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चाणक्य नीति: पशु और मनुष्य में ये 4 चीजें एक समान, सिर्फ इस एक बात से अलग हैं दोनों

Chanakya Niti In Hindi: नीतिशास्त्र के महान ज्ञाता रहे आचार्य चाणक्य के सिद्धांत और उनकी नीतियां सदियां गुजरने के बाद भी प्रासंगिक हैं. विष्णुगुप्त और कौटिल्य के नाम से मशहूर और कुशल अर्थशास्त्री चाणक्य ने अपनी किताब चाणक्य नीति में मनुष्य और पशु के फर्क को बताया है.

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Chanakya Niti In Hindi (चाणक्य नीति, Success Tips For Life )
Chanakya Niti In Hindi (चाणक्य नीति, Success Tips For Life )

नीतिशास्त्र के महान ज्ञाता रहे आचार्य चाणक्य के सिद्धांत और उनकी नीतियां सदियां गुजरने के बाद भी प्रासंगिक हैं. विष्णुगुप्त और कौटिल्य के नाम से मशहूर और कुशल अर्थशास्त्री चाणक्य ने अपनी किताब चाणक्य नीति में मनुष्य और पशु के फर्क को बताया है. मनुष्य और पशु कई क्रियाएं एक समान करते हैं इसके बावजूद चाणक्य एक श्लोक द्वारा बताते हैं कि शरीर की संरचना के अलावा किस आधार पर मनुष्य पशु से श्रेष्ठ हो जाता है. आइए जानते हैं इस बारे में...

आहारनिद्राभयमैथुनंच सामान्यमेतत् पशुभिर्नराणाम्।

थर्मोहितेषामधिको विशेषो धर्मेण हीनाः पशुभिः समानाः।।

चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से बताते हैं कि मनुष्य किस प्रकार पशुओं से अलग है और कौन सी प्रवृति मनुष्य को श्रेष्ठ बनाती है. संसार के सभी जीवों की तरह मनुष्य भी उदार-पोषण, भय, निद्रा, संभोग और संतानोत्पति का काम करता है.

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इस दृष्टि से देखा जाए तो मनुष्य में और पशुओं में शारीरिक बनावट को छोड़ दें तो कुछ ज्यादा अंदर नहीं दिखता. लेकिन आचरण मनुष्य को पशुओं से अलग और श्रेष्ठ बनाता है. मनुष्य के आचरण में धर्माचरण अत्यंत महत्वपूर्ण है, यानी धर्म का ज्ञान और उसके मार्ग पर चलने की प्रवृति मनुष्य को पशुओं से अलग करती है.

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जो धर्म-कर्म और नौतिक गुणों से युक्त है, वास्तव में वहीं मनुष्य कहलाने का अधिकारी है. इसके विपरीत व्यक्ति में अगर धर्म-कर्म, नैतिकता न हो तो वह पशु के समान ही है. इसलिए नैतिक गुणों से युक्त व्यक्ति ही बुद्धिमान है.

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