जीवन में कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जब हमें किसी से द्वारा किए गए अपमान को सहन करना पड़ता है. कई बार अपनी की गई गलतियों के कारण तो कई बार बिना बात के अपमानित होना पड़ता है. हालांकि, अपनी गलतियों के लिए हुए अपमान को इंसान सह लेता है, लेकिन कई बार बिना किसी गलती सबके सामने अपमानित होना पड़े तो सहना मुश्किल हो जाता है.
ऐसे में कई लोग तुरंत की अपने हुए अपमान का उसी भाषा में जवाब देना शुरू कर देत हैं, तो कई लोग चुप होकर बर्दाश्त कर जाते हैं. हालांकि, कई लोग ऐसे होते हैं कि जिन्हें समझ नहीं आता कि इस परिस्थिति में क्या किया जाए. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में अपमान के जवाब देने के तरीके बताए हैं.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब कोई आपका अपमान करे तो उसे उसकी भाषा में जवाब नहीं देना चाहिए, क्योंकि उसका काम आपको उकसाना है. इसलिए ये अच्छा है कि आप ऐसी परिस्थिति में चुप रहें और उसकी तरफ देखकर थोड़ा सा मुस्कुरा दें और उससे कुछ मत कहें, क्योंकि अगर कुछ कहेंगे तो उसे और भी ज्यादा गुस्सा आएगा और वो खुद को ही अपमानित महसूस करने लगेगा.
बहुत से लोग ऐसे होते हैं जिन्हें दूसरों का नीचा दिखाना अच्छा लगता है. आचार्य चाणक्य के मुताबिक, ऐसे लोग जीवन में असफल होते हैं. वे कहते हैं कि एक समझदार इंसान कभी किसी का अपमान नहीं करेगा. वहीं, बहुत से ऐसे भी होते हैं कि जिनके लिए सबकुछ सहन कर जाना ही सबसे बेहतर तरीका होता है.
हालांकि, चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई शख्स अपमान करे तो उसे एक बार सहना समझदारी है. दूसरी बार हुए अपमान को सहन करना उस शख्स के महान होने का परिचय देता है, लेकिन चाणक्य कहते हैं कि तीसरी बार अपमान को सहन करना उस शख्स की सबसे बड़ी बेवकूफी होती है, इसलिए हमेशा अपमान सहना सही नहीं है.
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बदबू केवल सड़े हुए फूलों से आती हैं, क्योंकि खिले हुए फूल हमेशा खुशबू फैलाते हैं. इसी तरह जो इंसान दूसरों का अपमान करता है, ऐसे लोगों की सोच बहुत ही छोटी होती है. इस कारण ऐसे लोग जीवन में कभी कामयाब नहीं हो पाते हैं. चाणक्य ये भी कहते हैं कि जिन लोगों को दूसरों का अपमान करना अच्छा लगता है उन लोगों से दूरी बनाए रखने में ही भलाई है.
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