दशहरे पर पूरे देश में अच्छाई पर बुराई की विजय के रूप में भगवान राम की पूजा होगी. हर जगह रावण वध होगा, लेकिन कानपुर के शिवाला इलाके में स्थित दशानन मंदिर में लंकाधिराज रावण की पूजा और आरती होगी. यहां श्रद्धालु रावण से मन्नतें मांगेंगे.
जानकारी के मुताबिक, इस दशानन मंदिर का निर्माण 1890 में हुआ था. इसके दरवाजे साल में केवल एक बार, दशहरे के दिन सुबह नौ बजे खुलते हैं. मंदिर में स्थापित रावण की मूर्ति की पुजारी द्वारा सफाई की जाती है. उसके बाद श्रृंगार किया जाता है.
इसके बाद रावण की आरती उतारी जाती है. दिन भर मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है, लेकिन शाम को रावण का पुतला दहन होने के बाद इस मंदिर के दरवाजे एक साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं. यहां पूजा अर्चना के लिए देश भर से हजारों लोग आते हैं.
मंदिर के संयोजक केके तिवारी ने बताया कि शिवाला इलाके में कैलाश मंदिर परिसर में भगवान शिव के मंदिर के पास ही लंकेश का मंदिर है. यह करीब 125 साल पुराना है. इसका निर्माण महाराज गुरू प्रसाद शुक्ल ने कराया था. यहां हजारों श्रद्धालु पूजा अर्चना करते हैं.
वह आगे बताते हैं कि रावण प्रकांड पंडित होने के साथ भगवान शिव का परम भक्त था. इसलिये शक्ति के प्रतीक के रूप में यहां कैलाश मंदिर परिसर में रावण का मंदिर बनाया गया था. रावण की आरती के बाद श्रद्धालु सरसों के तेल का दीपक जलाकर प्रार्थना करते हैं.