दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर पूर्व क्रिकेटर और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद गौतम गंभीर ने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा. गौतम गंभीर ने कहा कि हम तो चाहते हैं कि सब मिलकर काम करें, लेकिन दिल्ली सरकार पारदर्शिता नहीं दिखाती. हम जब कोई सवाल पूछते हैं तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जवाब देना नहीं चाहते हैं.
गौतम गंभीर ने कहा कि दिल्ली से पंजाब पांच गुना बड़ा है, लेकिन वहां पर स्थिति को संभाला गया. केरल में पहला केस आया था. उसके बाद वहां हालात संभाला गया. मैं दिल्ली के सीएम केजरीवाल को नाकाम नहीं बता रहा हूं, लेकिन आपको पारदर्शिता रखनी चाहिए. दिल्ली की जनता को मरने के लिए नहीं छोड़ सकते हैं. जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है.
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गौतम गंभीर ने कहा कि 6 महीने पहले जब यह वायरस नहीं आया था, तब मैं लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल में गया था. एक-एक बेड पर तीन-तीन बच्चे लेटे हुए थे. वह दिल्ली सरकार का अस्पताल है. जब मैंने हॉस्पिटल के अधिकारियों से पूछा तो उन्होंने कहा कि हमने प्रपोजल भेजा है, लेकिन कोई एक्शन नहीं किया गया. कितना दुर्भाग्यपूर्ण है.
तंज कसते हुए गौतम गंभीर ने कहा कि आपका (सीएम अरविंद केजरीवाल) इलाज तो आरएमएल या एम्स में हो जाएगा. आपको (सीएम केजरीवाल) को जब टेस्ट कराना था तो तुरंत टेस्ट भी हो गया और तीन घंटे में रिपोर्ट भी मिल गई. आम आदमी सिर्फ टेस्टिंग के लिए तीन-चार दिन धक्के खा रहे हैं और फिर भी उनकी टेस्टिंग नहीं हो रही है. उसकी क्या गलती है.
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गौतम गंभीर ने कहा कि सबसे ज्यादा जरूरी प्रवासियों के बारे में सोचना चाहिए था. दिल्ली सरकार उन्हें चार किलो गेहूं दे रही थी, आटा नहीं. 6-6 घंटे लोग लाइन में खड़े रहते थे, लेकिन उन्हें राशन नहीं मिलता था. जब मिलता था, तब गेहूं मिलता. सरकार ने प्रवासियों के बारे में नहीं सोचा, डॉक्टरों के बारे में नहीं सोचा, टेस्टिंग नहीं होने दी और मौत के आंकड़े में खेल किया गया.
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गौतम गंभीर ने कहा कि सबसे पहले मैंने अपनी सांसद निधि से एक करोड़ दिए थे. इसके अलावा अपने फाउंडेशन के जरिए एलएनजेपी समेत दिल्ली के अस्पतालों को पीपीई किट दिया. जिस तरीके से दिल्ली सरकार ने मुझसे मदद मांगी, मैंने हर तरीके से दिल्ली सरकार की मदद की.