हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. एकादशी का व्रत हर मास दो बार रखा जाता है. भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एकादशी के व्रत को बहुत ही शुभ माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर मास कृष्ण और शुक्ल पक्ष को एकादशी का व्रत रखने का विधान है. आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत-पूजन करने वाले जातक को सभी सुखों की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है.
कब है योगिनी एकादशी
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून को सुबह 7 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी और 22 जून को सुबह 4 बजकर 27 मिनट तक रहेगी. ऐसे में यह व्रत 21 जून, यानी आज रखा जाएगा.
योगिनी एकादशी महत्व
योगिनी एकादशी व्रत का व्रत रखने से समस्त पापों का नष्ट हो जाता है. साथ ही मृत्यु के बाद व्यक्ति को भगवान विष्णु के चरणों में स्थान प्राप्त होता है. इस व्रत को करने वाले लोगों को यमदूत के बजाय देवदूत आते हैं और स्वर्ग ले जाते हैं. माना जाता है कि इस एक एकादशी के व्रत को करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने जैसा पुण्य मिलता है.
योगिनी एकादशी 2025 व्रत पारण समय
एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि पर करना चाहिए। आप आषाढ़ एकादशी का पारण 22 जून को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट से 04 बजकर 35 मिनट तक पारण कर सकते हैं.
योगिनी एकादशी पूजन विधि
योगिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और गवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें. भगवान को फल-फूल अर्पित करें और धूप-दीप जलाकर अपनी मनोकामना मांगे. पूजा के बाद योगिनी एकादशी की व्रत कथा पढ़ें और आखिर में आरती करें.
योगिनी एकादशी दान
हिंदू धर्म में एकादशी पर दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन मंदिर या गरीब लोगों को अन्न, धन और कपड़े आदि चीजें दान करने से मां लक्ष्मी की प्रसन्न होती हैं. मान्यता के अनुसार, इन चीजों का दान करने से व्यक्ति को धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.