Shattila Ekadashi 2021: माघ का महीना भगवान विष्णु का महीना माना जाता है. एकादशी की तिथि विश्वेदेवा की तिथि होती है. श्री हरि की कृपा के साथ समस्त देवताओं की कृपा का यह अद्भुत संयोग केवल षठतिला एकादशी को ही मिलता है. इसलिए इस दिन दोनों की ही उपासना से तमाम मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं. इस दिन कुंडली के दुर्योग भी नष्ट किए जा सकते हैं. इस बार षट्तिला एकादशी 07 फरवरी को है.
षट्तिला एकादशी पर ग्रहों का संयोग
चन्द्रमा बृहस्पति की पवित्र राशि धनु में होगा. सूर्य धनिष्ठा नक्षत्र में होगा, जिससे स्नान और दान विशेष लाभकारी होगा. सूर्य, बृहस्पति और बुध का भी योगकारक सम्बन्ध बना रहेगा. तुला और मकर राशि विशेष रूप से प्रभावित होगी. इस बार के स्नान से केतु की समस्याएं कम होंगी. साथ ही कुंडली के दुर्योग भी समाप्त होंगे.
उपवास और अन्य नियम
यह व्रत दो प्रकार से रक्खा जाता है -निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत. सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए. अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए. इस व्रत में तिल स्नान, तिल युक्त उबटन लगाना, तिल युक्त जल और तिल युक्त आहार ग्रहण करना और तिल का दान जैसे ६ काम जरूर करने चाहिए. मुक्ति और मोक्ष प्राप्त करने के लिए इस दिन गोबर, कपास और तिल का पिंड भी बनाया जाता है. उसका पूजन करके संध्या काल में उसी से हवन किया जाता है.
आज कैसे करें विशेष स्नान
प्रातः काल या संध्याकाळ स्नान के पूर्व संकल्प लें. पहले जल को सर पर लगाकर प्रणाम करें. फिर स्नान करना आरम्भ करें. स्नान करने के बाद सूर्य को तिल मिले जल से अर्घ्य दें. साफ वस्त्र धारण करें. फिर श्री हरि के मंत्रों का जाप करें. मंत्र जाप के पश्चात वस्तुओं का दान करें. चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं.
कैसे करें श्री हरि की उपासना?
तिल और गुड़ मिलाकर लड्डू बनाएं. तिल के अन्य व्यंजन और पकवान भी बना सकते हैं. रात्रि में भगवान विष्णु के सामने घी का एक मुखी दीपक जलाएं. उन्हें तिल के व्यंजनों का भोग लगाएं. इसके बाद अपने उद्देश्यों के अनुसार उनके मन्त्र का जाप करें. तिल का प्रसाद लोगों में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.