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साइंस न्यूज़

रेगिस्तान के ऊंट बर्फ में... क्या ये भारत के लिए चिंता की बात है?

Desert Camel in Snow
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सऊदी अरब के रेगिस्तान में इस दिसंबर 2025 में दुर्लभ बर्फबारी हुई है. ताबुक प्रांत और उसके आसपास के पहाड़ी इलाकों में जैसे जबल अल लॉज में तापमान माइनस 4 डिग्री तक गिर गया और रेगिस्तान की सुनहरी रेत बर्फ की सफेद चादर से ढक गई. यह नजारा 30 साल बाद इतना व्यापक रूप से देखा गया है. Photo: Reuters

Desert Camel in Snow
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सोशल मीडिया पर बर्फ से ढके रेगिस्तानी पहाड़ों और ऊंटों के झुंडों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं. लोग इसे देखकर हैरान हैं क्योंकि सऊदी अरब को हमेशा गर्मी और रेत के लिए जाना जाता है. यह बर्फबारी सिर्फ एक खूबसूरत नजारा नहीं है बल्कि जलवायु परिवर्तन का बड़ा संकेत है. Photo: Getty

Desert Camel in Snow
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वैज्ञानिक कहते हैं कि धरती का तापमान बढ़ने से वातावरण में ज्यादा नमी और ऊर्जा आ रही है जिससे मौसम के पुराने पैटर्न बिगड़ रहे हैं. इससे गर्म जगहों पर अचानक ठंड और बर्फ पड़ रही है जबकि कहीं भयंकर गर्मी और बाढ़ आ रही है. यह घटना दुनिया को बता रही है कि क्लाइमेट चेंज अब दूर की बात नहीं बल्कि हमारे सामने हो रहा है. Photo: Pexel

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ऊंटों की बात करें तो वे रेगिस्तान के जहाज कहलाते हैं और सिर्फ गर्मी ही नहीं बल्कि ठंड में भी अच्छे से रह सकते हैं. उनके शरीर पर मोटा ऊनी कोट होता है जो ठंड से बचाता है. रात में रेगिस्तान में तापमान बहुत गिर जाता है और कभी-कभी बर्फ भी पड़ती है तो ऊंट आराम से उसमें चलते और जीवित रहते हैं. Photo: Getty

Desert Camel in Snow
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इस बार की बर्फबारी में भी ऊंटों को बर्फ पर चलते देखा गया और वे बिल्कुल सामान्य लग रहे थे क्योंकि उनकी बॉडी दोनों तरह के मौसम के लिए बनी है. भारत के लिए यह एक बड़ा चेतावनी का संदेश है. इस साल भारत में उत्तर और मध्य हिस्सों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ी तो हिमाचल उत्तराखंड और सिक्किम में बादल फटने से तबाही हुई. Photo: Getty

Desert Camel in Snow
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मानसून कहीं देर से आया तो कहीं बाढ़ ला दिया. ये सब संयोग नहीं बल्कि जलवायु तंत्र के दबाव में आने के संकेत हैं. भारत में खेती पानी की व्यवस्था शहरों की प्लानिंग और बिजली की मांग सब मौसम के पुराने नियमों पर टिकी है. जब ये नियम टूटते हैं तो फसलें बर्बाद होती हैं. बाढ़ आती है. गर्मी से मौतें बढ़ती हैं. Photo: Unsplash

Desert Camel in Snow
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अब भारत को अनुकूलन के लिए तैयार होना होगा जैसे गर्मी सहन करने वाली शहरों की योजना मजबूत चेतावनी सिस्टम बाढ़ रोधी इंफ्रास्ट्रक्चर और जलवायु अनुकूल खेती करनी होगी. उत्सर्जन कम करना जरूरी है लेकिन अनुकूलन अब टाला नहीं जा सकता. Photo: Getty

Desert Camel in Snow
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ग्लोबल साउथ के देश जैसे दक्षिण पूर्व एशिया अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में भी बाढ़ सूखा और अजीब मौसम से करोड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं. विकासशील देशों पर इसका ज्यादा असर पड़ता है क्योंकि आबादी घनी है इंफ्रास्ट्रक्चर कमजोर और आजीविका मौसम पर निर्भर है. Photo: Getty

Desert Camel in Snow
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इस साल ब्राजील के बेलेम में हुई COP30 जलवायु सम्मेलन में भी ये मुद्दे चर्चा में थे जहां विकासशील देशों के लिए ज्यादा मदद और जलवायु वित्त की बात हुई. सऊदी की बर्फबारी को सिर्फ वायरल वीडियो समझकर नजरअंदाज न करें यह एक और डेटा पॉइंट है जो बता रहा है कि जलवायु ज्यादा अस्थिर और कठोर हो रहा है. Photo: Getty

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Desert Camel in Snow
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भारत और दुनिया के लिए संदेश साफ है कि जलवायु संकट अब दरवाजे पर नहीं बल्कि घर के अंदर आ चुका है. हमें तुरंत कार्रवाई करनी होगी. Photo: AFP

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