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Sankashti Chaturthi 2021: माता पार्वती को मनाने के लिए भगवान शिव ने रखा था संकष्टी चतुर्थी व्रत, यहां पढ़ें कथा

Sankashti Chaturthi 2021 date: संकष्टी चतुर्थी पर विधि विधान से पूजा किए जाने पर गणेश जी प्रसन्न होकर अपने भक्तों का हर संकट ही नहीं हरते, बल्कि उनकी हर मनोकामना भी पूरी करते हैं.

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संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा
संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कैलाश छोड़कर चली गईं थी माता पार्वती
  • भगवान शिव ने किया था संकष्टी चतुर्थी व्रत

Sankashti Chaturthi 2021: संकष्टी चतुर्थी का पावन व्रत इस बार 24 सितंबर 2021 दिन शुक्रवार को है. इस दिन गणेश जी की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि विधि विधान से पूजा किए जाने पर गणेश जी प्रसन्न होकर अपने भक्तों का हर संकट ही नहीं हरते, बल्कि उनकी हर मनोकामना भी पूरी करते हैं.  हालांकि संकष्टी चतुर्थी मनाने के पीछे ढेरों पौराणिक कथाएं हैं, लेकिन उन सबमें जो सबसे ज्यादा प्रचलित कथा है वो भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी हुई है.

ये है पौराणिक कथा (Sankashti Chaturthi 2021 Katha)
एक बार माता पार्वती और भगवान शिव नदी के पास बैठे हुए थे, तभी अचानक माता पार्वती ने चौपड़ (एक खेल) खेलने की अपनी इच्छा जाहिर की, लेकिन समस्या यह थी कि वहां उन दोनों के अलावा तीसरा कोई नहीं था. जो हार जीत का फैसला कर सके. इस समस्या का समाधान निकालते हुए भगवान शिव और पार्वती ने मिलकर एक मिट्टी की मूर्ति बनाई और उसमें जान डाल दी. मिट्टी से बने बालक को दोनों ने यह आदेश दिया कि तुम खेल को अच्छी तरह से देखना और यह फैसला लेना कि कौन जीता और कौन हारा. खेल शुरू हुआ, जिसमें माता पार्वती बार-बार भगवान शिव को मात दे कर विजयी हो रही थीं.

माता पार्वती हुईं क्रोधित 
खेल चलता रहा, लेकिन एक बार गलती से बालक ने माता पार्वती को हारा हुआ घोषित कर दिया. बालक की इस गलती ने माता पार्वती को बहुत क्रोधित कर दिया, जिसकी वजह से गुस्से में आकर बालक को श्राप दे दिया और वह लंगड़ा हो गया. बालक ने अपनी भूल के लिए माता से क्षमा मांगी. बालक के बार-बार निवेदन को देखते हुए माता ने कहा कि अब श्राप वापस तो नहीं हो सकता, लेकिन उपाय बताते हुए माता पार्वती ने बालक से कहा कि संकष्टी वाले दिन इस जगह पूजा करने कुछ कन्याएं आती हैं, तुम उनसे व्रत की विधि पूछना और उस व्रत को सच्चे मन से करना. इससे श्राप से मुक्ति मिल जाएगी. 

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गणेश जी ने दिया वरदान 
बालक ने पूजा विधि को जान कर पूरी श्रद्धापूर्वक व्रत किया. उसकी सच्ची आराधना से भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उसकी इच्छा पूछी. बालक ने माता पार्वती और भगवान शिव के पास जाने की अपनी इच्छा को ज़ाहिर की. गणेश जी ने उस बालक की मांग को पूरा कर दिया और उसे शिवलोक पंहुचा दिया, लेकिन जब वह पहुंचा तो वहां उसे केवल भगवान शिव ही मिले. माता पार्वती भगवान शिव से नाराज़ होकर कैलाश छोड़कर चली गयी होती हैं. जब शिव ने उस बच्चे को पूछा की तुम यहां कैसे आए तो उसने उन्हें बताया कि गणेश की पूजा से उसे यह वरदान प्राप्त हुआ है. यह जानने के बाद भगवान शिव ने भी पार्वती को मनाने के लिए उस व्रत को किया, जिसके बाद माता पार्वती भगवान शिव से प्रसन्न हो कर वापस कैलाश वापस आ गईं. 

 

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