
डाउन अंडर में एक प्रेस कांफ्रेंस हुई और भारतीय कप्तान ने कहा, "मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि सिर्फ़ एक ही टीम खेल भावना में रहकर क्रिकेट खेल रही थी." ये था भारतीय टीम का 2008 का ऑस्ट्रेलिया टूर और कप्तान थे अनिल कुम्बले.
2008 का ये टूर कितनी ही वजहों से याद रखा जाता है. मंकीगेट, ख़राब अम्पायरिंग, अम्पायरों का बदला जाना, रिकी पोंटिंग के दागी फैसले, कुम्बले की वो प्रेस कांफ्रेंस, आईसीसी की रायता समेटने की पूरी कवायद, ईशांत शर्मा का पोंटिंग को नचा कर रख देने वाला स्पेल, आदि-आदि. इस फ़ेहरिस्त में एक छोटी सी एंट्री और है - अनिल कुम्बले का 600वां टेस्ट विकेट. ये विकेट इसी टूर पर आया था और इसकी भूमिका बड़ी मज़ेदार है.
सीरीज़ के दूसरे टेस्ट, यानी सिडनी टेस्ट में भज्जी और साइमंड्स की वो कहा-सुनी हुई थी जिसमें भज्जी पर आरोप लगा कि उन्होंने साइमंड्स पर नस्लीय टिप्पणी की थी. तमाम ख़राब फैसलों के बाद जब मैच ख़तम होने पर भज्जी को तीन मैचों का बैन मिला, भारतीय खेमे में हल्ला कट गया. ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच फ़ोन कॉल्स की संख्या में भारी इज़ाफ़ा हो चुका था. भारतीय बोर्ड पूरी तरह से अड़ा हुआ था और टूर बीच में छोड़े जाने की बातें भी दबी ज़ुबान में कही जा रही थीं. भारतीय टीम उस टेस्ट मैच में जीतने की स्थिति में थी. आर अश्विन के साथ उनके यूट्यूब चैनल के लिये किये गए इंटरव्यू में अनिल कुम्बले इस बात को दोहराते हैं कि भारत जीतने वाली स्थिति में था और बहुत बुरा होने पर वो ड्रॉ के बारे में सोच रहे थे. वो कहते हैं कि किसी ने भी नहीं सोचा था कि इंडिया वो मैच हार जायेगी. ऐसे में उस हार के बाद हरभजन को मिले बैन ने सभी को, सभी समीकरणों को, हिला के रख दिया था.
एंड्रू साइमंड्स पूरे एपिसोड में एक बड़ी भूमिका निभा रहे थे. उन्होंने सिडनी में हरभजन को भड़काने के लाख जतन किये थे. असल में उस वक़्त भारत एक मज़बूत स्थिति में जाता दिख रहा था और सचिन-भज्जी के बीच एक अच्छी पार्टनरशिप बन रही थी. सचिन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि जब वो और भज्जी बैटिंग कर रहे थे, तभी मामला गर्माना शुरू हुआ. हरभजन ने 50 रन पूरे किये और साइमंड्स खीज चुके थे. उन्होंने हरभजन सिंह को उकसाना शुरू किया. भज्जी ने कई बार आकर सचिन को बताया कि साइमंड्स उन्हें उकसाने की फ़िराक में लगा हुआ था. तेंडुलकर लगातार उन्हें शांत रहने को कह रहे थे. उनका ध्यान स्कोरबोर्ड पर था और ये क्रूशियल टाइम चल रहा था क्यूंकि भारत ऑस्ट्रेलिया के स्कोर से आगे निकल रहा था और खेल के हिसाब से ये बेहद पीरियड था. यहां आने वाला एक-एक रन कीमती था. सचिन को मालूम था कि अगर हरभजन सिंह कंट्रोल गंवा देते हैं तो ऑस्ट्रेलिया अपनी टैक्टिक में कामयाब हो जायेगा.

लेकिन फिर वही हुआ जो सचिन टालने की कोशिश कर रहे थे. भज्जी और साइमंड्स के बीच मामला ख़ासा गरमा गया और हरभजन को शुद्ध पंजाबी में गाली सुनने को मिली. साइमंड्स को भज्जी के शब्दों में 'मंकी' सुनाई दे गया और मैच ख़तम होने के बाद उन्हें बैन की सज़ा मिली.
इतना ही नहीं, साइमंड्स ने एक बेहद ग़लत अपील कर राहुल द्रविड़ को भी आउट किया था. रीप्ले में साफ़ देखा जा सकता है कि राहुल द्रविड़ का बल्ला उनके पैर के पीछे था और गेंद उसके आस-पास से भी नहीं गुज़री थी. लेकिन साइमंड्स और गिलक्रिस्ट की ज़ोरदार अपील में अम्पायर स्टीव बकनर ने द्रविड़ को आउट दे दिया.
इससे भी पहले एक और वाकया हुआ था. मैच शुरू होते ही भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया ने 6 खिलाड़ी 134 रनों पर आउट कर दिए थे. और फिर साइमंड्स के बल्ले से गेंद लगी और धोनी ने कैच लिया. लेकिन अम्पायर स्टीव बकनर ने नॉट आउट का फ़ैसला दिया. ये वो समय था जब डीआरएस नहीं आया था. लिहाज़ा ऑन-फ़ील्ड अम्पायर का फैसला अंतिम था. साइमंड्स ने पारी में अकेले 162 रन बनाये. मैच ख़तम होने पर उन्हें ही प्लेयर ऑफ़ द मैच घोषित किया गया.
इस सब के बाद पर्थ में खेला जाने वाला तीसरा टेस्ट आया. अनिल कुम्बले 599 टेस्ट विकेट पर थे. उन्हें 600 के आंकड़े पर पहुंचने के लिये 1 विकेट की और ज़रूरत थी.
17 जनवरी 2008. पर्थ टेस्ट का दूसरा दिन. ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी का 36वां ओवर. छोटी लेंथ की गेंद जिसकी स्पीड गांगुली की दौड़ के फेंकी गई रेगुलर गेंद से बस थोड़ी ही कम थी. साइमंड ने अपना भार पिछले पैरों पर डाला और कट करने के लिए बल्ला चलाया. गेंद इस शॉट के लिहाज़ से शरीर के कुछ ज़्यादा ही करीब थी. साइमंड्स के बल्ले के किनारे से लगकर गेंद धोनी के ग्लव्स की ओर चली लेकिन धोनी के दस्ताने में कैद नहीं हो सकी. उनकी अंगुलियों से छिटककर गेंद उस खिलाड़ी के हाथ में पहुंची जो वो कैच लेने की कामना भी कर रहा था और बाकायदे उस कैच का हक़दार भी था. हालांकि अनिल कुम्बले को बहुत देर तक अलीम दार के सामने अपील करनी पड़ी लेकिन अंत में स्कोरबुक्स में अनिल कुंबले का 600वां विकेट 'कॉट द्रविड़ बोल्ड कुंबले' ही दर्ज हुआ. ऐसा भारतीय टेस्ट के इतिहास में 54वीं बार हो रहा था. कर्नाटका से आने वाले इन दो खिलाड़ियों, कुम्बले और द्रविड़ का कॉम्बिनेशन सदाबहार और बेहद सफ़ल रहा.

अनिल कुम्बले ने अपना 600वां विकेट लिया था और उस सीरीज़ के, सीरीज़ के माहौल के हिसाब से ये कोई छोटा-मोटा विकेट नहीं था. इस विकेट में बहुत कुछ ऐसा छिपा था जो स्कोरबुक्स में चाहकर भी ज़ाहिर नहीं किया जा सकता.
अगली पारी में जब भारतीय टीम बैटिंग करने के लिये उतरी तो साइमंड्स ने कुम्बले को आउट कर अतिश्योक्ति से भरा जश्न मनाया. इसके जवाब में अनिल कुम्बले ने चौथी पारी में साइमंड्स को एक बार फिर आउट किया (इस बार एलबीडब्ल्यू). और फिर कुम्बले जिस तरह से कूदे, उस जश्न को 'अभूतपूर्व' की श्रेणी में ही रखा जा सकता है.

अनिल कुम्बले ने इसके बाद 19 विकेट और लिये और 619 टेस्ट विकेटों के साथ सफलतम भारतीय गेंदबाज़ के रूप में रिटायर हुए. विकेटों के मामले में दूसरे नंबर पर कपिल देव आते हैं जो उनसे 185 विकेट पीछे हैं.