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राजस्थान हाई कोर्ट ने गढ़ गणेश रोपवे के निर्माण पर लगाई रोक, कलेक्टर से मांगा जवाब

बता दें कि खोले के हनुमान मंदिर के बाद अब नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर विराजित प्राचीन गढ़ गणेश मंदिर तक भी भक्तों को रोपवे की सुविधा, इसके लिए ऑटोमैटिक रोप-वे का निर्माण होना है. जिसके निर्माण में यह करीब 9 करोड़ रुपए खर्च होंगे. जिसकी योजना दो साल में रोपवे लगाने की अवधि थी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

राजस्थान हाई कोर्ट ने गढ़ गणेश मंदिर तक बन रहे रोपवे के निर्माण पर यथा स्थिति का आदेश दिया है. अब तक रोपवे के लिए केवल नींव रखी गई है निर्माण आगे नहीं बढ़ पाया है. कोर्ट ने जयपुर कलेक्टर मंदिर श्री गणेश जी ट्रस्ट से जवाब भी मांगा है. न्यायाधीश अनिल उपमन ने दामोदर रोडवेज इंफ्रा लिमिटेड की याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया. अधिवक्ता संजय झंवर ने बताया कि याचिकाकर्ता के आवेदन को दरकिनार कर कलेक्टर ने ट्रस्ट को रोपवे निर्माण की अनुमति दे दी थी.

बता दें कि खोले के हनुमान मंदिर के बाद अब नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर विराजित प्राचीन गढ़ गणेश मंदिर तक भी भक्तों को रोपवे की सुविधा, इसके लिए ऑटोमैटिक रोप-वे का निर्माण होना है. जिसके निर्माण में यह करीब 9 करोड़ रुपए खर्च होंगे. जिसकी योजना दो साल में रोपवे लगाने की अवधि थी. लेकिन न्यायालय के फैसले के बाद अब यह गढ़ गणेश मंदिर रोपवे योजना में देर हो सकती है.

मालूम हो कि नहर के गणेशजी से गढ़ गणेशजी तक 290 मीटर दूरी है. इस दूरी को तय करने के लिए श्रद्धालुओं को 365 खड़ी सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. दर्शन करने जाने के लिए सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों, बुजुर्ग और विशेष योग्यजनों को होती हैं. जो भक्त नहीं जा पाते वे नीचे से ही भगवान श्रीगणेश के हाथ जोड़कर पूजा-अर्चना कर लेते हैं. 

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रोपवे के लिए क्या था प्लान
रोपवे बनने के बाद श्रद्धालु मंदिर तक आसानी से जा सकते थे. रोपवे में 6 ट्रॉलिया का सेटअप लगने वाला था. एक ट्रॉली में 6 व्यक्ति बैठ सकते थे. ट्रॉली को गढ़-गणेश मंदिर तक पहुंचने में 3 मिनट का समय लगता. रोपवे के बनने के बाद एक घंटे में 500 यात्री सफर कर सकते थे. प्रशासन ने इसके निर्माण लिए फर्म को लाइसेंस जारी कर दिया था.

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