Chanakya Niti In Hindi: आचार्य चाणक्य की नीतियां मनुष्य के जीवन के लिए काफी उपयोगी बताई गई हैं. इन नीतियों का अनुसरण करके मनुष्य अपने जीवन के कष्टों से निजात पा सकता है. नीतियों के महान ज्ञाता आचार्य चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ में ऐसे मनुष्य का जिक्र किया है जो वेदों का ज्ञानी होने के बाद भी वास्तविक ज्ञान से दूर रहता है. आइए जानते हैं इसके बारे में...
पठन्ति चतुरो वेदान धर्मशास्त्राण्यनेकश:।
आत्मानं नैव जानन्ति दवी पाकरसं यथा ।।
चाणक्य नीति के 15वें अध्याय में आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक का वर्णन किया है. इसमें वो कहते हैं कि जो लोग सारे वेदों और धर्मशास्त्रों का अध्ययन करने के बाद भी उनके महत्व को नहीं जानते, आत्मा और परमात्मा के ज्ञान को नहीं जान पाते हैं, वे आत्मज्ञान से भी वंचित रहते हैं.
चाणक्य के मुताबिक ऐसे लोगों का जीवन कराही में घूमने वाले बड़े चम्मच की तरह होता है जो स्वादिष्ट भोजन के बीच में सबसे ज्यादा समय बिताने का बाद भी उसके स्वाद से अन्भिग्य रहता है. वो उसका स्वाद नहीं ले पाता है.
छिन्नोऽपि चन्दनतर्न जहाति गन्धं
वृद्धोऽपि वारणपतिर्न जहाति लीलाम् ।
यन्त्रार्पितो मधुरतां न जहाति चेक्षुः
क्षीणोऽपि न त्यजति शीलगुणान् कुलीनः ।।
चाणक्य इस श्लोक में कहते हैं कि चन्दन के पेड़ को काट भी दिया जाए तो वह अपनी खुशबू को नहीं छोड़ता. हाथी बूढ़ा हो जाने पर भी अपने कामों को नहीं छोड़ता. ईख को कोल्हू में पेर दिया जाए तो भी वह अपनी मिठास को नहीं छोड़ता. इसी प्रकार जो अच्छे और संस्कारी मनुष्य होते हैं वो धनहीन होने पर भी अपनी सुशीलता को नहीं छोड़ते.