Akshaya Tritiya 2025: सनातन धर्म में हर साल वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाए जाने की परंपरा है. अक्षय तृतीया का त्योहार 30 अप्रैल यानी आज मनाया जा रहा है. इस त्योहार से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं. दरअसल, यह दिन बांके बिहारी के चरणों के दर्शन के बिना अधूरा माना जाता है. वहीं, बांके बिहारी मंदिर से जुड़े कई और अनेकों रहस्य हैं, जिससे बहुत ही कम लोग परिचित हैं.
दरअसल, श्रीकृष्ण का दूसरा नाम श्री बांके बिहारी भी है और यह मंदिर भगवान कृष्ण के बाल रूप के दर्शन के लिए प्रसिद्ध है. बड़ी संख्या में भक्त यहां दूर दूर से आते हैं. मान्यतानुसार, बांके बिहारी मंदिर के दर्शन करते वक्त पुजारी बीच बीच में पर्दा डालते हैं ताकि भक्त भगवान को एक टक ना देख सके. स्थानीय लोगों के अनुसार, यह परंपरा लगभग 400 साल पुरानी है और इस परंपरा से जुड़ा एक दिलचस्प रहस्य भी है.
बांके बिहारी मंदिर में पर्दा लगाने का रहस्य
कहा जाता है कि एक बार एक वृद्ध महिला जो संतानहीन थी, बांके बिहारी के दर्शन करने पहुंची. वह वृद्ध महिला भगवान श्री कृष्ण को बहुत देर तक निहारती रही और सोचने लगी कि काश मुझे भी कन्हैया जैसी संतान होती. बिहारी जी को देखते देखते वो ये सोचकर बहुत रोई और थोड़ी देर बाद घर लौट आई. लेकिन, घर वो अकेले नहीं आई थी बल्कि बांके बिहारी भी उनके साथ गए थे. अगले दिन मंदिर में भगवान को अपने स्थान पर न पाकर हड़कंप मचा गया.
उसके बाद मंदिर के पुजारी और बाकी भक्तगण प्रभु को खोजते खोजते वृद्ध महिला के घर पहुंचे और उनसे प्रार्थना की कि वह भगवान को वापिस लौटा दें. उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने सभी की प्रार्थना स्वीकार की और मंदिर वापस लौट आए. तभी से बांके बिहारी मंदिर में पर्दा डालने की परंपरा शुरू हुई ताकि दोबारा अपने भक्त के भाव को देखकर वो अपना स्थान ना छोड़ें.
कहां है बांके बिहारी मंदिर?
बांके बिहारी मंदिर यूपी के मथुरा जिले के वृंदावन धाम में रमण रेती पर स्थित है. ये भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. बांके बिहारी भगवान कृष्ण का ही एक रूप है जो इस मंदिर में दिखाया गया है. ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र भूमि पर आने मात्र से ही पापों का नाश हो जाता है. वृंदावन धाम में बांके बिहारी मंदिर का निर्माण 1864 में स्वामी हरिदास ने करवाया था. स्वामी हरिदास श्रीकृष्ण के परम भक्त थे. माना जाता है कि इस मंदिर में स्थापित श्रीकृष्ण की मूर्ति खुद प्रकट हुई है.