छोद्रोन तिब्बती महिला हैं. पिछले एक साल से वह स्थानीय बौद्ध मठ से काष्ठपात्र पर प्रिंट किए सूत्र को पाने की आस लगाए हुए हैं. लेकिन उनकी आस पूरी नहीं हो रही है. परंपरागत और सुंदर धार्मिक लेख को पाने के लिए उन्हें अभी और इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि कतार में उनसे आगे कई लोग हैं.
तिब्बतियों के बीच परंपरागत सूत्र की मांग का इससे अंदाजा लगाया जा सकता है. सूत्र ऐसे लेख होते हैं, जिनका इस्तेमाल बौद्धों के महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में किया जाता है. इन्हें सदियों से एक खास तरीके से ही तैयार किया जाता रहा है. कागज पर हाथ से धार्मिक लेख की चित्रकारी की जाती है और उसे काष्ठपात्र पर जड़ दिया जाता है.
बड़ी खासियत यह है कि ये लेख लंबे समय तक मिटते नहीं हैं. किसी जमाने में यह धनवानों और सामंतों के पास हुआ करते थे, लेकिन 50 साल पहले तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र बनने के बाद यह आम तिब्बती लोगों की पहुंच में आ गए. आज हालत यह है कि लोगों को एक-एक सूत्र पाने के लिए महीनों इंतजार करना पड़ रहा है.
बहुत समय लेने वाली इस कला से जुड़े लोग इसे बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. सरकारी मदद से कार्यशाला लगाई जा रही है, जिनमें नए चित्रकारों को सूत्र बनाने का हुनर सिखाया जा रहा है.
चीन की तिब्बत शाखा के बौद्ध एसोसिएशन के उप निदेशक नियिमा कहते हैं, 'लकड़ी के ब्लॉक पर बने प्रिंट के लिए लोगों की चाह की एक बड़ी वजह यह है कि ये 500 साल तक जस के तस बने रह सकते हैं.'
इनपुट: IANS