Navratri 2021 Kanya Pujan Vidhi: नवरात्रि के अंतिम दो दिनों में देवी मां के भंडारों का जगह-जगह आयोजन होता है, तो वहीं इन्हीं दो दिन अष्टमी और महानवमी पर कन्या का पूजन भी विशेष फलदायी माना जाता है. घर पर कन्याओं को आमंत्रित कर, उन्हें भोजन कराने और भेंट देने से मां दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. कन्याओं को आमंत्रित करने के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. दरअसल छोटी कन्याओं को मां दुर्गा का रूप माना जाता है. इसलिए उनका पूजन किया जाता है.
क्या होता हैं कन्या पूजन?
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि श्रीदुर्गा मां के भक्त अष्टमी और नवमी को कन्याओं को भोजन कराते हैं, जिससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं. इसके पीछे की कहानी ये भी है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की, जिसमें देवी-देवता, असुर और मानव की उत्पत्ति की. मनुष्य शुरू से ही देवियों की आराधना करते थे और स्त्री जाति का सम्मान करते थे. इसलिए मनुष्य विशेष शक्तिशाली थथे. देवता भी मनुष्यों पर निर्भर थे, कि जब वे यज्ञ हवन करेंगे, तो उन्हें शक्ति मिलेगी. वहीं राक्षस भी मनुष्य से खुद को कमजोर महसूस करते थे. इसलिए देवता और राक्षस ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और कहा कि मनुष्य को आपने शक्तिशाली बना दिया है, हम उनके सामने खुद को कमजोर महसूस करते हैं. ब्रह्मा जी ने कहा कि इसमें कुछ नहीं हो सकता है और दोनों को जाने के लिए कहा. मनुष्य को इस बात का घमंड हो गया, जिसके बाद मनुष्य ने देवी आराधना करना बंद कर दिया और स्त्री जाति का मान सम्मान करना कम कर दिया. जिससे मनुष्य लगातार कमजोर होता चला गया. फिर देवता और राक्षष मनुष्य से अधिक बलशाली हो गए. मनुष्य ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और अपनी स्थिति बताई. जिसके बाद ब्रह्मा जी ने मनुष्य को बताया कि स्त्री का सम्मान करो, उनकी पूजा करो, तो खोई हुईं शक्तियां मिल जाएंगी. तभी से ये कन्या पूजन की प्रथा आरंभ हुई.
कन्या पूजन के लिए रखें इन बातों का ध्यान
1. कन्या पूजन में कम से 9 कन्याएं हों, तो अति उत्तम है.
2. दो वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक उनकी उम्र हो तो अति उत्तम है, वहीं 14 साल तक की बच्चियों को भोजन कराया जा सकता है.
3. पूर्व की ओर मुख करके कन्याओं को बिठायें. दक्षिण की ओर किसी का भी मुंह नहीं होना चाहिए.
4. घर पर कन्या पूजन के लिए लहसुन-प्याज के बिना सात्विक भोजन बनाएं. आमतौर पर कन्याओं को पूरी-हलवा, खीर और चने की सब्जी खिलाई जाती है.
5. कन्याओं के आने के बाद उनके पैर धुलाएं. उन्हें आसन पर बिठाएं. टीका लगाएं, पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें.
6. भोजन के बाद कन्याओं को अपनी सामर्थ्य के अनुसार भेंट दें. फिर चाहे वह गेहूं, पैसे या कोई और सामान हो.
7. कन्या भोजन में एक लड़के को जरूर बुलाएं. कहते हैं कि बालक भैरव बाबा का रूप होता है.
8. भोजन ताजा हो, किसी भी प्रकार की बासी चीज का इसमें प्रयोग नहीं करना है. साथ ही कन्या को भेंट के दौरान किसी प्रकार की अशुद्ध चीज देने से बचें.
इन मंत्रों से करें नमस्कार
1. कुमाय्यै नम:
2. त्रुमूत्ये नम:
3. कन्याण्यै नम:
4. रोहिण्यैं नम:
5. कालिकायै नम:
6. चण्डिकायैं नम:
7. साम्भव्यै नम:
8. दुर्गायै नम:
9. शुभार्दायै नम: