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Chanakya Niti About Money: भूलकर भी ऐसे धन की न करें कामना, होता है नुकसान, जानें क्या कहती है चाणक्य नीति

चाणक्य अपने नीतिशास्त्र में बताते हैं कि किस प्रकार के कर्मों से धन की प्राप्ति की जा सकती है और कौन से काम धन प्राप्ति के लिए गलत हैं. आइए जानते हैं चाणक्य की इस नीति के बारे में...

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Chanakya Niti In Hindi, चाणक्य नीति
Chanakya Niti In Hindi, चाणक्य नीति

Chanakya Niti In Hindi: धन पाने की इच्छा हर एक मनुष्य की होती है और इसके लिए वो कई बार गलत रास्ते का इस्तेमाल भी कर जाता है. ऐसे में चाणक्य ने धन प्राप्त करने से जुड़ी कई अन्य बातों को लेकर नीतियां बताई हैं. वो बताते हैं कि किस प्रकार के कर्मों से धन की प्राप्ति की जा सकती है और कौन से काम धन प्राप्ति के लिए गलत हैं. आइए जानते हैं चाणक्य की इस नीति के बारे में...

अतिक्लेशेन ये चार्था धर्मस्यातिक्रमेण तु। 
शत्रूणां प्रणिपातेन ते ह्यर्था मा भवन्तु मे।।

चाणक्य इस श्लोक में कहते हैं कि जो धन दूसरों को हानि और पीड़ा पहुंचाकर, धर्म के विरुद्ध कार्य करके, शत्रु के सामने गिड़गिड़ाकर प्राप्त होता हो, वह धन मुझे नहीं चाहिए. ऐसा धन मेरे पास न आए तो अच्छा है.

आचार्य के कहने का आशय है कि मनुष्यों को ऐसे धन की कामना नहीं करनी चाहिए, जो दूसरों को हानि पहुंचाकर एकत्रित किया गया हो. धर्म विरुद्ध कार्य करके और दुश्मन के सामने हाथ जोड़कर प्राप्त किया हुआ धन अकल्याणकारी और अपमान देने वाला होता है. 

मनुष्य को ऐसा धन प्राप्त करने की चेष्टा नहीं करनी चाहिए. उसे सदैव परिश्रम और अच्छे उपायों से ही धन का संग्रह करना चाहिए. शुभ धन ही शुभत्व देता है.

किं तया क्रियते लक्ष्म्या या वधूरिव केवला | 
या तु वेश्येव सा मान्या पथिकैरपि भुज्यते।।

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चाणक्य नीति (Chanakya Niti) के इस श्लोक में आचार्य कहते हैं, ऐसे धन का भी कोई लाभ नहीं, जो कुलवधू के समान केवल एक ही मनुष्य के लिए उपभोग की वस्तु हो. धन-संपत्ति तो वही श्रेष्ठ है, जिसका लाभ राह चलते लोग भी उठाते हैं, अर्थात धन-संपत्ति वही श्रेष्ठ है, जो अन्य लोगों के भी काम आती है.

इस श्लोक का भाव है कि उत्तम धन वही है, जो परोपकार के काम में लगाया जाता है, जिस धन को कोई एक व्यक्ति समेटकर बैठ जाता है, न तो उसे उपयोगी माना जाता है और न ही उससे किसी का लाभ होता है, समाज कल्याण के उपयोग में लाया गया धन ही श्रेष्ठ धन है. धन की गति कभी रुकनी नहीं चाहिए.

 

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