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मांग में सिंदूर, बिंदी और लाल रंग का सूट... सीकर की संतोष शहीद पति की याद में हर साल रखती है करवा चौथ का व्रत

राजस्थान के सीकर में रहने वालीं एक शहीद फौजी की पत्नी आज भी हर साल करवा चौथ का व्रत रखती हैं. उन्होंने इसके पीछे का कारण बताया. कहा कि शहीद होने के बावजूद आज भी मेरे पति मेरे लिए जिंदा हैं. वो मेरे आस-पास ही हैं. मैं आज भी खुद को सुहागन मानती हूं और वैसे ही रहती हूं.

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करगिल शहीद बनवारी लाल बगड़िया की पत्नी संतोष देवी.
करगिल शहीद बनवारी लाल बगड़िया की पत्नी संतोष देवी.

आज पूरा देश करवा चौथ का त्योहार धूमधाम से मना रहा है. सुहागन महिलाओं ने जहां अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा है. तो वहीं, कई कुंवारी लड़कियों ने भी यह व्रत रखा है. ताकि उन्हें आगे चलकर मनचाहा वर मिले. लेकिन राजस्थान के सीकर में रहने वालीं एक शहीद फौजी की पत्नी आज भी हर साल करवा चौथ का व्रत रखती हैं. उन्होंने इसके पीछे का कारण बताया.

इस महिला का नाम है संतोष देवी. संतोष देवी के पति बनवारी लाल बगड़िया भारतीय सेना में सिपाही थे. लेकिन 1999 में करगिल के युद्ध में वह शहीद हो गए. सिंगडोला की रहने वालीं संतोष देवी आज भी उनकी याद में करवा चौथ का व्रत रखती हैं. उन्होंने बताया, ''मेरे पति 15 मई 1999 के दिन शहीद हुए थे. लेकिन आज भी वो मेरे लिए जिंदा हैं. वो मेरे आस-पास ही हैं. मैं आज भी खुद को सुहागन मानती हूं और वैसे ही रहती हूं.''

संतोष देवी ने कहा कि इस दिन मैं न सिर्फ अपने पति के लिए व्रत रखती हूं. बल्कि, भारतीय फौजी भाइयों के लिए प्रार्थना भी करती हूं. मैं चाहती हूं कि मेरे फौजी भाई हमेशा सुरक्षित रहें. उनकी उम्र लम्बी हो.

उन्होंने कहा, ''पति के शहीद हो जाने के बाद मुझे पेंशन मिलनी शुरू हुई थी. मैं पति की पेंशन के रुपयों से हर साल अपने लिए एक स्पेशल ड्रेस सिलवाती हूं. फिर उसे करवा चौथ के दिन पहनती हूं. मेरे पति जहां भी हैं मैं दुआ करती हूं कि उनकी आत्मा हमेशा खुश रहे.''

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कब मनाया जाता है करवा चौथ?

हिंदू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. करवा चौथ के दिन निर्जला व्रत रखकर चंद्रोदय के बाद अपने व्रत पारण करती हैं. कहते हैं कि करवा चौथ के दिन कथाएं सुनना शुभ माना जाता है.

करवा चौथ व्रत की विधि

करवा चौथ के दिन स्नान आदि के बाद करवा चौथ व्रत और चौथ माता की पूजा का संकल्प लेते हैं. फिर अखंड सौभाग्य के लिए निर्जला व्रत रखा जाता है. पूजा के लिए 16 श्रृंगार करते हैं. फिर पूजा के मुहूर्त में चौथ माता या मां गौरी और गणेश जी की विधि विधान से पूजा करते हैं. पूजा के समय उनको गंगाजल, नैवेद्य, धूप-दीप, अक्षत्, रोली, फूल, पंचामृत आदि अर्पित करते हैं. दोनों को श्रद्धापूर्वक फल और हलवा-पूरी का भोग लगाते हैं. इसके बाद चंद्रमा के उदय होने पर अर्घ्य देते हैं और उसके बाद पति के हाथों जल ग्रहण करके व्रत का पारण करते हैं.

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