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कहां है रामनगर? जहां साउथ में बनने जा रहा राम मंदिर, भगवान राम के वनवास से है कनेक्शन

अब कर्नाटक में भी उत्त प्रदेश के अयोध्या की तरह भव्य राम मंदिर बनाया जाएगा. इसके शिलान्यास कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी बुलाया जाएगा. इस जगह का भगवान राम से लिंक है. कहा जाता है कि वनवास के दौरान श्रीराम यहां रुके थे.

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अयोध्या के राम मंदिर के तर्ज पर ही कर्नाटक के रामनगर में मंदिर बनेगा. (File Photo)
अयोध्या के राम मंदिर के तर्ज पर ही कर्नाटक के रामनगर में मंदिर बनेगा. (File Photo)

कर्नाटक के रामनगर में राममंदिर बनाने की योजना बन रही है. ये पहल राज्य सरकार ने की है. ऐसा माना जाता है कि भगवान राम अपने वनवास के दौरान यहां रुके थे. कर्नाटक सरकार राम मंदिर के शिलान्यास समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आमंत्रित करने जा रही है.

रामनगर शहर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू से 50 किलोमीटर दूर स्थित है. बेंगलुरू से रामनगरम पहुंचने में करीब 90 मिनट का समय लगता है. बता दें कि रामनगरजिले के प्रभारी मंत्री सी एन अश्वथ नारायण ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से अयोध्या में श्रीराम मंदिर की तर्ज पर रामदेवराबेट्टा में एक मंदिर बनाने के लिए एक विकास समिति गठित करने का आग्रह किया था.

बोम्मई और मुजराई मंत्री शशिकला जोले को लिखे पत्र में, उन्होंने मांग की थी कि कर्नाटक के रामनगर जिले में रामदेवराबेट्टा को दक्षिण भारत की अयोध्या के रूप में विकसित किया जाना चाहिए. नारायण ने कहा कि रामदेवराबेट्टा में मुजरई विभाग की 19 एकड़ जगह का उपयोग कर श्रीराम मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए.

भगवान राम ने बिताया था एक साल

मंत्री ने कहा, 'लोग यह भी मानते हैं कि श्री राम ने वनवास के दिनों में सीता और लक्ष्मण के साथ वन में एक वर्ष बिताया था. उनका यह भी मानना ​​है कि सात महान संतों ने यहां अपनी तपस्या की थी. इसके अलावा, यह देश में एक प्रमुख गिद्ध संरक्षण क्षेत्र है.'उन्होंने पत्र में कहा कि रामदेवराबेट्टा और रामायण के बीच पारंपरिक संबंध त्रेतायुग के युग से हैं.'

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इस क्षेत्र को सुग्रीव ने किया स्थापित

उन्होंने कहा, 'क्षेत्र के लोगों में एक दृढ़ विश्वास है कि सुग्रीव ने रामदेवराबेट्टा को स्थापित किया था. जिले के लोगों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, रामदेवराबेट्टा को एक विरासत और आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए. इससे हमें अपनी संस्कृति को भी पोषण पर्यटन के रूप में चित्रित करने में मदद मिलेगी.'

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