scorecardresearch
 

कार के ऑटोमैटिक ड्राइविंग सिस्टम से उड़ाया रियूजेबल रॉकेट... HONDA का कारनामा देख दुनिया हुई दंग

होंडा ने 17 जून 2025 को अपने पहले रियूजेबल रॉकेट का सफल परीक्षण किया. 6.3 मीटर लंबा रॉकेट 271.4 मीटर ऊंचाई तक गया. 37 सेंटीमीटर की सटीकता से लैंड किया. यह होंडा की अंतरिक्ष अनुसंधान में पहली बड़ी उपलब्धि है. कंपनी का लक्ष्य 2029 तक सबऑर्बिटल उड़ान है, जो सैटेलाइट लॉन्च और डेटा सेवाओं में क्रांति ला सकता है.

Advertisement
X
होंडा ने रियूजेबल रॉकेट का सफल परीक्षण किया.
होंडा ने रियूजेबल रॉकेट का सफल परीक्षण किया.

जापान की मशहूर कार कंपनी होंडा ने एक नया इतिहास रच दिया है. 17 जून 2025 को होंडा ने अपने पहले रियूजेबल रॉकेट (पुन: उपयोग होने वाला रॉकेट) का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण जापान के होक्काइडो प्रांत के ताइकी टाउन में हुआ, जहां 6.3 मीटर लंबा रॉकेट 271.4 मीटर की ऊंचाई तक गया. मात्र 37 सेंटीमीटर की त्रुटि के साथ सटीक लैंडिंग की.

यह होंडा का पहला ऐसा प्रयोग था, जिसने रॉकेट की स्थिरता और लैंडिंग की तकनीक को साबित किया. कंपनी का लक्ष्य है कि 2029 तक यह रॉकेट सबऑर्बिटल अंतरिक्ष उड़ान (पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश किए बिना अंतरिक्ष की कगार तक उड़ान) कर सके. 

यह भी पढ़ें: फिर टल गई शुभांशु शुक्ला के मिशन की लॉन्चिंग... अब 22 जून की तारीख तय

  • रॉकेट की लंबाई: 6.3 मीटर, चौड़ाई: 85 सेंटीमीटर
  • वजन: 900 किलोग्राम (बिना ईंधन), 1312 किलोग्राम (ईंधन के साथ)
  • ऊंचाई: 271.4 मीटर
  • उड़ान समय: 56.6 सेकंड
  • लैंडिंग सटीकता: 37 सेंटीमीटर
  • तारीख: 17 जून 2025
  • स्थान: ताइकी टाउन, होक्काइडो
  • होंडा का रॉकेट: एक नई शुरुआत

होंडा, जो कारों, बाइकों और रोबोट्स के लिए जानी जाती है, अब अंतरिक्ष की दुनिया में कदम रख रही है. होंडा की रिसर्च शाखा, होंडा आरएंडडी कंपनी लिमिटेड ने इस रियूजेबल रॉकेट को पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बनाया है. 

Advertisement

17 जून 2025 को ताइकी टाउन के होंडा टेस्टिंग सुविधा में यह रॉकेट उड़ा. यह 56.6 सेकंड तक हवा में रहा, 271.4 मीटर की ऊंचाई तक गया. फिर सटीक लैंडिंग के साथ अपने लक्ष्य से सिर्फ 37 सेंटीमीटर दूर उतरा. इस परीक्षण का मकसद था रॉकेट की उड़ान और लैंडिंग के दौरान स्थिरता और नियंत्रण की तकनीकों को जांचना.

यह भी पढ़ें: PAK-चीन में मचेगी खलबली... DRDO करने जा रहा है सबसे खतरनाक रॉकेट लॉन्चर की टेस्टिंग

ताइकी टाउन: अंतरिक्ष अनुसंधान का केंद्र

ताइकी टाउन, होक्काइडो के दक्षिण-पूर्व में बसा एक छोटा सा कस्बा, जापान का "स्पेस टाउन" बन चुका है. यहां जापान एयरोस्पेस रिसर्च एजेंसी (JAXA), निजी कंपनियां और विश्वविद्यालय मिलकर अंतरिक्ष से जुड़े प्रयोग करते हैं. होंडा ने 2024 से इस जगह पर अपने रॉकेट के इंजन दहन और हॉवरिंग टेस्ट शुरू किए थे. इस बार का टेस्ट इस दिशा में एक बड़ा कदम है.

Honda Rocket

रियूजेबल रॉकेट: क्या है खास?

रियूजेबल रॉकेट, जिसे रियूजेबल लॉन्च व्हीकल (RLV) कहते हैं, एक ऐसा रॉकेट है जिसे बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है. पारंपरिक रॉकेट (एक्सपेंडेबल लॉन्च व्हीकल) एक बार उड़ान भरने के बाद नष्ट हो जाते हैं, लेकिन रियूजेबल रॉकेट को दोबारा इस्तेमाल करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है. यह रॉकेट सीधा उड़ता है, 100 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाता है. फिर सीधा लैंड करता है. होंडा का यह रॉकेट भविष्य में सैटेलाइट लॉन्च करने और अंतरिक्ष में डेटा सेवाओं के लिए उपयोगी हो सकता है.

Advertisement

होंडा का सपना: 2029 तक अंतरिक्ष

होंडा ने 2021 में घोषणा की थी कि वह अंतरिक्ष तकनीकों पर काम कर रही है, लेकिन इस टेस्ट की जानकारी को गुप्त रखा गया था. कंपनी का लक्ष्य 2029 तक सबऑर्बिटल उड़ान हासिल करना है. सबऑर्बिटल उड़ान वह होती है जो अंतरिक्ष की कगार (लगभग 100 किलोमीटर) तक जाती है, लेकिन पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश नहीं करती.

यह भी पढ़ें: NASA ने पहली बार ली मंगल के ज्वालामुखी की तस्वीर... माउंट एवरेस्ट से दोगुना ऊंचा

होंडा का कहना है कि यह तकनीक सैटेलाइट लॉन्च करने और संचार, नेविगेशन और पर्यावरण निगरानी जैसी सेवाओं में मदद कर सकती है. होंडा के ग्लोबल सीईओ तोशिहीरो मिबे ने कहा कि इस टेस्ट की सफलता रियूजेबल रॉकेट अनुसंधान में एक बड़ा कदम है. यह होंडा की तकनीकी क्षमता का प्रमाण है. 

Honda Rocket

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

इस परीक्षण के लिए होंडा ने सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी. 

  • 1 किलोमीटर का चेतावनी क्षेत्र: टेस्ट के दौरान 1 किलोमीटर के दायरे में कोई नहीं जा सकता था. साइनबोर्ड, गेट और सिक्योरिटी गार्ड तैनात किए गए.
  • सुरक्षा सिस्टम: रॉकेट में एक खास सिस्टम था जो उड़ान की सीमा, गति और स्थिति को नियंत्रित करता था, ताकि कोई दुर्घटना न हो.
  • स्थानीय सहयोग: ताइकी टाउन के स्थानीय प्रशासन और निवासियों का सहयोग लिया गया.

जापान का अंतरिक्ष उद्योग: एक उभरता बाजार

Advertisement

जापान की सरकार ने अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ावा देने के लिए अरबों डॉलर का स्पेस वेंचर फंड बनाया है. इसका लक्ष्य 2030 तक जापान के अंतरिक्ष उद्योग को दोगुना करके 8 ट्रिलियन येन (लगभग 55.2 बिलियन डॉलर) तक पहुंचाना है. इस फंड से निजी कंपनियों को रॉकेट, सैटेलाइट और अन्य मिशनों के लिए मदद मिल रही है.

यह भी पढ़ें: क्यों फेल हुआ ISRO का रॉकेट... जानिए PSLV और अन्य रॉकेट्स का ट्रैक रिकॉर्ड

होंडा की प्रतिद्वंद्वी कंपनी टोयोटा ने भी ताइकी टाउन की कंपनी इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज में निवेश किया है, जो रॉकेट के बड़े पैमाने पर उत्पादन पर काम कर रही है. यह दिखाता है कि ऑटोमोबाइल कंपनियां अब अंतरिक्ष की दौड़ में शामिल हो रही हैं.

होंडा की तकनीकी ताकत

होंडा ने इस रॉकेट को बनाने में अपनी ऑटोमोबाइल और ऑटोमैटेड ड्राइविंग तकनीकों का इस्तेमाल किया. कंपनी की दहन तकनीक (कंबशन टेक्नोलॉजी), नियंत्रण तकनीक (कंट्रोल टेक्नोलॉजी) और स्वचालित ड्राइविंग सिस्टम ने इस रॉकेट को स्थिर और सटीक बनाने में मदद की. होंडा का कहना है कि यह तकनीक भविष्य में सैटेलाइट लॉन्च और पर्यावरण निगरानी जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला सकती है.

Honda Rocket

भविष्य की योजनाएं

हालांकि होंडा ने अभी इस तकनीक को व्यावसायिक रूप से लॉन्च करने का फैसला नहीं किया है, लेकिन कंपनी 2029 तक सबऑर्बिटल उड़ान के लिए तकनीक विकसित करने पर काम कर रही है. इस टेस्ट से मिले डेटा का इस्तेमाल रॉकेट के डिज़ाइन को और बेहतर करने में होगा. होंडा का कहना है कि भविष्य में यह रॉकेट सैटेलाइट लॉन्च करके संचार, जलवायु निगरानी और अन्य सेवाओं में योगदान दे सकता है.

Advertisement

ताइकी टाउन के लिए गर्व का पल

ताइकी टाउन के निवासियों के लिए यह टेस्ट गर्व का मौका है. यह छोटा सा कस्बा अब अंतरिक्ष अनुसंधान का केंद्र बन रहा है. स्थानीय लोग और प्रशासन होंडा के साथ मिलकर इस तरह के प्रयोगों को सपोर्ट कर रहे हैं. ताइकी टाउन में JAXA और अन्य कंपनियों के टेस्ट भी होते हैं, जिससे यह जगह अंतरिक्ष उद्योग का हब बन रही है.

होंडा का रियूजेबल रॉकेट टेस्ट जापान के अंतरिक्ष उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक कदम है. यह न केवल होंडा की तकनीकी क्षमता को दिखाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि ऑटोमोबाइल कंपनियां अब अंतरिक्ष की दौड़ में शामिल हो रही हैं.  271.4 मीटर की ऊंचाई और सटीक लैंडिंग के साथ यह टेस्ट होंडा के 2029 के सबऑर्बिटल मिशन की नींव रखता है. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement