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साइंस न्यूज़

जीवों के साथ क्रूरता, फुटेज सामने आने पर स्पैनिश प्रयोगशाला बंद

Animal Testing Spanish Lab
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जीवों पर घोर क्रूरता के सबूत और फुटेज मिलने के बाद स्पेन की एक लैब को बंद कर दिया गया है. यह प्रयोगशाला जानवरों पर परीक्षण करती थी. ताकि उसने जिस दवा कंपनी, केमिकल या कॉस्मैटिक कंपनी या फिर तंबाकू या खाद्य उद्योग से लिए गए कॉन्ट्रैक्ट को पूरा कर सके. स्पेन की राजधानी मैड्रिड में मौजूद विवोटेक्निया (Vivotechnia) लैब को सरकार ने जानवरों पर क्रूरता को दिखाते फुटेज के सामने आने के बाद बंद कर दिया है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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विवोटेक्निया (Vivotechnia) लैब एक कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाली रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन हैं. यहां पर बंदरों, कुत्तों, मिनी पिग, सुअरों, चूहों, खरगोश जैसे कई जीवों पर प्रयोग किए जाते थे. एक दिन किसी ने इस प्रयोगशाला की अंडरकवर वीडियोग्राफी कर ली, जिसमें इसके अंदर जानवरों पर क्रूरता के नजारे दिख रहे हैं. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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इस वीडियो को उस कर्मचारी ने बनाया था, जो विवोटेक्निया (Vivotechnia) लैब में साल 2018 से 2020 तक काम कर चुका है. उसने बताया कि इस लैब में जीवों को पटका जाता था, मारा जाता था, जोर से हिलाया जाता था, यहां तक कि बिना एनीस्थिसिया दिए ही शरीर के अंगों पर घाव किया जाता था. इनसे ऊबकर उसने वीडियो बनाया और यूट्यूब पर डाल दिया. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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इसके बाद जीवों के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था आगे आईं. इस फुटेज को क्रूएल्टी फ्री इंटरनेशनल (CFI) ने रिलीज किया था. जिसमें दिखाया जा रहा है कि लैब टेक्नीशियन चूहों और खरगोशों के साथ ज्यादती कर रहे हैं. उन्हें जोर से हिला रहे हैं. बिना बेहोशी की दवा दिए उनपर चोट कर रहे हैं. इंजेक्शन लगा रहे हैं. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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सबसे बुरी हालत तो खरगोश के साथ थी. इन प्यारे जीवों को अजीबोगरीब यंत्रों में बंद करके रखा गया था. कुत्तों और बंदरों को उनकी गर्दनों से दबोचा जा रहा था. उसके बाद उन्हें उनके पिंजड़ों में जोर से फेंका जाता था. विवोटेक्निया (Vivotechnia) के सीईओ ने आंद्रिया कोनिग ने इन आरोपों से इंकार किया है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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आंद्रिया ने कहा कि हम अपने काम और लैब में गुणवत्ता के सारे तय मानकों का ख्याल रखते हैं. जीवों के कल्याण के लिए हम पूरी तरह से लगे रहते हैं. वहीं, क्रूएल्टी फ्री इंटरनेशनल (CFI) ने दावा किया है कि जो वीडियो फुटेज उन्होंने रिलीज किया है, उसमें स्पष्ट तौर पर दिख रहा है कि विवोटेक्निया (Vivotechnia) लैब के टेक्नीशियन जिंदा चूहे की आंख में सूई डालकर खून निकाल रहे हैं. जबकि यह प्रक्रिया एनीस्थिशिया देने के बाद करनी चाहिए. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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वीडियो फुटेज में दिखाया गया है बंदरों के जननांगों और पैरों में पिन लगा टेबल से टांक दिया जा रहा है. ताकि उसके पैरों से खून निकाल सकें. CFI के अनुसार उन्होंने इस चीज की शिकायत पहले लैब से की थी लेकिन किसी भी अधिकारी ने उनकी बातें नहीं सुनी. जीवों का ख्याल भी ढंग से नहीं रखा जा रहा था इसलिए कई जीव बेमौत मारे गए. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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विवोटेक्निया (Vivotechnia) लैब को स्पैनिश सरकार और यूरोपियन यूनियन से फंडिंग भी मिली है. बार्सिलोना बायोमेडिकल रिसर्च पार्क में काम करने वाले जीव विज्ञानी जोआन एंटोनी फर्नांडेज ब्लैंको ने कहा कि ये हैरानी की बात है. कोई भी प्रयोशाला इस तरह से जीवों के साथ दुर्व्यवहार नहीं कर सकती. यह स्पेन और यूरोपियन यूनियन के कानून के खिलाफ है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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जोआन एंटोनी ने कहा कि वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि विवोटेक्निया (Vivotechnia) लैब में टेक्नीशियन बिना एनीस्थिशिया के ही जीवों पर परीक्षण कर रहे हैं. जबकि जीवों को बेहोशी या लोकल एनीस्थिशिया देकर ही प्रयोग करने चाहिए ताकि उन्हें दर्द कम हो. या पता न चले. अगर ऐसा लगता है कि किसी जीव को असहनीय पीड़ा हो रही है तो आप उसे यूथेनाइज (मौत) दे सकते हैं. लेकिन उसके पीछे सही मेडिकल कारण बताना होता है. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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CFI की निदेशक डॉ. कैटी टेलर ने कहा कि इस वीडियो फुटेज में जीवों पर होने वाले प्रयोग की घिनौनी तस्वीर सामने आ रही है. यह यूरोपियन कमीशन के डायरेक्टिव 2010/63 का उल्लंघन है. अगर किसी लैब में ऐसा होता है तो उन्हें जीवों पर परीक्षण रोकना होगा. इस प्रयोगशाला में इस तरह से जीवों पर परीक्षण हो रहा था, जिससे जीवों को काफी दर्द सहना पड़ रहा था. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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डॉ. कैटी टेलर ने कहा कि विवोटेक्निया (Vivotechnia) जैसे जीवों पर परीक्षण करने वाले लैब्स पर साल में एक बार जांच करने का कानून है. इस पर विवोटेक्निया के सीईओ आंद्रिया कोनिग ने कहा कि हमारी लैब में हर साल दो बार ऑडिट होता है. सरकारी एथिकल कमेटी के लोग आकर इसकी जांच करते हैं. लेकिन कैटा का कहना है कि ये गलत है. अगर ऐसा होता तो लैब में इस तरह के मामले सामने नहीं आते. (प्रतीकात्मक फोटोःगेटी)

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