scorecardresearch
 

कहां खो गई दिल्ली की ठंडक? इतनी बारिश के बावजूद मॉनसून में भी नहीं राहत, बिजली की बढ़ गई डिमांड

दिल्ली में गर्मी और उमस ने बिजली की मांग 67% बढ़ा दी. CSE की रिपोर्ट कहती है कि मॉनसून में हीट इंडेक्स 46-50 डिग्री पहुंचा, जिससे AC का इस्तेमाल बढ़ा. रातें गर्म होने से सेहत को खतरा पैदा हुआ. इमारतों में ऊर्जा बचत, हरियाली बढ़ाना, कूलिंग शेल्टर बनाना और बिजली प्रबंधन से ही ठंडक बनाई जा सकती है. जलवायु परिवर्तन से समस्या बढ़ रही है.

Advertisement
X
दिल्ली की गर्मी में चिलचिलाती धूप से अपने बच्चे को बचाती मां. गर्मियों को हीट स्ट्रोक के मामले भी बढ़ जाते हैं. (File Photo: Getty)
दिल्ली की गर्मी में चिलचिलाती धूप से अपने बच्चे को बचाती मां. गर्मियों को हीट स्ट्रोक के मामले भी बढ़ जाते हैं. (File Photo: Getty)

दिल्ली में गर्मी और उमस ने इस बार बिजली की मांग को बहुत बढ़ा दिया है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की नई रिपोर्ट बताती है कि 2025 की गर्मियों में गर्मी और उमस (हीट इंडेक्स) बढ़ने से दिल्ली में बिजली की खपत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई.

दिल्ली में गर्मी और उमस का असर

2025 की गर्मियां पिछले साल (2024) की तुलना में कम गर्म थीं, लेकिन बारिश और उमस ज्यादा थी. मार्च से मई (प्री-मानसून) में हीट इंडेक्स 31-32 डिग्री सेल्सियस रहा. बिजली की मांग स्थिर थी. लेकिन जून से अगस्त (मानसून) में उमस बढ़ने से हीट इंडेक्स 46-50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया.

यह भी पढ़ें: PAK गायिका कुरतुलैन बलोच पर भालू ने किया हमला... भूरे भालू के साथ हिमालय में क्यों बढ़ रहा इंसानों का संघर्ष

इससे दिल्लीवासियों को बहुत परेशानी हुई. ठंडक के लिए एयर कंडीशनर (AC) और कूलर का इस्तेमाल बढ़ गया. CSE की स्टडी कहती है कि दिल्ली की रोजाना बिजली की मांग का 67% हिस्सा गर्मी और उमस की वजह से है.

Delhi Summer Heat Electricity

रिकॉर्ड तोड़ बिजली की मांग

2025 में दिल्ली की बिजली की मांग ने नया रिकॉर्ड बनाया. 12 जून 2025 को रात 11:09 बजे बिजली की मांग 8442 मेगावाट (MW) तक पहुंची, जो अब तक का दूसरा सबसे बड़ा रिकॉर्ड है. पिछले साल 19 जून 2024 को यह 8656 MW थी. 

Advertisement

2015 से 2025 तक दिल्ली की बिजली की मांग 5846 MW से बढ़कर 8442 MW हो गई, यानी 10 साल में 44% की बढ़ोतरी. अगस्त 2025 में औसत पीक डिमांड पिछले साल की तुलना में 2% ज्यादा थी. 31 में से 16 दिन 2024 से ज्यादा मांग दर्ज की गई.

यह भी पढ़ें: पश्चिम की ओर खिसक गया मॉनसून... क्लाइमेट थिंक टैंक ने बताया कैसे 40 सालों में बदल गया देश का मौसम

रातें भी गर्म, सेहत को खतरा

दिल्ली में दिन के साथ-साथ रातें भी गर्म हो रही हैं. पहले रात में तापमान 15 डिग्री तक कम हो जाता था, लेकिन 2025 में यह अंतर सिर्फ 8.6 डिग्री रह गया. मॉनसून में रात का तापमान 30.6 डिग्री तक पहुंचा, जो सामान्य से 6 डिग्री ज्यादा है.

यह अर्बन हीट आइलैंड की वजह से है, जिसमें कंक्रीट की इमारतें और सड़कें दिन की गर्मी को रात में छोड़ती हैं. गर्म रातें शरीर को ठंडा होने से रोकती हैं, जिससे डिहाइड्रेशन, थकान और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है.

Delhi Summer Heat Electricity

बिजली की मांग में मौसमी अंतर

दिल्ली में गर्मियों (मार्च-अगस्त) में बिजली की मांग बहुत ज्यादा होती है, जबकि सर्दियों (नवंबर-फरवरी) में यह आधी रह जाती है. जून 2024 में मांग 8656 MW और खपत 4546 मिलियन यूनिट (MU) थी, लेकिन फरवरी 2025 में यह 2041 MU तक गिर गई. अप्रैल 2025 में पिछले साल की तुलना में बिजली की खपत ज्यादा थी, क्योंकि गर्मी जल्दी शुरू हो गई. जून 2025 में मांग फिर 8442 MW तक पहुंची.

Advertisement

उमस ने बढ़ाई परेशानी

मॉनसून में ज्यादा उमस की वजह से गर्मी का अहसास बढ़ गया. जब हीट इंडेक्स 31-32 डिग्री से ऊपर जाता है, तो लोग AC और कूलर चलाने लगते हैं. जुलाई-अगस्त में हीट इंडेक्स 46-50 डिग्री तक पहुंचा, जिससे बिजली की मांग बढ़ी. CSE की रिपोर्ट कहती है कि 67% बिजली की मांग का कारण गर्मी और उमस है, बाकी आर्थिक गतिविधियां और जीवनशैली हैं.

यह भी पढ़ें: दिल्ली में बाढ़, वायनाड और हिमाचल के भूस्खलन जैसी घटनाएं बढ़ेंगी... तेजी से बदल रहा भारत का क्लाइमेट

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव 

जलवायु परिवर्तन ने दिल्ली की गर्मी और उमस को और खराब किया है. इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के अनुसार, भारत में तापमान पिछले 10 सालों में तेजी से बढ़ा है. गर्मियां एक महीने पहले शुरू हो रही हैं. हर 1 डिग्री तापमान बढ़ने पर बिजली की मांग 2% बढ़ती है. 2019 से 2022 तक कूलिंग की जरूरत 21% बढ़ी. लेकिन गरीब लोग, जो AC नहीं खरीद सकते, गर्मी से ज्यादा प्रभावित हैं.

Delhi Summer Heat Electricity

समाधान 

CSE ने दिल्ली को गर्मी और बिजली की मांग से निपटने के लिए ये सुझाव दिए हैं...

  • इमारतों में ऊर्जा बचत: एनर्जी कंजर्वेशन बिल्डिंग कोड और इको-निवास संहिता को सख्ती से लागू करें. इमारतों में प्राकृतिक ठंडक, रिफ्लेक्टिव छतें और बेहतर इन्सुलेशन का इस्तेमाल करें.
  • कूलिंग शेल्टर: गरीबों के लिए कूलिंग शेल्टर बनाएं और गर्मी से बचाव की जागरूकता बढ़ाएं.
  • हरियाली और पानी: शहरी हरा-भरा क्षेत्र और पानी के स्रोत बढ़ाएं, कंक्रीट कम करें.
  • बिजली प्रबंधन: मौसम के हिसाब से बिजली की मांग का पूर्वानुमान लगाएं ताकि ग्रिड स्थिर रहे और जरूरी सेवाओं को बिजली मिले.

दिल्ली को ठंडा रखने की जरूरत

Advertisement

दिल्ली में गर्मी और उमस ने बिजली की मांग को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा दिया है. 2025 में बिजली की मांग 8442 MW तक पहुंची और रातें भी गर्म होने से सेहत को खतरा बढ़ा है. जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण इस समस्या को और बढ़ा रहे हैं. इमारतों में ऊर्जा बचत, हरियाली और बेहतर बिजली प्रबंधन से दिल्ली को ठंडा और सुरक्षित रखा जा सकता है. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement