Pitru Paksha 2021 Gaya Shraddh: हिंदू धर्म में पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग माना जाता है. पितृपक्ष (Pitru Paksha 2021) में पूर्वजों की आत्मा की शांति पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है. कई पितृपक्ष में पिंडदान के लिए कई जगहें प्रसिद्ध हैं लेकिन गया में पिंडदान का खास महत्व है. कहा जाता है कि भगवान राम और सीताजी ने भी राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में ही पिंडदान किया था. गया में पिंडदान के लिए हर साल देश-विदेश से लाखों लोग आते हैं. गया में स्थापित प्रेतशिला (Pretshila in Gaya) का पूर्वजों की आत्मा से विशेष संबंध है.
गया में श्राद्ध की पौराणिक मान्यता- पुराणों के अनुसार, गया नाम के एक राजा थे और वो भगवान विष्णु के परम भक्त थे. एक बार राजा गया शिकार पर गए और उन्होंने हिरण को मारने के लिए एक तीर चलाई लेकिन वो तीर हिरण की बजाए एक ब्राह्मण को जा लगी. घायल ब्राह्मण ने राजा को शाप दिया कि वो असुर योनि में जन्म लेगा. शाप मिलते ही राजा का शरीर पांच कोस तक फैल गया और वो राजा से गयासुर बन गए. भगवान विष्णु के भक्त होने की वजह से गयासुर में आसुरी प्रवृत्ति नहीं आ पाई और वो अपना राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए.
गयासुर ने की कठिन तपस्या- जंगल जाकर गयासुर ने कड़ी तपस्या की और ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया. गयासुर ने ब्रह्माजी जी से वरदान प्राप्त कर लिया कि उसके दर्शन मात्र से पापी से पापी लोगों का भी उद्धार हो जाए. इसके बाद सभी असुरों के अत्याचार बढ़ गए. वो पाप करते लेकिन अंत समय में गयासुर के दर्शन कर पुण्य लोक की प्राप्ति कर लेते थे. ऐसा होने से स्वर्ग और नरक का संतुलन बिगड़ने लगा. स्वर्ग में पापियों की संख्या बढ़ने लगी. सारे देवताओं ने भगवान विष्णु से गयासुर का अंत करने की प्रार्थना की. देवताओं की समस्या को समझ कर भगवान विष्णु गयासुर के पास गए और कहा कि मुझे एक यज्ञ करना है. उसके लिए एक पवित्र स्थान चाहिए. गयासुर ने कहा कि हे प्रभु मेरे दर्शन मात्र से ही पापी से पापी लोग मुक्त हो जाते हैं तो आप मेरे ऊपर ही हवन कर ले. इससे पवित्र कुछ और नहीं हो सकता.
भगवान ने गयासुर पर यज्ञ कुंड रखा और कई प्रयास किए गए लेकिन उसकी मौत नहीं हुई. भगवान विष्णु ने कहा कि गयासुर तुमने कोई पाप नहीं किया है लेकिन तुम्हारे वरदान के कारण सभी असुर स्वर्ग जा रहे हैं जिससे स्वर्ग-नरक का संतुलन बिगड़ रहा है. ना चाहते हुए भी अब मुझे तुम्हें मारना पड़ेगा. गयासुर ने कहा कि हे प्रभु आप मेरी केवल दो इच्छाएं पूरी कर दीजिए मैं खुद ही अपना शरीर त्याग दूंगा. भगवान विष्णु ने गयासुर की इच्छाओं के बारे में पूछा. गयासुर ने कहा कि मेरी पहली इच्छा है कि सभी देवी देवता हमेशा के लिए अप्रत्यक्ष रूप से मुझमें वास करें. मेरी दूसरी इच्छा है कि अगर कोई मेरे धाम आकर सच्चे मन से कहता है कि हे भगवान मेरे पितरेश्वरों को मुक्ति प्रदान करें. तो आप उनके पितरेश्वरों को मुक्ति प्रदान कर देंगे. भगवान विष्णु के तथास्तु कहते ही गयासुर ने अपना शरीर त्याग दिया. तभी से यह मान्यता चली आ रही है कि गया में किया गए श्राद्ध या प्रार्थना से पितरों को मुक्ति मिल जाती है.
गया में प्रेतशिला का रहस्य- गया में स्थित प्रेतशिला 876 फीट ऊंचा एक पर्वत है और पितरों से इस चट्टान का खास संबंध है. प्रेतशिला वेदी पर भगवान विष्णुजी के चरण चिह्न बने हुए हैं. ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान प्रेतशिला की छिद्रों और दरारों से प्रेतात्माएं बाहर निकलती हैं और अपने परिजनों द्वारा किए गए पिंडदान को स्वीकार कर वापस चली जाती हैं. विष्णु पुराण के मुताबिक, गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है और वे स्वर्ग चले जाते हैं.