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Rameswaram Jyotirling: जब रावण वध से लगा ब्रह्महत्या का पाप, फिर राम ने की इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना

Rameswaram Jyotirling: रामेश्वरम मंदिर को रामनाथस्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम के शंख के आकार के पंबन द्विप पर स्थित है. 12 ज्योतिर्लिगों में से यह भगवान शिव का ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग है. यह स्थान शैव और वैष्णव दोनों ही अनुयायियों के लिए खास माना जाता है. 

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रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (File Photo- Getty Image)
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (File Photo- Getty Image)

Rameswaram Jyotirling: 4 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार है यानी सावन का महीना अंतिम चरण में प्रवेश करने वाला है. जैसा की सबको मालूम है कि सावन का पूरा महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. इस महीने में कई लोग भगवान शिव की उपासना करते हैं और साथ ही कई भक्तगण उनके ज्योतिर्लिगों के जाकर दर्शन करते हैं.

माना जाता है कि रोजाना जो व्यक्ति इन 12 ज्योतिर्लिगों का स्मरण कर भगवान शिव की पूजा व उपासना करता है, उस जातक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. साथ ही, सभी कामनाएं सिद्ध हो जाती हैं. इन ज्योतिर्लिगों पर चढ़ा हुआ नैवेद्य का प्रसाद ग्रहण करने से मनुष्य के सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं. आज हम महादेव के इन्हीं ज्योतिर्लिंगों में से एक रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के बारे में आपको बताएंगे.

क्या है रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की कथा?

रामेश्वरम मंदिर को रामनाथस्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामेश्वरम के शंख के आकार के पंबन द्विप पर स्थित है. 12 ज्योतिर्लिगों में से यह भगवान शिव का ग्यारहवां ज्योतिर्लिंग है. यह स्थान शैव और वैष्णव दोनों ही अनुयायियों के लिए खास माना जाता है. 

शिवपुराण के श्रीकोटिरुद्र संहिता के अनुसार, इस ज्योतिर्लिंग का नाम रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग इसलिए पड़ा, क्योंकि भगवान राम ने इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी. कथा के अनुसार, लंका से लौटते वक्त रामेश्वरम में भगवान राम ने रावण को हराने के बाद शिवजी की पूजा की थी. रावण एक विद्वान ब्राह्मण और शिव भक्त था. इसलिए राम ने उन्हें मारने के पाप के प्रायश्चित के लिए शिवजी की पूजा की थी.

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हालांकि, पूजा से पहले हनुमान जी को कैलाश से शिवलिंग लाने के लिए भेजा गया था, लेकिन जब वे समय पर नहीं लौटे, तो माता सीता ने रेत से एक लिंग का निर्माण किया और फिर राम ने उसकी पूजा की थी. जब हनुमान लौटे और राम को पहले से ही पूजा करते देखा, तो वे उदास हो गए. तब राम ने निर्णय लिया कि यहां आने वाले भक्त पहले हनुमान द्वारा स्थापित शिवलिंग की पूजा ही करेंगे.

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?

हवाई मार्ग- अगर आप दिल्ली से रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग जाने का सोच रहे हैं तो दिल्ली से आपको सीधा मदुरै एयरपोर्ट (तमिलनाडु) जाना होगा, जो कि रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है. मदुरै एयरपोर्ट से आपको रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग जाने के लिए आसानी से बस या टैक्सी मिल जाएगी.

रेल मार्ग- नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से पहले आपको तमिलनाडु के रामेश्वरम रेलवे स्टेशन पहुंचना होगा. जहां से आपको रामेश्वरम मंदिर जाने के लिए ऑटो रिक्शा, टैक्सी जैसे परिवहन मिल जाएंगे.

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