रमजान का पाक महीना शुरू हो गया है. इसी के साथ रमजान में पढ़े जाने वाली तरावीह की नमाज भी शुरू हो गई. तरावीह की नमाज में कुरान पाक की आयतें सुनाई जाती हैं. यह नमाज बिना इमाम के नहीं की जा सकती है. एक इमाम कुरान मुंह जुबानी बोलते हुए नमाज पढ़ाते हैं तो एक इमाम उन्हें ध्यान से सुन भी रहे होते हैं ताकि कोई गलती किसी आयत में न जा पाए. तरावीह में पूरा कुरान सुनाया जाता है. आमतौर पर इस प्रक्रिया में 27 या 28 दिनों का समय लगता है लेकिन काफी लोग तीन दिन और 10 दिन में भी पूरी तरावीह पढ़ लेना पसंद करते हैं.
दरअसल, तरावीह की नमाज इफ्तार के करीब 2 घंटे बाद शुरू की जाती है. यह रात की नमाज (ईशा) के साथ पढ़ी जाती है. तरावीह की नमाज 20 रकात की होती है. 27-28 दिनों वाली प्रक्रिया में तरावीह की नमाज पढ़ने में लगभग एक घंटे से डेढ़ घंटे तक का समय लग जाता है. जबकि अगर कोई तीन दिन या 10 दिन वाली तरावीह पढ़ रहा है तो 20 रकात की यह नमाज कुछ घंटों की भी हो सकती है. ऐसे में जिन लोगों जरूरी काम होते हैं वह कई बार कम दिनों वाली तरावीह नमाज पढ़ना पसंद करते हैं.
खास बात है कि तरावीह की नमाज अगर एक बार शुरू की तो जितने दिन भी वह पढ़ाई जाएगी उसे नियमित रूप से पढ़ना होता है. तरावीह की नमाज अगर एक दिन भी छोड़ दी तो उसका सारा फायदा खत्म हो जाता है.इसलिए अगर कोई भी इंसान तरावीह की नमाज शुरू करता है तो वह पूरी कोशिश करता है कि कोई भी दिन छूट न जाए.
तरावीह पढ़ने वालों के माफ हो जाते हैं सारे गुनाह
इस्लाम के जानकारों के अनुसार, पैगंबर मुहम्मद ने ही सबसे पहले तरावीह की नमाज पढ़ी थी और अपनी अनुयायियों को भी तरावीह नमाज पढ़ने का निर्देश दिया था. इसी के बाद से पूरे विश्व नें तरावीह की नमाज हर रमजान पढ़ी जाती है. इस्लामिक अनुवादकों ने पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब की रमजान में तरावीह पर कही गई एक बात का अनुवाद किया है. अनुवाद के अनुसार, इस्लाम के आखिरी नबी पैगंबर मुहम्मद ने कहा कि जो भी इंसान सच्चे विश्वास के साथ रमजान की रातों में नमाज पढ़ता है और अल्लाह से इनाम मांगता है, उसके सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं.
रमजान के महीने में तरावीह पढ़ने के फायदे
रमजान के पाक महीने में जो इंसान रोजा और नमाज के साथ तरावीह की नमाज भी पढ़ता है, अल्लाह उससे बहुत खुश होता है. तरावीह पढ़ने वालों पर अल्लाह की रहमत बरसती है. अल्लाह की हुक्म से उनकी हर मुराद पूरी हो जाती हैं. साथ ही जैसा पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब ने भी फरमाया है कि तरावीह पढ़ने वाले के सारे गुनाह अल्लाह माफ कर देता है.