अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन ने सिंगापुर के सेंटोसा द्वीप में मुलाकात की. एक-दूसरे को परमाणु युद्ध की धमकी देने वाले दोनों नेताओं की यह ऐतिहासिक मुलाकात हर तरफ चर्चा में है.
किम ने 2011 में अपने पिता किम जोंग Il की मौत के बाद कार्यभार संभाला था. नॉर्थ कोरिया के लोगों के लिए वह एक राजनेता नहीं बल्कि उससे कहीं ज्यादा अहमियत रखते हैं.
किम जोंग की जन्म की असली तारीख किसी को मालूम नहीं है और ना ही कभी भी
नॉर्थ कोरिया की सरकार ने इसकी पुष्टि की है. माना जाता है कि किम जोंग उन
की जन्मतिथि 8 जनवरी 1982 के बीच 5 जुलाई 1984 के बीच में पड़ती है.
अक्सर लोगों के मन में एक सवाल यह उठता है कि पूरी दुनिया को धता बताकर एक के बाद एक लगातार मिसाइल परीक्षण करने वाले नॉर्थ कोरिया प्रमुख किम जोंग उन आखिर किस धर्म को मानते हैं?
किम जोंग उन एक नास्तिक हैं यानी एक ऐसा शख्स जो किसी ईश्वर को नहीं मानता
है. किम जोंग उन किसी धर्म और किसी ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं रखते
हैं.
उत्तर कोरिया में किम जोंग उन को सर्वोच्च नेता कहा जाता है. उत्तर कोरिया
की सरकार के मुताबिक, वे कम्युनिजम के सिद्धांत को मानते हैं जिसे देश के
लोग चलाते हैं. हालांकि लोकतांत्रिक देश उत्तर कोरिया के किम जोंग उन को एक
तानाशाह के रूप में देखते हैं.
उत्तर कोरिया एक ऐसा देश हैं जहां राज्य किसी भी धार्मिक विश्वास और गतिविधियों को हतोत्साहित करता है. यहां 3 क्रिस्चियन चर्च हैं और प्योंगयांग में एक मस्जिद लेकिन बहुत कम ही लोग यहां धार्मिक क्रियाकलापों का अभ्यास करते हुए नजर आते हैं.
चोन्डोइजम को उत्तर कोरिया की आधिकारिक मान्यता प्राप्त है. इस धर्म के लोगों का विश्वास है कि इंसान को खुद ही अपने और अपने समुदाय को बेहतर बनाना पड़ता है और मरने के बाद कोई पुनर्जन्म जैसी चीजें नहीं होती हैं.
उत्तर कोरिया में एक छोटा सा समुदाय है जो बौद्ध और ईसाई धर्म में विश्वास करता है हालांकि यह देश की कुल आबादी का 5 प्रतिशत से भी कम है.
उत्तर कोरिया ईसाइयों के लिए सबसे बुरी जगह मानी जाती है. 2016 में राज्य ने क्रिसमस के जश्न पर प्रतिबंध लगा दिया था. क्रिसमस मनाने के बजाए किम जोंग उन ने लोगों से अपनी दादी किम जोंग सुक का जन्मदिन मनाने का निर्देश दिया था जो 1919 में क्रिसमस पर ही पैदा हुई थीं.
नॉर्थ कोरिया के एक डिफेक्टर जी-मिंग कांग के मुताबिक, उत्तर कोरिया के धर्म का अलग प्रोपैगैंडा है. इस प्रोपैगैंडा में बताया जाता है कि किम Il सुंग की विचारधारा से ही अमरता हासिल हो सकती है, मौत के बाद आपका शरीर खत्म हो जाएगा लेकिन राजनीतिक जीवन हमेशा अमर रहेगा. ऐसी मान्यताओं ने उत्तर कोरिया में किम Il सुंग को एकमात्र ईश्वर बना दिया है, एक ऐसा सिस्टम जो कई बार लोगों की जान भी ले लेता है.
नॉर्थ कोरिया के डिफेक्टर जी-मिंग कांग बताते हैं, "अतीत में लोगों से किम परिवार को भगवान की तरह पूजने के लिए कहा जाता था लेकिन वर्तमान में कई लोग किम जोंग उन का सम्मान नहीं करते हैं. इसका मतलब ये है कि वे लोग अब कहीं और अपनी आस्था तलाश रहे हैं. लोगों को पता है कि उन्हें जेल तक भेजा जा सकता है लेकिन इसके बावजूद भी वे अपनी आस्था के मुताबिक पूजा कर रहे हैं."
उत्तर कोरिया के बाहर के कई धार्मिक और मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर कोरिया में अंडरग्राउंड चर्च के कई सदस्यों को गिरफ्तार कर उन्हें प्रताड़ित किया गया और उनकी धार्मिक मान्यताओं की वजह से उन्हें मौत के घाट भी उतार दिया गया.
उत्तर कोरिया की सरकार चाहती हैं कि लोग किसी धर्म में आस्था रखने के बजाए
गणतंत्र और अपने नेताओं के प्रति वफादार रहें. सरकार चाहती है कि लोग किम
के दादा और उत्तर कोरिया के संस्थापक किम Il सुंग को ही अपना ईश्वर मानें.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन के मुताबिक, 2.5 करोड़ लोगों की आबादी
में से ईसाईयों की आबादी 200,000 से 400,000 है और वे गुपचुप तरीके से अपने
धर्म का अभ्यास करते हैं. उत्तर कोरिया क्रिसमस के खिलाफ दशकों से अभियान
चला रहा है और किम इस परंपरा का लंबे समय से पालन कर रहे हैं.