पिछले महीने जैसलमेर में हुए बस हादसे के बाद राजस्थान परिवहन विभाग ने बस बॉडी बिल्डर्स पर एक्शन लिया था. इसके बाद से करीब 200 बस बॉडी बिल्डिंग कारखानों को सीज कर दिया गया. इस वजह से बस बॉडी बिल्डिंग उद्योग पर संकट छाया हुआ है और सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी छिन गई है.
आरटीओ की कार्रवाई के बाद जिन बॉडी बिल्डर्स के कारखानों पर ताले लग गए हैं. वहां बनने के लिए गई सैकड़ों बसें फंसी हुई है. इससे बॉडी बिल्डर्स, वहां काम करने वाले कर्मी और बस मालिकों को भी काफी नुकसान हो रहा है.
बॉडी बिल्डिंग उद्योग पर छाया संकट
इस बाबत ऑल राजस्थान बस-ट्रक बॉडी बिल्डर्स एसोसिएशन ने पत्र लिखकर अपनी समस्या से अवगत कराया है. एसोसिएशन का कहना है कि 16 अक्टूबर को आरटीओ ने हमारे कारखाने सीज कर दिए थे. साथ ही वहां खड़ी सभी बसों को भी सीज कर दिया गया. इस वजह से तैयार खड़ी बस भी हमलोग अपने ग्राहकों को नहीं दे पाए. अब हम भयभीत हैं कि हमारे रोजगार और परिवार का अब क्या होगा.
एसोसिएशन ने की ऐसे कार्रवाई की मांग
हाल में ही जैसलमेर हादसे के बाद ये कार्रवाई की गई है. इसके तहत खड़ी गाड़ियों को भी जब्त किया जा रहा है. होना ये चाहिए था कि कोई भी बस तैयार होने के बाद आरटीओ कार्यालय पास होने के लिए जाती है. यदि नियमानुसार बस नहीं बना है तो अधिकारी इसे पास न करें. लेकिन, विभाग की ऐसी कार्रवाई डराने वाली है.
नियमानुसार कारखानों को चालू करने की मांग
हमारे ऑल राजस्थान के सभी बॉडी बिल्डर्स के कारखाने डीटीओ/आरटीओ द्वारा बंद कर दिए गए हैं. इससे निर्माणाधीन और तैयार बसों पर भी रोक लगा दी गई है. उनके सारे दस्तावेज जमा कर दिए गए हैं. अत: उन्हें चालू करने की अनुमति दी जाए.
बिल्डर्स के कारखाने में फंसी हुई हैं कई बसें
वहीं राजस्थली ट्रेवल्स के ऑनर मुकेश कुमार ने बताया कि उनकी दो बस भी इसी तरह आरटीओ की कार्रवाई के बाद फंसी हुई है. उन्होंने दो बसों की बॉडी बनवाने के लिए बॉडी मेकर्स को दी थी, लेकिन आरटीओ की कार्रवाई के बाद से भी अटक गई है. उनकी बस लगभग तैयार हो चुकी थी, लेकिन अब उन बस की डिलीवरी नहीं हो पा रही है और वो बॉडी मेकर्स के कारखानों में बंद पड़ी है.
व्यापार पर पड़ रहा असर
मुकेश कुमार का कहना है कि इस वजह से उनके व्यापार पर काफी असर पड़ रहा है और अभी राजस्थान में पर्यटकों के आने का सीजन है. इस स्थिति में बसों डिलीवरी नहीं होने से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. हमारी सरकार से गुजारिश है जो लोग नियमों के अनुसार बस बनवा रहे हैं या बना रहे हैं उन्हें सरकार नियमों के आधार पर काम करने दें.
जब हमारी बस नियमों के हिसाब से बन रही हैं तो फिर हमें क्यों परेशान किया जा रहा है. अगर जिन लोगों के पास पूरे कागज हैं तो उन्हें तो कम से कम परमिशन मिलनी चाहिए.