scorecardresearch
 

पेड़ की शख्स ने कराई शादी, कुंडली भी मिलवाई, हल्दी-मेहंदी की रस्म भी हुई, जानें वजह

राजस्थान के जोधपुर में पीपली के पेड़ की अनूठी शादी का मामला सामने आया है. पीपली के पेड़ की शादी ठाकुर जी (शालिग्राम) के साथ कराई गई. इसके लिए पहले कुंडली मिलवाई गई, फिर हल्दी मेहंदी की रस्म के साथ ही लोगों को कार्ड भेजकर निमंत्रण भेजा गया. शादी में शामिल होने के लिए हैदराबाद से रिश्तेदार पहुंचे.

Advertisement
X
जोधपुर में कराई पेड़ की शादी.
जोधपुर में कराई पेड़ की शादी.

राजस्थान के जोधपुर में पेड़ की अनोखी शादी कराई गई. इसमें बाकायदा लोगों को कार्ड छपवाकर निमंत्रण भेजा गया. दूर-दराज के लोग शामिल हुए. इस शादी में शामिल लोगों ने बाराती की तरह लुत्फ लिया. बता दें कि पीपली के पेड़ की शादी ठाकुर जी (शालिग्राम) से कराई गई है. जानिए इस अनोखे विवाह की पूरी कहानी. 

केतु गांव के लालाराम कुलरिया के परिवार ने पीपल के पेड़ की शादी का आयोजन किया. इस समारोह में शामिल होने के लिए हैदराबाद से भी रिश्तेदार पहुंचे. जोधपुर के सरस्वती नगर में एक परिवार साल 2017 से रह रहा है.

लालाराम के घर में उग आए थे पीपल और पीपली के पेड़

लालाराम कुलरिया के यहां गमले में पीपल और पीपली के पेड़ एकसाथ उग आए थे. कुछ समय बाद पौधे बड़े हुए तो परिवार वाले परेशान हो गए, क्योंकि मान्यता है कि घर में पीपल का पेड़ होना अच्छा नहीं माना जाता और इसे हटा भी नहीं सकते थे. 

इसी को लेकर उनके मन में विचार आया कि क्यों न पीपली की शादी कर दी जाए. किसी ने बताया था कि पीपल के पेड़ की शादी का विधान है. पेड़ जैसे-जैसे बड़े हुए वैसे-वैसे घर के लोगों का इनके साथ अटैचमेंट बढ़ता गया. इसी के बाद पूरा परिवार पीपली की शादी की तैयारियों में जुट गया. परिवार के सदस्यों ने शादी की तैयारी की और तकरीबन 500 से अधिक लोगों को कार्ड छपवाकर इनवाइट किया. तय किया गया कि एक बेटी की तरह पीपली की शादी की जाएगी और विदाई होगी. 

Advertisement

घर में उगा पीपली का पेड़, बड़े होने पर तय की शादी, कुंडली मिलवाई, हल्दी-मेहंदी की रस्म के साथ कराए फेरे

शादी से पहले पंडित से मिलवाई गई कुंडली

गांव के रहने वाले लालाराम के परिवार के लोगों से बातचीत कर निर्णय लिया कि बेटी की तरह पीपली की शादी करवाएंगे. इसलिए पंडित से कुंडली मिलवाई गई. यह शादी गांव से 3 किलोमीटर दूर बने मंदिर में ठाकुर जी से तय की गई. पंडित का कहना है कि कुंडली मिलान कर शादी के लिए बुद्ध पूर्णिमा का दिन तय किया. इस शादी में लालाराम और उनकी पत्नी ने कन्यादान की रस्में निभाईं.

500 लोगों के लिए की गई भोजन की व्यवस्था

घर में उगा पीपली का पेड़, बड़े होने पर तय की शादी, कुंडली मिलवाई, हल्दी-मेहंदी की रस्म के साथ कराए फेरे

पीपली के पेड़ की शादी के लिए कार्ड भी छपवाए गए. रिश्तेदारों को निमंत्रण दिया गया. महिलाओं ने मंगल गीत गाए और पीपली के पेड़ पर हल्दी लगाकर रस्म अदा की गई. घर के पास शादी का मंडप तैयार किया गया, जहां ठाकुर जी के फेरे करवाए गए. शादी में आने वाले लोगों के लिए बारात स्वागत के दौरान लापसी, दाल सब्जी और पूड़ी की व्यवस्था की गई.

शनिवार सुबह के लिए हलवा, चक्की, पूरी व गट्टे की सब्जी की व्यवस्था की गई. शुक्रवार शाम बारातियों के लिए तो शनिवार सुबह पूरे गांव के लोगों के लिए भोज की व्यवस्था की गई. कुलरिया परिवार के लोगों ने कहा कि हमारे धर्म में पेड़ पौधों को विशेष महत्व दिया गया है.

Advertisement
Advertisement