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श्मशान में सफेद कपड़े पहनकर जाने का क्यों है रिवाज? इन 3 गलतियों से बचें

हमारे कपड़े, बिस्तर या चादर भी अच्छी-बुरी ऊर्जा का आकर्षित करते हैं. अगर कपड़ों को रखने और पहनने का तरीका गलत हो तो निश्चित ही जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है. आइए आज आपको बताते हैं कि कपड़ों से जुड़ी कौन सी गलतियां जीवन में नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को बढ़ाती हैं.

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श्मशान में सफेद कपड़े पहनकर जाने का क्यों है रिवाज? इन 3 गलतियों से बचें (Photo: Getty Images)
श्मशान में सफेद कपड़े पहनकर जाने का क्यों है रिवाज? इन 3 गलतियों से बचें (Photo: Getty Images)

आमतौर पर जिसे लोग शैतान या प्रेत कहते हैं, वो जीवन का एक नकारात्मक रूप है. हम जिसे दिव्य कहते हैं, वो जीवन का सकारात्मक रूप है. सद्गुरु कहते हैं कि हमारे कपड़े, बिस्तर या चादर भी अच्छी-बुरी ऊर्जा को आकर्षित करते हैं. अगर कपड़ों को रखने और पहनने का तरीका गलत हो तो निश्चित ही जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है. आइए आज आपको बताते हैं कि कपड़ों से जुड़ी कौन सी गलतियां जीवन में नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को बढ़ाती हैं.

कपड़ों को रखने का गलत तरीका
हमें बचपन से ही अपने कपड़ों को ढंग से तह लगाकर रखने की सीख दी जाती रही है. हमें इस्तेमाल के बाद अपने कपड़े, बिस्तर और चादर अच्छे से फोल्ड करके रखने चाहिए. ऐसा कहते हैं कि अगर सुबह नींद से जागने के बाद अपने बिस्तर को ढंग से तह लगाकर न रखें तो उसमें नकारात्मक शक्तियों का वास हो जाता है. और जब आप पुन: उस बिस्तर पर सोने जाते हैं तो इससे जीवन पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है. बिखरी या अव्यवस्थित चीजें ऊर्जा के नकारात्मक रूप को आकर्षित करती हैं.

काले और सफेद कपड़े
क्या आप जानते हैं कि हमारी आंखें रंगों को सिर्फ सफेद प्रकाश के बिखराव के रूप में पहचानती हैं. कोई लाल चीज इसलिए लाल नहीं दिखती, क्योंकि उसका रंग लाल है. बल्कि इसलिए दिखती है, क्योंकि वह सफेद प्रकाश में मौजूद सभी रंगों को अपने पास रखकर सिर्फ लाल रंग को वापस करती है. दूसरे शब्दों में कहें तो वो चीज जो रंग वापस फेंकती है, वही उसका रंग बन जाता है. यानी हमारा बोध बिल्कुल गलत है. हमें लगता है कि कोई चीज लाल है. पर वो लाल के अलावा सबकुछ है. इसी तरह कोई चीज सफेद इसलिए है, क्योंकि वो अपना मूल रंग छोड़कर सबकुछ वापिस दे देती है.

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जब आप किसी ऐसे स्थान पर जाते हैं जहां चीजों पर आपका कोई कंट्रोल नहीं होता तो हमेशा सफेद पहनकर जाने की सलाह दी जाती है. दरअसल, आप नहीं जानते कि बाहर आपके आस-पास क्या हो रहा है. आप लोगों के मन में छिपे विचार और भावनाओं को नहीं जान सकते. ऐसे में सफेद रंग आपको एक प्रकार की सुरक्षा देता है. बाकी सब वापस फेंक देता है. सिर्फ प्रकाश नहीं, ऊर्जा भी.

इसके विपरीत, काला सब सोख लेता है. अगर आप किसी ऐसी जगह पर हैं, जहां सब सोख लेना चाहते हैं तो आपको काला पहनना चाहिए. सद्गुरु कहते हैं कि तकरीबन 25 फीसद लोगों में मानसिक संघर्षो की वजह लंबे समय तक ऐसी स्थितियों में काले कपड़े पहनना है, जहां उन्हें नहीं होना चाहिए. यदि आप किसी के यहां शोक व्यक्त करने जाएं या आपके आस-पास किसी की मृत्यु हो जाए तो काला कपड़ा कभी नहीं पहनना चाहिए. ऐसे में सिर्फ सफेद ही पहनें, क्योंकि आप कभी ऐसी ऊर्जा नहीं सोखना चाहेंगे. आप जिन जगहों का मौहाल खुद में नहीं उतारना चाहते, वहां कभी काले कपड़े पहनकर न जाएं.

मृतकों के कपड़े
इंसान जो कपड़े पहनता है, उसमें उसका कुछ अंश बाकी होता है. ये संस्कृति का एक हिस्सा रहा है कि जब कोई व्यक्ति मरता है तो जो कपड़े उसके शरीर के संपर्क में थे, उन्हें जला दिया जाता था. उन्हें कभी संभालकर नहीं रखा जाता था. यदि कोई कपड़ा बहुत कम पहना गया है तो वो केवल खून के रिश्ते से जुड़े लोगों को दिया जाता था. हालांकि वो कपड़े भी मृत्यु की पहली बरसी तक नहीं पहने जाते थे.

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दरअसल, ऐसे कपड़ों के संपर्क में आने से उसमें हमारी कुछ ऊर्जा जुड़ जाती है. इसके बाद आप कुछ बहुत ही अजीबोगरीब घटनाओं का अनुभव करने लगेंगे. ऐसी जो भी चीज आपके शरीर से संपर्क बनाती है, उसमें आपका थोड़ा सा गुण आ जाएगा. इसलिए भारत में लोग अपने शरीर के संपर्क में आने वाले कपड़ों का बहुत ख्याल रखते हैं. अक्सर काला जादू करने वाले लोग इनका गलत प्रयोग कर लेते हैं. 

सद्गुरु कहते हैं कि हमें मृत लोगों से संबंध नहीं रखना चाहिए. जैसे ही कोई इंसान अपने शरीर, मन, बुद्धि और भावना की सामान्य समझ को छोड़ता है तो आपका उनसे नाता खत्म हो जाता है. फिर चाहे वो इंसान कितना भी प्रिय या करीबी क्यों न हो.

 

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