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भूल जाइए लिथियम... फिनलैंड में 2000 टन रेत से बनाई बैटरी, ग्रीन एनर्जी का शानदार तरीका

फिनलैंड ने रेत को बैटरी में बदलकर एक नई शुरुआत की है. यह 13 मीटर ऊंचा टावर, जिसमें 2000 टन रेत है. अतिरिक्त हवा और सूरज की ऊर्जा को 600 डिग्री तक गर्म करके महीनों तक स्टोर करता है. सस्ती, टिकाऊ और पर्यावरण के लिए फायदेमंद यह तकनीक भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकती है.

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ये है फिनलैंड में बनाई गई रेत की बैटरी. (Photo: Polar Night Energy)
ये है फिनलैंड में बनाई गई रेत की बैटरी. (Photo: Polar Night Energy)

फिनलैंड ने एक अनोखी तकनीक से दुनिया को चौंका दिया है. अब रेत को भी बैटरी बनाया जा सकता है! यह कोई साधारण बैटरी नहीं, बल्कि 13 मीटर ऊंचा टावर है, जिसमें 2000 टन रेत भरी गई है. यह तकनीक न सिर्फ सस्ती है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है. अगर यह कामयाब रही, तो यह दुनिया भर में ऊर्जा क्रांति ला सकती है, जहां लिथियम बैटरी की जगह रेत बैटरी ले सकती है. आइए, समझते हैं कि यह कैसे काम करती है. इसका क्या फायदा हो सकता है.

रेत से बनी बैटरी कैसे काम करती है?

फिनलैंड की यह नई बैटरी पारंपरिक लिथियम बैटरी से बिल्कुल अलग है. इसमें रेत को ऊर्जा स्टोर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जब हवा और सूरज से ज्यादा बिजली बनती है, तो उस अतिरिक्त ऊर्जा को रेत में डाला जाता है. इस प्रक्रिया में रेत को 600 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है.

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यह गर्मी रेत में महीनों तक सुरक्षित रहती है, जैसे गर्मी को स्टोर करके रखा जा रहा है. जब जरूरत पड़े, तो इस गर्मी को निकालकर घरों या उद्योगों को गर्मी देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. 

सस्ती और टिकाऊ तकनीक

इस बैटरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बहुत सस्ती है. इसके लिए महंगे लिथियम या जटिल उपकरणों की जरूरत नहीं पड़ती. रेत एक सस्ता और आसानी से मिलने वाला पदार्थ है, जिसे टावर में भरकर इस्तेमाल किया जाता है.

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यह तकनीक लंबे समय तक चलने वाली है. इसे बनाने वाली कंपनी का दावा है कि यह बैटरी आपके फोन या उसके अगले संस्करण से भी ज्यादा समय तक काम कर सकती है. इससे पता चलता है कि यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित और टिकाऊ है.

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Finland Sand battery

पर्यावरण के लिए फायदा

फिनलैंड की यह तकनीक गर्मी को स्टोर करके ऊर्जा का बेहतर इस्तेमाल करने में मदद करती है. सर्दियों में, जब हवा और सूरज की ऊर्जा कम होती है, यह रेत से गर्मी निकालकर घरों को गर्म रख सकती है. इससे कोयले या तेल जैसे प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन की जरूरत कम होगी.

यह कदम फिनलैंड के 2035 तक क्लाइमेट न्यूट्रेलिटी के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा. साथ ही, यह तकनीक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को भी काफी कम कर सकती है. 

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कैसे बनाया गया?

यह टावर फिनलैंड के एक छोटे से शहर पोर्नाइनेन में बनाया गया है. इसमें 2000 टन रेत भरी गई है, जो साबुन पत्थर (soapstone) की बनी है. इस रेत को गर्म करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा (विंड और सोलर) का इस्तेमाल होता है. टावर को खास तरीके से बनाया गया है ताकि गर्मी बाहर न जाए और लंबे समय तक बनी रहे. यह प्रोजेक्ट फिनलैंड की कंपनी पोलर नाइट एनर्जी ने तैयार किया है, जो नई ऊर्जा तकनीकों पर काम कर रही है.

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भविष्य में क्या होगा?

यह रेत बैटरी सस्ती और आसान होने की वजह से दुनिया भर में इस्तेमाल हो सकती है. खासकर उन देशों में, जहां सर्दियां लंबी होती हैं और गर्मी की जरूरत पड़ती है. इस तकनीक को और बेहतर करके बिजली बनाने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह सफल रही, तो यह पारंपरिक बैटरी को बदल सकती है और नवीकरणीय ऊर्जा को और लोकप्रिय बना सकती है.

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