़ौत में हुआ और वहीं से उन्होंने क्रिकेट का बल्ला अपने हाथ में थामा. सौरभ कुमार ने बताया की बचपन में वह रेल की पटरियों के आस-पास क्रिकेट खेलते थे, क्रिकेट सम्राट में दीपदास गुप्ता और उनकी कोच सुनीता शर्मा के बारे में एक आर्टिकल पढ़ा जिसके बाद उनके पिता उन्हें दिल्ली के नेशनल स्टेडियम लेकर गए जहां से उन्होंने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की. सुनीता शर्मा को भारत की पहली महिला क्रिकेट कोच के रूप में पहचाना जाता है. सौरभ कुमार आज जब बल्लेबाजों को अपनी फिरकी से तंग करते हैं वह खूबी उनको दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में ही मिली.
... जब बिशन सिंह बेदी से मिली सौरभ को पहचान
नेशनल स्टेडियम के साथ ही सौरभ कुमार को भारतीय टीम के महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी से भी तारीफ मिल चुकी है. सौरभ कुमार जामिया में बिशन सिंह बेदी के एक कैंप में हिस्सा लेने पहुंचे थे, जहां बिशन 'पाजी' की नजर सौरभ पर पड़ी और उन्होंने उस वक्त ही सौरभ को आगे बढ़ने का मंत्र दे दिया था. 'लगे रहो!' सौरभ इसी मंत्र के साथ लगातार अपनी मेहनत और लगन से अब भारतीय टेस्ट टीम के सदस्य बने हैं.
अब तक 47 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में 199 विकेट
खेल के प्रति लगन इतनी कि वह बड़ौत से दिल्ली रोज ट्रेन से ढाई घंटे का सफर कर क्रिकेट की कोचिंग लेने आते थे. सौरभ से बातचीत में उनका एक फंडा क्लियर नजर आता है, उनका मानना है कि जो आपके हाथ में है बल उस पर आप लगे रहो बाकी चीजें बाद में होती रहेंगी. सौरभ अपने इसी फंडे के साथ लगातार घरेलू क्रिकेट में अपना नाम बनाते जा रहे हैं. सौरभ ने अब तक 47 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में 199 विकेट हासिल कर चुके हैं. श्रीलंका के खिलाफ अगर उन्हें मौका मिलता है तो वह अपना 200वां विकेट भी बतौर टेस्ट खिलाड़ी ही पूरा करना चाहेंगे.
सौरभ पिछले 3 रणजी ट्रॉफी सीजन में लगातार विकेट निकाल रहे हैं. सीजन 2019-20 में उनके नाम 8 मुकाबलों में 44 विकेट थे. 2018-19 के सीजन में सौरभ ने 10 मुकाबलों में 51 हासिल किए थे. वहीं, 2017-18 के सीजन में उनके नाम 4 मुकाबलों में 23 विकेट थे. वह रणजी ट्रॉफी में पिछले 3 सीजन से उत्तर प्रदेश के लिए टॉप विकेटटेकर हैं.
अपने स्टैट्स को लेकर भी सौरभ काफी सीरियस लगते हैं, उनको यह सभी आंकड़े जबानी याद हैं, जब मजाक में उनसे पूछा गया कि क्या वह रात में इन्हें याद करते-करते सोते हैं तब उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया कि यह सब कोविड के फ्री-टाइम का कमाल है. सौरभ कुमार ने अपने प्रदर्शन के दम पर भारतीय टीम में पहले इंडिया ए, सीनियर टीम में बतौर नेट गेदबाज और रिजर्व खिलाड़ी के तौर पर जगह बनाई. वह इंग्लैंड में भारतीय टीम के साथ बतौर नेट गेंदबाज गए थे. वहीं, हाल ही में खत्म हुए दक्षिण अफ्रीका दौरे में उन्हें रिजर्व खिलाड़ी के तौर पर शामिल किया गया था. अब सौरभ श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट कैप पाने की होड़ में हैं.
अपने मौके का किया इंतजार
श्रीलंका के खिलाफ सीरीज के लिए सौरभ पूरी तैयारी के साथ मोहाली पहुंच चुके हैं. सौरभ भविष्य को लेकर ज्यादा कुछ नहीं सोच रहे हैं वह सिर्फ और सिर्फ अपने मौके का इंतजार कर रहे हैं. सौरभ ने श्रीलंका के खिलाफ सीरीज को लेकर कहा कि वह मौके का इंतजार कर रहे हैं कोई खास गोल उन्होंने नहीं सेट किए हैं, वह बस मौका मिलने पर बेहतरीन प्रदर्शन के बारे में ही सोच रहे हैं. जब उनसे उनके भविष्य की योजनाओं के बारे में जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने एक बात ही दोहराई कि जो उनके बस में है वह उस पर अपना बेस्ट प्रदर्शन करना चाहेंगे.
साल 2014 के रणजी सीजन में सर्विसेस के लिए अपना डेब्यू करने वाले सौरभ कुमार ने एक साल बाद ही अपने घरेलू राज्य की तरफ रुख कर लिया था. उन्होंने अपने डेब्यू सीजन के बाद ही एयरफोर्स की नौकरी छोड़ दी थी, जिसके बाद उन्होंने 4 साल पहले ONGC ज्वाइन की. सौरभ का एक्शन काफी हद तक बिशन सिंह बेदी से मिलता-जुलता है, जब उनसे इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह मेरा नेचुरल एक्शन है और उन्होंने किसी को भी कॉपी करने की कोशिश नहीं की है. बिशन सिंह बेदी के लिए सौरभ ने कहा, 'वह महान खिलाड़ी हैं'.
लेफ्ट आर्म स्पिनर सौरभ कुमार को शुरुआत में रणजी ट्रॉफी में मजबूत उत्तर प्रदेश की गेंदबाजी की वजह से पूरा सीजन खेलने का मौका नहीं मिलता था, लेकिन जब भी उन्हें मौका मिला उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से उत्तर प्रदेश के लिए शानदार खेल दिखयाा है. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सौरभ कुमार ने 47 मुकाबलों में 30.12 की औसत से 1657 रन बनाए हैं, उनके नाम 2 शतक और 9 अर्द्धशतक जड़े हैं. साथ ही गेंदबाजी में भी उनके नाम 199 विकेट हैं. 'लगे रहो!' के मंत्र को लेकर चलने वाले सौरभ कुमार को उम्मीद है की जब भी उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह मिलेगी वह अपना बेस्ट प्रदर्शन कर टीम को जीत दिलाएंगे और सेलेक्टर्स और टीम मैनेजमेंट की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे.