Harbhajan Singh: भारत के दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह ने पिछले महीने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया था. हरभजन के आगामी आईपीएल सीजन में बतौर सपोर्ट स्टाफ किसी फ्रेंचाइजी टीम से जुड़ने की उम्मीद है. वैसे, संन्यास लेने के बाद हरभजन अपने बयानों को लेकर काफी सुर्खियों में हैं. यही नहीं, भज्जी के राजनीति में भी आने के कयास लगाए जा रहे थे.
अब, हरभजन ने एकबार फिर अपने करियर से जुड़े मसलों पर अपनी राय व्यक्त की है. हरभजन का मानना है कि वह इसलिए भारतीय टीम की कप्तानी नहीं कर पाए, क्योंकि बीसीसीआई में उनका कोई जान-पहचान का नहीं था. साथ ही, भज्जी ने अनिल कुंबले और एमएस धोनी के साथ संबंधों के बारे में खुलकर बात की.
हरभजन ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, यह भी एक उपलब्धि है जिसके बारे में कोई बात नहीं करता- मेरी कप्तानी. मैं बीसीसीआई में किसी को नहीं जानता था, कोई होता जो मेरे मामले को आगे बढ़ा सकता क्योंकि नेशनल टीम की कप्तानी के लिए यह आवश्यक है. यदि आप किसी पावरफुल शख्स के पसंदीदा में से नहीं हैं, तो आपको ऐसा सम्मान नहीं मिलता है.
उन्होंने बताया, 'चलिए उस विषय को छोड़ देते हैं. मुझे पता है कि मैं नेतृत्व करने के लिए काफी सक्षम था क्योंकि हम बहुत सारे कप्तानों का मार्गदर्शन करते थे. अगर मैं अपने देश के लिए कप्तान नहीं बन पाया तो मुझे कोई पछतावा नहीं है. मैं एक खिलाड़ी के रूप में देश की सेवा करने में हमेशा खुश रहता था.'
कुंबले की मैं परछाई भी नहीं...
हरभजन ने कहा, 'अनिल भाई के लिए मेरे मन में सबसे ज्यादा सम्मान है. जहां तक मुझे क्रिकेट की समझ है, उनसे बड़ा मैच विनर कोई नहीं हुआ उनके साथ खेलना मेरे लिए सौभाग्य की बात रही है. हां, कई मौकों पर मुझे उनके ऊपर प्लेइंग इलेवन में चुना गया था, जैसा कि 2003 विश्व कप के दौरान हुआ था. लेकिन मैंने इन सब चीजों को लेकर उन्हें कभी चिंतित नहीं देखा. उन्हें कभी नहीं लगा कि मैं क्यों खेल रहा हूं और वह नहीं. मैं उनके बारे में बस एक छोटी सी बात कहूंगा. वह एक महान गेंदबाज की तुलना में दस गुना बेहतर इंसान हैं.'
हरभजन ने बताया, 'मेरे जीवन में कुंबले का योगदान अपार है. वह हमेशा हर बिंदु पर मेरा मार्गदर्शन करते थे और मुझे बताते रहते थे कि क्या करने की जरूरत है. जब भी मुझे खेलने का मौका मिलता मेरा इरादा हमेशा अपने कप्तान या अपनी टीम को निराश नहीं करना रहता था. मैं कभी भी कुंबले की परछाई जितना अच्छा नहीं हो सकता. मैंने जो कोशिश की वह अपनी एक छोटी सी छाप छोड़ने की थी.'
धोनी से कोई शिकायत नहीं
भज्जी ने बताया, 'हर कोई अलग-अलग तरीके से व्याख्या करता है. मैं केवल यह बताना चाहता था कि 2012 के बाद बहुत सी चीजें बेहतर हो सकती थीं. सहवाग, मैं, गंभीर भारतीय टीम के लिए खेलकर संन्यास ले सकते थे क्योंकि हम सभी आईपीएल में भी सक्रिय थे. यह विडंबना रही कि 2011 की टीम के चैम्पियंस फिर कभी एक साथ नहीं खेले. उनमें से कुछ ही 2015 विश्व कप में खेले, क्यों?
भज्जी ने धोनी के बारे में बात करते हुए कहा, 'मुझे एमएस के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है. वास्तव में, वह इतने वर्षों से एक अच्छे दोस्त रहे हैं. मुझे उस समय की सरकार (बीसीसीआई) से शिकायत है. मैं बीसीसीआई को सरकार कहता हूं. उस समय के चयनकर्ताओं ने अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय नहीं किया. उन्होंने टीम को एकजुट नहीं होने दिया. नए लोगों को लाने का क्या मतलब था, जब महान खिलाड़ी अभी भी आसपास थे और बढ़िया प्रदर्शन कर रहे थे. मैंने एक मौके पर इस विषय में चयनकर्ताओं का सामना किया था. चयनकर्ताओं का जवाब था कि यह उनके हाथ में नहीं था. फिर मैंने पूछा कि वे चयनकर्ता क्यों हैं?'