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दिल लगा ऊंट से तो दूरी क्या चीज... बीकानेर में ऊंट पर शानदार कलाकृतियां बना रही जापानी गुड़िया

महज 28 साल की मेग्युमी (मैगी) यूं तो राजस्थान कई बार आईं लेकिन इस बार राजस्थान की रंगत इस कदर चढ़ी कि मैगी अपने दो जापानी सहयोगियों के साथ सब कुछ छोड़ छाड़ करे लगभग एक महीने से ज्यादा अरसे से बीकानेर के छोटे से गांव नाल में देसी इश्क़ का तानाबाना बुन रही है.

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ऊंट की खाल पर फर कटिंग के जरिए कलाकृति बनाती है जापानी लड़की
ऊंट की खाल पर फर कटिंग के जरिए कलाकृति बनाती है जापानी लड़की

ले गई दिल गुड़िया जापान की....... हमने और आपने जापानी गुड़िया के दिल चुरा कर ले जाने के न जाने कितने किस्से सुने और देखे होंगे. लेकिन क्या आप यकीन करेंगें कि जापान के होंशू टापू पर बसे और वहां की अर्थव्यवस्था की धुरी कहे जाने वाले ओसाका शहर की एक जापानी गुड़िया का दिल बीकानेर में ऐेसा लगा है कि वह अपने देश  से सैकड़ों मील सुदूर राजस्थान के रेतीले घोरों में प्रेम की धुनी रमाए बैठी है.

ऊंट की खाल पर उकेर रही कलाकृतियां
 
महज 28 साल की मेग्युमी (मैगी) यूं तो राजस्थान कई बार आईं लेकिन इस बार राजस्थान की रंगत इस कदर चढ़ी कि मैगी अपने दो जापानी सहयोगियों के साथ सब कुछ छोड़ छाड़ करे लगभग एक महीने से ज्यादा अरसे से बीकानेर के छोटे से गांव नाल में देसी इश्क़ का तानाबाना बुन रही है. कृष्ण राधा के प्रेम की दीवानी हुई मैगी यहां रह कर राजस्थान की लोक कलाओं में सबसे मुश्किल मानी जाने वाली  ऊंट की खाल पर फर कटिंग के जरिए पहली बार में ही किसी मंझे हुए कलाकार की तरह रास लीला और ग्रामीण जीवन की कलाकृतियां उकेर रही है.

कृष्ण- राधा के प्रेम की कहानियों की दीवानी

मैगी कहती है कि वो लगभग दस सालों से भारत आ रही हैं. यहां आकर उसे कृष्ण और राधा के प्रेम और भक्ति की कहानियों ने इतना मोहित किया कि कब वह कृष्ण के प्रेम में डूब गई उसे पता ही नहीं चला. पिछले तीन सालों से कोरोना की पाबंदियों के चलते वह भारत खासकर बीकानेर नहीं आ पाई. पिछली कई यात्राओं के दौरान उसे बीकानेर में होने वाले ऊंट उत्सव को देखने का मौका भी मिला. उन्हें ऊंट की खाल पर बालों को तराश कर नक्काशी की तरह बनाई गई आकृतियां इतनी पसंद आई कि इस बार जब उन्हें मौका मिला तो उसने अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए इसे ही जरिया बना लिया.

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ऊंट को किराए पर लेकर कारीगरी

एक स्थानीय की मदद से मेग्युमी ने एक  ऊंट  कुछ समय के लिए किराए पर लिया है, जिसकी खाल पर वह चित्र बनाती हैं. उनके दो दोस्त इस काम में उनकी मदद के साथ मैगी की कारीगरी को फिल्माते हैं. मैगी चाहती है कि वह अपने ऊंट के साथ बीकानेर में 13 जनवरी से शुरू हो रहे  ऊंट उत्सव में एक प्रतिभागी के तौर पर शामिल हो और उसकी कला और प्रेम को दर्शकों का भरपूर प्यार मिले.

लजीज लगता है देसी राजस्थानी खान पान

फर कटिंग के साथ मैगी राजस्थान के पारंपरिक खानपान से भी रूबरू हो रही है और उसे यहां का देसी खाना ही सबसे लजीज लगता है. देसी बाजरे की रोटी और केर सांगरी या फली- फोफलियों का साग उसे बहुत भाता है. यहां की महिलाओं के साथ मिलकर वह स्वादिष्ट राजस्थानी खाना पकाना भी सीख रही है.

इनपुट- अपर्णेश गोस्वामी

 

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